लाला हरदयाल स्मृति दिवस:भूली हुई विरासत को सहेजने की जरूरत
देशभक्ति और बलिदान की
अद्वितीय मिसाल
4 मार्च को हम लाला हरदयाल स्मृति दिवस मनाते हैं, लेकिन यह खेदजनक है कि देश के अधिकांश लोग उन्हें भूल चुके हैं। लाला हरदयाल
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के ऐसे महानायक थे, जिन्होंने न केवल भारत में, बल्कि विदेशों
में भी स्वतंत्रता की ज्योति जलाने का कार्य किया। वे क्रांतिकारी, विचारक, समाज सुधारक और
प्रखर राष्ट्रवादी थे।
आज, जब हम
स्वतंत्रता का आनंद ले रहे हैं, यह जरूरी है कि
हम उन वीरों को याद करें
जिन्होंने अपने सुख-सुविधा त्यागकर राष्ट्र की आज़ादी के लिए संघर्ष किया। उनके विचार
और सिद्धांत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने स्वतंत्रता संग्राम के समय थे।
लाला हरदयाल: एक अद्वितीय
राष्ट्रवादी विचारक
14 अक्टूबर 1884 को दिल्ली में जन्मे लाला
हरदयाल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली में प्राप्त की और आगे की पढ़ाई के लिए
ब्रिटिश शासन के दौरान ऑक्सफोर्ड
विश्वविद्यालय गए। लेकिन वहाँ
से उन्होंने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष करने का संकल्प लिया और भारतीय
स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए।
ग़दर आंदोलन और उनकी भूमिका
- ग़दर पार्टी का नेतृत्व:
- उन्होंने अमेरिका और कनाडा में बसे भारतीयों को संगठित कर
स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।
- सैन फ्रांसिस्को में
उन्होंने 'ग़दर' नामक समाचार पत्र की शुरुआत की, जिसने भारतीय क्रांतिकारियों को प्रेरणा दी।
- शिक्षा और समाज सुधार:
- लाला हरदयाल का मानना
था कि शिक्षा और आत्मनिर्भरता ही किसी भी राष्ट्र की असली
शक्ति होती है।
- उन्होंने भारतीय
युवाओं में राष्ट्रवाद और आत्मसम्मान की भावना जागृत करने
के लिए अनेक विचार प्रस्तुत किए।
देश उन्हें क्यों भूलता जा
रहा है?
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतिहास के पन्नों से लाला हरदयाल जैसे महान क्रांतिकारियों
की गाथाएं धुंधली होती जा रही हैं।
- स्कूली पाठ्यक्रमों में उनकी गाथा को सीमित कर दिया
गया है।
- उनके योगदान पर सरकार और समाज में जागरूकता का अभाव
है।
- नई पीढ़ी केवल कुछ प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानियों तक
ही सीमित रह गई है।
कैसे संजोएं उनकी विरासत?
- शिक्षा में समावेश:
- स्कूली पाठ्यक्रमों
में लाला हरदयाल और अन्य भूले-बिसरे नायकों के योगदान को विशेष रूप से शामिल
किया जाना चाहिए।
- सार्वजनिक स्मरणोत्सव:
- हर साल उनके योगदान
को याद करने के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर स्मृति दिवस का आयोजन किया जाना चाहिए।
- डिजिटल प्रचार:
- सोशल मीडिया और
डिजिटल प्लेटफार्मों पर उनकी जीवनी और योगदान के बारे में अधिक
जानकारी साझा की जानी चाहिए।
देश के लिए उनकी प्रेरणा आज
भी प्रासंगिक
आज भी लाला हरदयाल के विचार हमें प्रेरित करते
हैं:
- राष्ट्रभक्ति को सर्वोपरि रखना।
- स्वतंत्रता की रक्षा के लिए शिक्षित और आत्मनिर्भर
बनना।
- सामाजिक समानता और न्याय को बढ़ावा देना।
निष्कर्ष: देश को जागरूक
करने की जरूरत
लाला हरदयाल केवल एक क्रांतिकारी नहीं, बल्कि एक विचारधारा थे। उनका जीवन हमें त्याग, समर्पण और स्वतंत्रता के प्रति अडिग संकल्प का पाठ पढ़ाता है।
आज जब हम स्वतंत्रता का आनंद ले रहे हैं, हमें उनकी याद में सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि पूरी जिंदगी
उनके विचारों को आत्मसात करना चाहिए।
देश उन्हें भूले नहीं, बल्कि उन्हें नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनाए—यही
उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
2 comments:
हृदयतल की गहराइयों से श्रद्धांजलि💐🙏
aabhaar
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