क्या आम आदमी की परेशानियों का समाधान करेगा
निर्मला
सीतारमण का यूनियन बजट 2025
या फिर होगा आंकड़ों का खेल?
हर वर्ष की तरह, इस बार भी
यूनियन बजट 2025 को लेकर आम जनता में उत्सुकता और उम्मीदें चरम पर हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह बजट क्या आम आदमी की समस्याओं का समाधान कर
पाएगा, या यह मात्र आंकड़ों का एक आकर्षक प्रदर्शन बनकर रह जाएगा? यह एक ऐसा
प्रश्न है जो हर भारतीय नागरिक के मन में उठता है।
आम आदमी की
परेशानियां
आज देश का आम नागरिक महंगाई,
बेरोजगारी,
शिक्षा और
स्वास्थ्य सेवाओं की कमी जैसे गंभीर मुद्दों से जूझ रहा है। पेट्रोल-डीजल की बढ़ती
कीमतें, रोज़मर्रा की वस्तुओं के दामों में बढ़ोतरी और रोजगार के अवसरों की कमी ने
उसकी आर्थिक स्थिति को और अधिक अस्थिर बना दिया है।
कृषि क्षेत्र, जो देश की बड़ी
आबादी का जीवन यापन करता है, कर्ज़ और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित है। इसी तरह, शहरी क्षेत्र
में मध्यम वर्ग आयकर छूट, किफायती आवास और बेहतर बुनियादी सुविधाओं की उम्मीद करता
है।
क्या होगा इस
बजट में खास?
निर्मला सीतारमण का यह छठा
बजट देश के आर्थिक दृष्टिकोण को लेकर अहम होगा। यह देखना होगा कि सरकार निम्नलिखित
क्षेत्रों में क्या कदम उठाती है:
1. महंगाई पर
नियंत्रण: क्या बजट में
आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को काबू में रखने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे? यदि नहीं,
तो यह आम आदमी
की उम्मीदों पर पानी फेर देगा।
2. रोजगार सृजन: देश के युवा बेरोजगारी से
त्रस्त हैं। क्या सरकार नई नौकरियों के अवसर पैदा करने के लिए ठोस योजनाएं
प्रस्तुत करेगी?
3. कृषि सुधार: किसानों की कर्ज़ माफी,
सिंचाई की
बेहतर सुविधाएं और कृषि उत्पादों के लिए उचित दाम सुनिश्चित करने के उपाय इस बजट
में शामिल होने चाहिए।
4. स्वास्थ्य और
शिक्षा: कोविड महामारी
के बाद से स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की आवश्यकता महसूस हुई
है। क्या यह बजट इन क्षेत्रों को प्राथमिकता देगा?
5. मध्यम वर्ग की
राहत: आयकर में छूट
और आवासीय योजनाओं में सब्सिडी जैसी नीतियां मध्यम वर्ग को राहत प्रदान कर सकती
हैं।
क्या केवल
आंकड़ों का खेल होगा?
प्रत्येक बजट में GDP
वृद्धि,
राजकोषीय घाटा,
और विदेशी
निवेश जैसे आंकड़ों का ज़िक्र होता है। ये आंकड़े आर्थिक नीति के लिए महत्वपूर्ण
हैं, लेकिन यदि आम आदमी की रोज़मर्रा की समस्याओं का समाधान इन आंकड़ों में दबकर रह
जाए, तो यह बजट भी केवल कागज़ी वादों तक सीमित रह जाएगा।
संदेश और
अपेक्षाएं : आम आदमी को इस बार उम्मीद है कि यह बजट केवल आंकड़ों का खेल
न बनकर वास्तविक राहत देने वाला साबित हो। यदि सरकार गरीबों, किसानों,
मजदूरों और
मध्यम वर्ग की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ठोस कदम उठाती है, तो यह बजट
विकास और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
निर्मला सीतारमण को इस बात
को समझना होगा कि आंकड़े नहीं, बल्कि नीतियों का प्रभाव और उनके क्रियान्वयन की क्षमता ही
बजट की सफलता तय करेगी।
यूनियन बजट 2025 पर पूरे देश की
निगाहें हैं। यह बजट यदि आम आदमी की समस्याओं का समाधान करता है, तो यह न केवल
सरकार की लोकप्रियता को बढ़ाएगा, बल्कि देश की आर्थिक स्थिति को भी स्थिरता प्रदान करेगा।
अन्यथा, यह भी महज एक औपचारिक दस्तावेज बनकर रह जाएगा।
1 comment:
Bahut bdiya btaya ji sir apne 🙏😊
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