भारत ने 26 जनवरी 2025 को अपने गणतंत्र दिवस की 76वीं वर्षगांठ मनाई। यह दिन हर भारतीय के लिए गर्व और आत्मनिरीक्षण का अवसर है। 1950 में जब भारत ने अपना संविधान अपनाया था, तब यह एक नई शुरुआत थी, जहां हर नागरिक को समान अधिकार, न्याय और स्वतंत्रता का वादा किया गया था। लेकिन 75 वर्षों के बाद, हमें यह विचार करना चाहिए कि क्या हम वाकई "गणतंत्र" की उस भावना को साकार कर पाए हैं, या कहीं हमारा समाज "गनतंत्र" की ओर बढ़ रहा है।
गणतंत्र का मूल भाव
गणतंत्र का अर्थ है जनता का शासन, जनता के लिए और
जनता द्वारा। यह एक ऐसा तंत्र है जहां हर व्यक्ति को समान अधिकार मिले और कोई भी
कानून से ऊपर न हो। हमारे संविधान ने हमें लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, और सामाजिक
न्याय के आदर्श दिए, लेकिन इन आदर्शों का पालन करना हर पीढ़ी की जिम्मेदारी है।
गन का बढ़ता प्रभाव
आज हम देख रहे हैं कि "गणतंत्र" के
मूल उद्देश्य को "गन" (हथियार और हिंसा) ने कहीं न कहीं चुनौती दी है।
1. राजनीति में हिंसा का
प्रवेश: राजनीति, जो कभी समाजसेवा का माध्यम हुआ करती थी, अब कई स्थानों पर हिंसा और
अपराध से प्रभावित है। चुनावों में हिंसा, दबाव और धनबल का बढ़ता उपयोग गणतंत्र के आदर्शों
को कमजोर करता है।
2. कानून व्यवस्था की कमजोरी: जब जनता को
न्याय मिलने में देरी होती है, तब कानून की बजाय लोग अपनी समस्याओं का हल हिंसा में ढूंढने
लगते हैं। यही "गन का तंत्र" को बढ़ावा देता है।
3. सामाजिक असमानता: गरीबी,
बेरोजगारी और
अशिक्षा ने अपराध और हिंसा को बढ़ावा दिया है। यह असमानता उस लोकतांत्रिक
ताने-बाने को कमजोर करती है, जिस पर गणतंत्र आधारित है।
4. आतंकवाद और संगठित अपराध: बीते कुछ
दशकों में आतंकवाद और संगठित अपराध ने न केवल हमारे समाज में भय पैदा किया है,
बल्कि हमारी
शासन प्रणाली की कमजोरियों को भी उजागर किया है।
5. डिजिटल और साइबर क्राइम का
उभार: आधुनिक तकनीक के साथ-साथ नए प्रकार के अपराध भी सामने आए हैं। ये
"गन" भले ही पारंपरिक हथियार न हों, लेकिन इनके प्रभाव समाज और
लोकतंत्र पर समान रूप से खतरनाक हैं।
समाधान की दिशा
75 वर्षों के गणतंत्र का यह
पड़ाव आत्मनिरीक्षण और सुधार का अवसर है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि
"गण" का तंत्र, यानी जनता का शासन, "गन" के तंत्र से
प्रभावित न हो। इसके लिए कुछ कदम उठाने आवश्यक हैं:
1. कानून का सख्त और निष्पक्ष
पालन: न्यायपालिका और पुलिस को अधिक प्रभावी और जवाबदेह बनाना होगा ताकि अपराधी
कानून से न बच सकें।
2. शिक्षा और जागरूकता: एक शिक्षित
समाज ही हिंसा और अपराध को रोक सकता है। शिक्षा के साथ-साथ लोगों में संविधान और
उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ानी होगी।
3. राजनीतिक सुधार: राजनीति में
अपराधियों और हिंसा का प्रभाव समाप्त करने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे।
4. आर्थिक असमानता को कम करना:
बेरोजगारी और गरीबी को समाप्त करने के लिए ठोस योजनाओं को लागू करना होगा ताकि
लोग अपराध और हिंसा से दूर रहें।
5. सामाजिक विश्वास का
निर्माण: सरकार और जनता के बीच विश्वास बढ़ाना आवश्यक है। प्रशासन को पारदर्शी और
जवाबदेह बनाना होगा।
76वां गणतंत्र दिवस हमें यह सोचने पर मजबूर करता
है कि क्या हम वाकई उस आदर्श समाज की ओर बढ़ रहे हैं, जिसकी कल्पना हमारे संविधान
निर्माताओं ने की थी। "गण" और "गन" के बीच की इस लड़ाई में
हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि लोकतंत्र और जनता का शासन ही सर्वोपरि रहे। हमें
एक ऐसा भारत बनाना होगा जहां हर नागरिक सुरक्षित महसूस करे, न्याय तक हर किसी की पहुंच
हो, और "गणतंत्र" का असली अर्थ साकार हो सके।
आइए, इस गणतंत्र दिवस पर हम यह संकल्प लें कि हम अपने
संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करेंगे और "गण" के तंत्र को
पुनः मजबूत करेंगे। यही हमारे शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सच्ची
श्रद्धांजलि होगी।
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