Wednesday, January 22, 2025

क्या भारत अपनी शिक्षा पद्धति पर गर्व कर सकेगा?


आज का युग तकनीकी क्रांति का युग है। शिक्षा, जो किसी भी राष्ट्र की रीढ़ होती है, उसमें भी इस क्रांति का व्यापक प्रभाव पड़ रहा है। "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस" (ए.आई.) ने शिक्षा प्रणाली में सुविधाओं का अंबार लगा दिया है। विद्यार्थी से लेकर अध्यापक तक, सभी को अपने प्रश्नों के उत्तर पलक झपकते ही मिल जाते हैं। परंतु इस सुविधा के साथ एक गंभीर समस्या भी खड़ी हो रही है – शिक्षा का मूल उद्देश्य कहीं खोता नजर आ रहा है।


मानसिक विकास पर प्रभाव

ए.आई. का मुख्य कार्य है समय बचाना और जानकारी प्रदान करना। लेकिन विद्यार्थी अब ज्ञान प्राप्त करने के बजाय केवल उत्तर ढूंढने तक सीमित हो गए हैं। वे समस्या को हल करने की प्रक्रिया में शामिल नहीं हो रहे, जिससे उनकी रचनात्मक और तार्किक सोच का विकास अवरुद्ध हो रहा है।

  • गहराई में सीखने की कमी: जब हर सवाल का जवाब ए.आई. से तुरंत मिल जाता है, तो विद्यार्थी सीखने की प्रक्रिया में रुचि नहीं लेते। वे समस्या को समझने के बजाय सीधे समाधान को अपनाने में रुचि रखते हैं।
  • आत्मनिर्भरता का अभाव: विद्यार्थी केवल "कॉपी-पेस्ट" तक सीमित हो रहे हैं, जो लंबे समय में उनकी आत्मनिर्भरता को समाप्त कर सकता है।

अध्यापकों की भूमिका

अध्यापक, जो किसी भी शिक्षा प्रणाली की आत्मा होते हैं, आज ए.आई. पर निर्भर होते जा रहे हैं। प्रश्नों का उत्तर निकालने से लेकर पाठ योजना बनाने तक, ए.आई. का उपयोग हो रहा है। यह चिंताजनक है क्योंकि अध्यापक ही छात्रों को मूल्य आधारित शिक्षा देते हैं।

  • प्रेरणा देने की कमी: जब अध्यापक खुद ए.आई. पर निर्भर होंगे, तो वे छात्रों में सीखने के प्रति रुचि कैसे जगा पाएंगे?
  • संवादहीनता: अध्यापक और विद्यार्थियों के बीच संवाद घट रहा है क्योंकि सवाल और जवाब का रिश्ता ए.आई. संभाल रहा है।

भारत की शिक्षा पद्धति का भविष्य

भारत की शिक्षा प्रणाली, जिसे गुरुकुल और स्वाध्याय पर गर्व था, अब केवल परीक्षा और अंकों तक सीमित होती जा रही है। अगर यही स्थिति रही, तो क्या हम अपनी शिक्षा पद्धति पर गर्व कर सकेंगे?

  • गहन अध्ययन की आवश्यकता: कॉपी-पेस्ट संस्कृति को खत्म करने के लिए विद्यार्थियों को गहराई से अध्ययन करने की प्रेरणा देनी होगी।
  • व्यक्तित्व निर्माण पर जोर: शिक्षा केवल जानकारी नहीं है; यह व्यक्तित्व निर्माण का साधन है। ए.आई. इस कार्य में मदद कर सकता है, परंतु इसे पूरी तरह से सौंपना सही नहीं होगा।
  • रचनात्मकता और कौशल: विद्यार्थियों को रचनात्मक सोच, समस्या समाधान, और व्यावहारिक ज्ञान पर जोर देना होगा।

कॉपी-पेस्ट से जिंदगी यापन संभव नहीं

कॉपी-पेस्ट एक तात्कालिक समाधान हो सकता है, परंतु जीवन में सफलता के लिए कौशल, आत्मविश्वास और निर्णय लेने की क्षमता की आवश्यकता होती है। विद्यार्थी अगर केवल तैयार उत्तरों पर निर्भर रहेंगे, तो वे जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम नहीं होंगे।

  • प्रेरणा और स्वाध्याय: विद्यार्थियों को समझना होगा कि शिक्षा का असली उद्देश्य ज्ञान अर्जन है, न कि केवल उत्तर ढूंढना।
  • ए.आई. को साधन बनाएं, सहारा नहीं: ए.आई. को सहायक के रूप में उपयोग करें, लेकिन सोचने और समझने का कार्य खुद करें।

इन बिंदुओं और तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि भारत की शिक्षा प्रणाली को ए.आई. का सही उपयोग करना होगा, न कि उस पर पूरी तरह निर्भर होना। विद्यार्थियों और अध्यापकों को यह समझना होगा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल परीक्षा पास करना नहीं, बल्कि एक ऐसा नागरिक बनाना है जो समाज और देश के लिए उपयोगी हो।

यदि हम समय रहते चेत गए और शिक्षा को सही दिशा में ले जाने का प्रयास किया, तो हमारा भारत अपनी शिक्षा पद्धति पर गर्व कर सकेगा। अन्यथा, कॉपी-पेस्ट की यह संस्कृति हमारी पहचान को खो देगी।

 

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