Friday, January 10, 2025

परीक्षाएँ – जीवन का एक हिस्सा : आचार्य रमेश सचदेवा

 


परीक्षा का नाम सुनते ही मन में चिंता, भय और घबराहट की भावना उत्पन्न हो जाती है। विद्यार्थी के लिए परीक्षा केवल उसकी योग्यता को परखने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह जीवन के लिए तैयार होने का एक महत्वपूर्ण अभ्यास भी है। परीक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होती; यह तो हमारे धैर्य, मेहनत और आत्मविश्वास की भी परीक्षा लेती है।

परीक्षा का मुख्य उद्देश्य यह है कि वह हमारे ज्ञान और कौशल का आकलन करे। यह हमारे सीखने की प्रक्रिया का अभिन्न हिस्सा है। जब भी हम किसी कठिन परिस्थिति का सामना करते हैं, वह भी एक तरह से जीवन की परीक्षा ही होती है। इसलिए परीक्षाएँ न केवल स्कूल या कॉलेज की होती हैं, बल्कि हर कदम पर हमें अपनी क्षमता और बुद्धिमत्ता साबित करनी पड़ती है।

आजकल विद्यार्थियों में परीक्षा का डर आम हो गया है। इसका मुख्य कारण है हमारी शिक्षा पद्धति, जिसमें अंकों को अधिक महत्व दिया जाता है। माता-पिता और शिक्षक भी अक्सर अंकों के आधार पर बच्चों का मूल्यांकन करते हैं। इससे बच्चों पर अनावश्यक दबाव बढ़ जाता है। लेकिन अगर परीक्षाओं को केवल एक अनुभव और ज्ञान को परखने का साधन माना जाए, तो यह डर समाप्त हो सकता है।

जीवन में परीक्षाओं का बहुत महत्व है। परीक्षा हमें अनुशासन, समय प्रबंधन और आत्मविश्लेषण सिखाती है। यह हमारी कमियों को पहचानने और उन्हें सुधारने का अवसर देती है। परीक्षा का परिणाम चाहे कुछ भी हो, यह हमें एक नई दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।    
महान् दार्शनिक स्वामी विवेकानंद ने कहा था, "जीवन में आने वाली हर चुनौती को एक परीक्षा समझकर उसका सामना करो।" वास्तव में, हर असफलता हमें सिखाती है कि हमें किस दिशा में मेहनत करनी चाहिए।

अगर परीक्षाओं को हम जीवन का हिस्सा मानें और इसे सकारात्मक दृष्टिकोण से लें, तो यह हमारे लिए बोझ नहीं, बल्कि एक सीखने का अवसर बन जाएगी।

विद्यार्थी सदैव परीक्षा की तैयारी के लिए एक योजना बनाएं और समय का सही उपयोग करें। मानसिक शांति के लिए ध्यान और योग करें, ताकि परीक्षा का डर दूर हो।  खुद पर भरोसा रखें और यह सोचें कि मेहनत का फल अवश्य मिलेगा।

परीक्षा के लिए माता-पिता और शिक्षकों को चाहिए कि वे बच्चों पर अनावश्यक दबाव न डालें। उन्हें प्रोत्साहित करें और असफलता को एक सीखने का अवसर मानने की शिक्षा दें।

परीक्षाएँ केवल अंक प्राप्त करने का साधन नहीं हैं, बल्कि यह जीवन को बेहतर ढंग से समझने और नई ऊँचाइयों तक पहुँचने का माध्यम हैं। जब हम परीक्षाओं को एक चुनौती के बजाय अवसर मानेंगे, तब न केवल हमारा आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि हमारा जीवन भी सफल और संतुलित होगा।

"परीक्षाएँ तो जीवन का एक पड़ाव हैं,
हर हार में जीत का भाव हैं।
डर से न हारो, संकल्प से चलो,
जीवन के हर मोड़ पर सफलता के दीप जलाओ।"

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