Wednesday, January 8, 2025

अपने भीतर छिपी महानता को उजागर करें : आचार्य रमेश सचदेवा

 


अपने भीतर छिपी महानता को उजागर करें : आचार्य रमेश सचदेवा

मनुष्य का अस्तित्व प्रकृति के अद्भुत चमत्कारों में से एक है। हर व्यक्ति के भीतर अपार क्षमताएं और संभावनाएं छिपी होती हैं, जिन्हें सही दिशा, प्रयास और आत्म-विश्लेषण के माध्यम से बाहर लाया जा सकता है। अपने भीतर छिपी महानता को समझना और उसे उजागर करना न केवल हमारे जीवन को सार्थक बनाता है, बल्कि समाज और देश के विकास में भी योगदान देता है।

प्रत्येक व्यक्ति के अंदर विशेष गुण और प्रतिभा होती है, जो उसे अनूठा बनाती है। हालांकि, इन क्षमताओं को पहचानने और उनका उपयोग करने के लिए आत्मविश्वास और संकल्प की आवश्यकता होती है। महानता का अर्थ केवल बड़े कार्य करना नहीं है, बल्कि छोटे-छोटे कामों को समर्पण और ईमानदारी से पूरा करना भी है। महात्मा गांधी, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और मदर टेरेसा जैसे व्यक्तित्व अपने भीतर छिपी महानता को पहचान कर ही दुनिया के लिए प्रेरणा बने।

आमतौर पर लोग अपनी क्षमताओं को लेकर अनभिज्ञ रहते हैं या उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। इसका एक प्रमुख कारण है आत्म-संदेह और नकारात्मक सोच। "मैं यह नहीं कर सकता," "यह मेरे बस की बात नहीं," जैसी बातें अक्सर हमारी आत्मशक्ति को कमजोर करती हैं। इसके विपरीत, यदि हम अपनी क्षमताओं को पहचानने और उन्हें निखारने की दिशा में कार्य करें, तो हम असंभव को भी संभव बना सकते हैं।

महानता को उजागर करने का सबसे पहला कदम आत्ममूल्यांकन है। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि हमारे भीतर कौन-कौन सी अद्वितीय क्षमताएं हैं। यह केवल हमारे कार्यक्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि हमारी सोच, व्यवहार और दृष्टिकोण में भी प्रकट होती हैं। योग, ध्यान और आत्म-अवलोकन के माध्यम से हम अपनी आंतरिक शक्तियों को पहचान सकते हैं।

दूसरा महत्वपूर्ण कदम है सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना। जीवन में चुनौतियां और असफलताएं आती रहती हैं, लेकिन इनसे सीखकर आगे बढ़ना ही महानता की निशानी है। जिस तरह से दीपक अंधेरे को दूर करता है, उसी प्रकार हमारी सकारात्मक सोच हमारे अंदर छिपी नकारात्मकता और डर को मिटा सकती है।

अपने भीतर छिपी महानता को बाहर लाने के लिए मेहनत, अनुशासन और लक्ष्य के प्रति समर्पण अत्यंत आवश्यक है। हमें अपने कार्यों में सुधार लाने और अपनी गलतियों से सीखने का प्रयास करना चाहिए। "कर्म ही पूजा है" यह वाक्य हमें सिखाता है कि हमारी मेहनत और समर्पण ही हमें महानता की ओर ले जा सकते हैं।

अंत में, यह समझना भी जरूरी है कि महानता का अर्थ केवल अपने लिए काम करना नहीं है, बल्कि दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए भी प्रयास करना है। जब हम अपनी क्षमताओं का उपयोग समाज और मानवता की भलाई के लिए करते हैं, तभी हमारी महानता का असली अर्थ प्रकट होता है।

इसलिए, अपने भीतर छिपी महानता को पहचानें, उसे निखारें और अपने जीवन को उद्देश्यपूर्ण बनाएं। याद रखें, "महानता कभी आसमान से नहीं गिरती; यह हमारी मेहनत, सोच और समर्पण से उभरती है।"

 

9 comments:

TO THE POINT SHAAD said...

जिंदगी जिन्दाबाद Sir आप बहुत बढ़िया रचनात्मक विचार लिखते है मैं आपका पाठक हूं लिखते रहे..

Vivek Sharma said...

Absolutely right 👍

आचार्य मुकेश बहुखंडी said...

मन बड़ा प्रसन्न हो रहा है, बहुत अच्छा प्रयास,🙏 परोपकाराय पुण्याय पापाय परपीड़नम श्रीमान जी आपके ऑर्टिकल मैं पढ़ता रहता हूं आपका अथक प्रयास समाज के लिए/खासकर युवा पीढ़ियों के लिए रामबाण सिद्ध होगा, अग्रिम शुभकामनाएं🙏🙏

Pankaj kelnia said...

You are such a great personality sir and your thoughts are inspirable for me

Bharat Bhushan Wadhwa said...

प्रेरणादायक विचार..!!!

Absolutely Right. But according to me motivation works only when urs environment in which u r residing is favourable said...

Absolutely right. But according to me motivation works only in which environment u r residing is favourable. But I know the truth also Show must go on

Director, EDU-STEP FOUNDATION said...

Thanks ji

Director, EDU-STEP FOUNDATION said...

Thanks ji

Director, EDU-STEP FOUNDATION said...

Thanks ji