Friday, January 31, 2025

धार्मिक आस्था और सामाजिक दायित्व


 

धार्मिक आस्था और सामाजिक दायित्व

आज का युग तकनीक और प्रगति का है, फिर भी धार्मिक आयोजनों में उमड़ने वाली भीड़ हमारी आस्था का प्रतीक है। लेकिन क्या हम इस आस्था के साथ अपने सामाजिक दायित्व का भी निर्वहन कर रहे हैं?

छोटे-मोटे धार्मिक कार्यक्रमों में भी अप्रत्याशित भीड़ जुटने से सुरक्षा चुनौतियां बढ़ रही हैं। हमें याद रखना होगा कि धर्म का मूल उद्देश्य मानवता की रक्षा और समाज का कल्याण है।

सच्ची श्रद्धा अनुशासन में झलकती है। अपनी धार्मिक भावनाओं को व्यवस्थित तरीके से व्यक्त करना हमारा कर्तव्य है। इससे न केवल आयोजन सुरक्षित रहेगा, बल्कि इसकी गरिमा भी बढ़ेगी।

आइए, हम सब मिलकर एक नई परंपरा शुरू करें - श्रद्धा के साथ अनुशासन की। यही हमारी सच्ची धार्मिक आस्था की पहचान होगी।

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