Monday, January 20, 2025

अभिभावक अध्यापक पर हाथ उठाए तो उसके बच्चे को पढ़ाए कौन

 


शिक्षा का क्षेत्र समाज का सबसे अहम हिस्सा होता है, क्योंकि यही वह स्थान है जहाँ बच्चे अपने भविष्य का निर्माण करते हैं। अध्यापक बच्चों के जीवन को दिशा देने वाले गुरु होते हैं, जो उन्हें ज्ञान, संस्कार, और मूल्य सिखाते हैं। लेकिन जब अभिभावक अपने गुस्से में आकर शिक्षक पर हाथ उठाते हैं, तो यह न केवल उस अध्यापक का अपमान होता है, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र को भी चोट पहुँचाता है। ऐसे कृत्य से बच्चों को क्या संदेश जाता है और समाज पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है, यह समझना बेहद ज़रूरी है।

पहली बात तो यह कि अगर अभिभावक किसी शिक्षक पर हाथ उठाते हैं, तो इसका सीधा असर उनके बच्चों पर पड़ता है। बच्चे अपने माता-पिता से ही सीखते हैं, और जब वे देखते हैं कि उनके अभिभावक शांति और समझदारी से कम, बल्कि हिंसा के रास्ते पर चल रहे हैं, तो यह उनके मन में गलत विचारों को जन्म देता है। यह कृत्य बच्चों को यह सिखाता है कि समस्या के समाधान के लिए संवाद या समझौता करने के बजाय, हिंसा का सहारा लिया जा सकता है। क्या यह सही तरीका है? निश्चित रूप से नहीं।

दूसरी तरफ, बच्चों के सामने इस तरह की घटनाएँ केवल उनकी मानसिकता को ही नहीं, बल्कि समाज के प्रति उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावित करती हैं। बच्चे जब देखते हैं कि उनके माता-पिता या अभिभावक खुद ही हिंसा के शिकार होते हैं, तो वे इसे सामान्य मानने लगते हैं। यही बच्चे जब बड़े होते हैं, तो वे न केवल शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि जीवन के हर पहलू में इसी प्रकार के व्यवहार को अपनाने लगते हैं। यह समाज के लिए एक गंभीर खतरा है, क्योंकि ऐसे बच्चों से भविष्य में न केवल परिवारों में समस्याएँ उत्पन्न होंगी, बल्कि समाज की बुनियादी संरचना भी कमजोर पड़ेगी।

इसके अलावा, अभिभावकों को यह समझना चाहिए कि शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को अच्छे नागरिक बनाना है, और इसके लिए उन्हें स्वयं उदाहरण प्रस्तुत करना होता है। जब माता-पिता अपने गुस्से और उत्तेजना को काबू नहीं कर पाते और किसी शिक्षक पर हाथ उठाते हैं, तो यह बच्चों को यह संदेश देता है कि गलत आचरण स्वीकार्य है। इसके बजाय, यदि अभिभावक अपने बच्चों को आदर्श व्यवहार और सहनशीलता का उदाहरण दिखाते हैं, तो बच्चे भी इन गुणों को जीवन में अपनाएंगे।

आखिरकार, यह कहा जा सकता है कि अभिभावकों को चाहिए कि वे खुद को सुधारें और बच्चों के सामने शांतिपूर्ण तरीके से समस्याओं का समाधान करना सिखाएं। हमें यह समझना होगा कि बच्चों के सामने किए गए प्रत्येक कार्य का असर उनके पूरे जीवन पर पड़ता है। इसलिए अगर कोई अभिभावक शिक्षक पर हाथ उठाता है, तो न केवल शिक्षक को अपमानित करता है, बल्कि अपने बच्चे को भी गलत रास्ते पर भेजता है। यही कारण है कि इस प्रकार के कृत्यों से बचने की आवश्यकता है।

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