सूर्य देव जब धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो उस दिन मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है।
सूर्य देव अमूमन 14 या 15 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश करते हैं।
इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जा रही है।
हिंदू धर्म ग्रंथों अनुसार इस त्योहार को मनाने के पीछे कई कारण है।
मकर संक्रांति त्यौहार से जुड़ी एक कथा बताती है कि जब पृथ्वी पर असुरों का आतंक काफी बढ़ गया था तब मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने असुरों का संहार किया और सभी को उनके आतंक से मुक्ति दिलाई थी।
कहते हैं भगवान विष्णु ने असुरों के सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था। मान्यता है कि, तभी से इस पर्व को नकारात्मकता को समाप्त करने वाले दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
मकर संक्रांति का महत्व (Makar Sankranti Ka Mahatva)
धार्मिक मान्यताओं अनुसार मकर संक्रांति के दिन जब भगवान सूर्य अपने बेटे शनि से मिलने जाते हैं तो इस दिन सभी तरह की नकारात्मकताएं और वाद-विवाद इत्यादि समाप्त हो जाते हैं। इस दिन सूर्य और शनि की पूजा करने से इंसान की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
मकर संक्रांति को उत्तरायण, खिचड़ी, पोंगल और बिहू के नाम से भी जाना जाता है। पूरे देश में यह पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। उत्तर भारत में मकर संक्रांति को खिचड़ी नाम से जाना जाता है और इस दिन घर-घर में खिचड़ी बनाई जाती है। वहीं बिहार में मकर संक्रांति के मौके पर दही-चूड़ा खाने की परंपरा है। मकर संक्रांति के दिन तिल जरूर खाना चाहिए।
मकर संक्रांति के रंग
पीला रंग – मान्यताओं के अनुसार पीला रंग देवी सरस्वती और भगवान विष्णु का प्रिय रंग होता है। ये रंग समृद्धि और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। मकर संक्रांति पर पीले कपड़े पहनने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
लाल रंग - लाल रंग शक्ति, साहस और आत्मविश्वास का प्रतिनिधित्व करता है। मकर संक्रांति पर लाल रंग पहनने से जीवन में उत्साह बढ़ता है। पूजा-अर्चना के दौरान लाल रंग पहनने से विशेष फल मिलता है और दैवी शक्तियां प्रभावित होती हैं।
हरा रंग – हरा रंग हरियाली और समृद्धि का प्रतीक होता है जो प्रकृति के साथ सामंजस्य और मन की शांति का बनाए रखता है। हरा रंग पहनने से जीवन में संतुलन और सुकून का अनुभव होता रहता है।
2 comments:
Nice
Thanks
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