Saturday, January 18, 2025

छुट्टी की खुशी: शिक्षा व्यवस्था पर एक सोचनीय पहलू

 




भारतीय स्कूलों में एक दिलचस्प और कहीं न कहीं चिंता का विषय यह है कि विद्यार्थी और अध्यापक दोनों ही पढ़ने-पढ़ाने की प्रक्रिया से अधिक छुट्टी घोषित होने पर खुशी महसूस करते हैं। यह परिपाटी हमारी शिक्षा व्यवस्था और दृष्टिकोण पर गहन सोचने की आवश्यकता की ओर इशारा करती है।

छुट्टी से खुशी: समस्या या प्राकृतिक भावना?

हर किसी को आराम और राहत की आवश्यकता होती है। लगातार अध्ययन और शिक्षण के बीच छुट्टी एक सुखद विराम लेकर आती है। यह खुशी स्वाभाविक हो सकती है, लेकिन जब यह भावना पढ़ाई के प्रति उत्साह से अधिक हो जाए, तो यह हमारी शिक्षा व्यवस्था की प्राथमिकताओं और प्रक्रियाओं पर सवाल खड़े करती है।

शिक्षा: बोझ या ज्ञानार्जन का माध्यम?

आज की शिक्षा प्रणाली में विद्यार्थियों और अध्यापकों पर भारी दबाव होता है। विद्यार्थियों पर अच्छे अंकों का बोझ और अध्यापकों पर परिणाम देने की अनवरत अपेक्षा उनके काम को एक बोझिल प्रक्रिया बना देती है।

·       विद्यार्थियों के लिए: परीक्षा, होमवर्क, और लगातार प्रतिस्पर्धा उन्हें पढ़ाई से दूर कर देती है।

·       अध्यापकों के लिए: पाठ्यक्रम पूरा करने की जिम्मेदारी, अतिरिक्त प्रशासनिक कार्य, और अनुशासन संबंधी दायित्व पढ़ाने के आनंद को कम कर देते हैं।

छुट्टी: एक आवश्यक विराम

छुट्टी का महत्व केवल विश्राम तक सीमित नहीं है। यह दिमाग को तरोताजा करने और नई ऊर्जा के साथ पढ़ाई और पढ़ाने में वापस लौटने का एक जरिया है। परंतु, जब छुट्टी ही प्रमुख आकर्षण बन जाए, तो यह शिक्षा व्यवस्था में छिपी समस्याओं को उजागर करता है।

समाधान की दिशा में पहल

इस मानसिकता को बदलने के लिए निम्न कदम उठाए जा सकते हैं:

1.       शिक्षा में आनंद का समावेश:   शिक्षण को रचनात्मक और आनंदमय बनाया जाए। कक्षाओं में संवादात्मक और क्रियात्मक शिक्षा प्रणाली अपनाई जाए।

2.       पाठ्यक्रम में सुधार:    पाठ्यक्रम को बच्चों और अध्यापकों के लिए व्यावहारिक और रोचक बनाया जाए। अनावश्यक दबाव को समाप्त किया जाए।

3.       मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान:  
छात्रों और अध्यापकों दोनों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना आवश्यक है। तनाव मुक्त वातावरण बनाया जाए।

4.       छुट्टियों के महत्व का सही उपयोग:   
छुट्टियों को केवल आराम का समय न मानते हुए इसे नई चीजें सीखने, परिवार के साथ समय बिताने, और नई ऊर्जा पाने का अवसर बनाया जाए।

शिक्षा का उद्देश्य पुनः परिभाषित करें

देखा, समझा और ध्यान दिया जाए तो शिक्षा केवल अंक और प्रमाणपत्र का खेल नहीं है। यह जीवन को समृद्ध करने और व्यक्तित्व का विकास करने का माध्यम है। जब तक विद्यार्थी और अध्यापक पढ़ाई और पढ़ाने से खुशी महसूस नहीं करेंगे, तब तक छुट्टी की खुशी पढ़ाई से अधिक रहेगी। इसे बदलना न केवल शिक्षा प्रणाली का कर्तव्य है, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी भी है।

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