Wednesday, March 5, 2025

कब सभ्य होंगे हम?


 कब सभ्य होंगे हम?

सभ्यता का असली अर्थ

सभ्यता केवल ऊँची इमारतें, आधुनिक तकनीक, और आर्थिक उन्नति तक सीमित नहीं है। एक सच्चे सभ्य समाज की पहचान उसके नैतिक मूल्यों, मानवीय संवेदनाओं और न्यायप्रियता से होती है। लेकिन जब हम आज के समाज की स्थिति पर नज़र डालते हैं, तो हमें यह सोचने पर मजबूर होना पड़ता है – क्या हम वास्तव में सभ्य हैं, या सभ्यता केवल एक भ्रम है?

असभ्यता के प्रमाण

हमारी रोजमर्रा की खबरें, सड़क पर होने वाली घटनाएँ, और समाज में व्याप्त हिंसा यह दर्शाती है कि हम तकनीकी रूप से आगे बढ़ गए हैं, लेकिन नैतिक रूप से पिछड़ते जा रहे हैं। आज भी—

  • बलात्कार, हत्या, चोरी, और हिंसा आम बात हो गई है।
  • धर्म और जाति के नाम पर लोग एक-दूसरे का खून बहाने को तैयार हैं
  • सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति की मदद करने से पहले लोग वीडियो बनाना ज्यादा जरूरी समझते हैं
  • नफरत, ईर्ष्या, और लालच ने मानवीय संवेदनाओं को कुचल दिया है।

विकास के साथ नैतिकता का पतन

आज हम विज्ञान और तकनीक में तो आगे बढ़ गए हैं, लेकिन मानवीय दृष्टिकोण से पीछे हटते जा रहे हैं। हम चाँद पर घर बनाने की सोच रहे हैं, लेकिन ज़मीन पर इंसानियत खो रहे हैं

  • पारिवारिक मूल्य कमजोर हो रहे हैंमाता-पिता वृद्धाश्रमों में और बच्चे मोबाइल और सोशल मीडिया की दुनिया में खोए हुए हैं।
  • महिलाओं की सुरक्षा आज भी एक बड़ा सवाल है जहाँ उन्हें देवी मानकर पूजा जाता है, वहीं उनके खिलाफ अत्याचार की घटनाएँ भी बढ़ रही हैं।
  • धर्म और जाति के नाम पर समाज में दरार बढ़ती जा रही हैक्या यही हमारी सभ्यता की परिभाषा होनी चाहिए?

क्या हमें स्वयं को सभ्य कहने का हक़ है?

यदि सभ्यता का अर्थ केवल बाहरी दिखावे और भौतिक विकास तक सीमित है, तो हम शायद सभ्य बन चुके हैं। लेकिन यदि सभ्यता का अर्थ समानता, करुणा, प्रेम और न्याय से है, तो हमें अभी भी एक लंबा सफर तय करना है।

सभ्यता की ओर पहला कदम

  1. संस्कार और नैतिक शिक्षा को मजबूत करेंबच्चों को सिखाएँ कि तकनीक से पहले मानवीयता जरूरी है।
  2. समाज में जागरूकता फैलाएँजाति, धर्म, और लिंग के भेदभाव से ऊपर उठकर एक-दूसरे का सम्मान करें।
  3. दूसरों की मदद को प्राथमिकता देंचाहे सड़क पर कोई घायल हो या कोई जरूरतमंद मदद माँग रहा हो, संवेदनशील बनें।
  4. कानून का पालन करें और न्याय का सम्मान करेंअपने अधिकारों के साथ-साथ दूसरों के अधिकारों की भी कद्र करें।

निष्कर्ष

सभ्यता केवल दिखावे की चीज़ नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह हमारे विचारों, कर्मों और समाज में किए गए योगदान से परिभाषित होनी चाहिए। जब हर व्यक्ति अपने अंदर मानवता, करुणा और सम्मान को सर्वोपरि रखेगा, तभी हम सच में सभ्य कहलाने के हकदार होंगे।

तो सवाल यह है – हम कब सभ्य होंगे? और इसका उत्तर है – जब हम सच में इंसान बनेंगे।

 

4 comments:

Anonymous said...

केवल इंसान होना ही नहीं सभ्य इंसान होना अधिक आवश्यक है...क्योंकि सभ्य इंसान,बेहतर देश की पहचान💐🙏

Director, EDU-STEP FOUNDATION said...

बहुत खूब

Anonymous said...

Bahut khoob

Anonymous said...

ज़िन्दगी ज़िंदाबाद