शिक्षा की ज़िम्मेदारी केवल शिक्षकों पर ही क्यों? : आचार्य रमेश सचदेवा
विचारपूर्ण लेख
शिक्षा किसी भी समाज की रीढ़ होती है, परन्तु क्या इसकी सम्पूर्ण ज़िम्मेदारी केवल शिक्षकों पर ही डाली जा सकती है? वर्तमान परिदृश्य में जब सरकारें आये दिन नियमों, नीतियों और पाठ्यक्रमों में बदलाव कर रही हैं, तब यह प्रश्न और भी अधिक प्रासंगिक हो जाता है।
आज शिक्षकों से अपेक्षा की जाती है कि वे एक साथ शिक्षक, मार्गदर्शक, प्रशासक, काउंसलर और कभी-कभी तो अभिभावक की भूमिका भी निभायें। लेकिन जब नीतियाँ बार-बार बदली जाती हैं, तो शिक्षक, अभिभावक और विद्यार्थी—सभी भ्रमित और तनावग्रस्त हो जाते हैं। हर नया नियम या पाठ्यक्रम एक नई तैयारी की माँग करता है, जिससे शिक्षक का मुख्य कार्य—ज्ञान का प्रभावी संप्रेषण—पीछे छूट जाता है।
इन बदलावों का सबसे बड़ा प्रभाव शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ता है। पाठ्यक्रम का बार-बार बदलना केवल रटंत प्रणाली को ही बढ़ावा देता है, क्योंकि समय की कमी में शिक्षकों को गहराई से पढ़ाने का अवसर नहीं मिल पाता। परिणामस्वरूप, बच्चों की सोचने, समझने और प्रश्न पूछने की क्षमता सीमित हो जाती है।
इसके अतिरिक्त, शिक्षा का एक और पक्ष आज ‘आंकड़ों का खेल’ बन चुका है। किस विद्यालय में कितने प्रवेश हुए, कितने बच्चे पास हुए, कितने प्रतिशत अंक आये—इन आँकड़ों की होड़ ने शिक्षा को दिशाहीन बना दिया है। नीति निर्धारकों का ध्यान परिणामों के बजाय प्रक्रिया पर होना चाहिए, परन्तु दुर्भाग्यवश वे सिर्फ़ आँकड़ों की रोशनी में सफलता को आंकते हैं।
शिक्षा केवल स्कूल की चारदीवारी में सीमित नहीं है। इसमें सरकार, समाज, अभिभावक और मीडिया की भी बराबर की भागीदारी होनी चाहिए। यदि शिक्षा व्यवस्था को सही दिशा देनी है तो शिक्षक को एक सहयोगी के रूप में देखना होगा, न कि सम्पूर्ण व्यवस्था का अकेला भार वहन करने वाला।
समाज को यह समझना होगा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा केवल पाठ्यपुस्तकों या बोर्ड के आदेशों से नहीं आती—यह एक साझा प्रयास से जन्म लेती है, जिसमें नीति, योजना, संसाधन, सम्मान और समय—सभी की भूमिका होती है।
निष्कर्षतः, जब तक शिक्षा को केवल शिक्षकों की जिम्मेदारी मानकर नीति निर्धारण किया जाएगा, तब तक न शिक्षक अपना सर्वश्रेष्ठ दे पाएंगे और न ही विद्यार्थी अपनी पूर्ण संभावनाओं को प्राप्त कर पाएंगे। ज़रूरत है एक समन्वित, संवेदनशील और दीर्घकालिक दृष्टिकोण की।
2 comments:
You had no match sir 🙏🙏
Bahut khoob vichar h shriman ji . Inki or dhian dene ki sakhat jaroorat h . 🙌🏻🙌🏻🙌🏻
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