Thursday, March 27, 2025

विश्व रंगमंच दिवस पर विशेष लेख "ज़िंदगी एक रंगमंच है – और हम सब उसमें कलाकार हैं" ✍️ आचार्य रमेश सचदेवा

 


विश्व रंगमंच दिवस पर विशेष लेख   

"ज़िंदगी एक रंगमंच है – और हम सब उसमें कलाकार हैं"     
✍️ आचार्य रमेश सचदेवा

"सारा जहां एक रंगमंच है, और हम सब उस पर अपने-अपने किरदार निभा रहे हैं..."      
शेक्सपियर की यह प्रसिद्ध पंक्ति केवल साहित्यिक सौंदर्य नहीं, बल्कि जीवन की गहराई को भी दर्शाती है।
हर व्यक्ति एक अभिनेता है, जो सामाजिक रिश्तों, कर्तव्यों, जिम्मेदारियों और परिस्थितियों के मंच पर अपना अभिनय प्रस्तुत कर रहा है — कभी खुशी, कभी संघर्ष, कभी मौन, तो कभी विद्रोह।

27 मार्च – विश्व रंगमंच दिवस (World Theatre Day)   
यह दिन केवल रंगमंच के मंचीय कलाकारों का उत्सव नहीं, बल्कि मानव अभिव्यक्ति, संवेदनाओं की शक्ति और समाज को आईना दिखाने वाले माध्यम की सराहना का दिन है।

🎭 रंगमंच: केवल मंच नहीं, समाज का दर्पण

रंगमंच उस कला का नाम है जो निराकार भावनाओं को साकार रूप देता है।      
यह वह माध्यम है जहां—

  • वास्तविकता बिना पर्दे के आती है,
  • संवेदना का स्पर्श आंखों से झलकता है,
  • और समाज के प्रश्न बिना शोर के उठाए जाते हैं

रंगमंच केवल मनोरंजन नहीं, एक जागृति हैजो सोच को झकझोरता है,
हंसी के पीछे छुपे दर्द को दिखाता है और चुप्पी के पीछे छिपे सवालों को उजागर करता है।

🎭 जीवन: एक विशाल मंच

हर व्यक्ति एक जीवंत नाटक का हिस्सा है —

  • एक बच्चा स्कूल में विद्यार्थी का किरदार निभाता है,
  • एक माता-पिता त्याग और अनुशासन का पात्र बनते हैं,
  • एक शिक्षक मार्गदर्शन की भूमिका में होता है,
  • और एक नागरिक अपने अधिकारों और कर्तव्यों के द्वंद्व में जीता है।

हम रोज़ नए परिधान पहनते हैं — कभी मजबूरी के, कभी महत्वाकांक्षा के, कभी प्रेम के, कभी विरोध के।

तो क्या यह जीवन ही रंगमंच नहीं है?

विश्व रंगमंच दिवस की प्रासंगिकता

आज जब सोशल मीडिया, कृत्रिमता और दिखावे की दुनिया हावी हो रही है,      
रंगमंच हमें सजीवता, सचाई और मानवता की याद दिलाता है।

  • यह हमें सिखाता है भावनाओं को जीना,
  • दूसरों के नजरिए से दुनिया को देखना,
  • और समाज की अनकही बातों को आवाज़ देना।

📝 अत:: हर दिल में एक मंच है

रंगमंच का सम्मान केवल कलाकारों का नहीं — 
यह हर संवेदनशील मन, हर सजग विचार, और साहसी अभिव्यक्ति का सम्मान है।

विश्व रंगमंच दिवस पर आइए संकल्प लें —   
कि हम जीवन रूपी मंच पर अपने अभिनय को
ईमानदारी, करुणा और जागरूकता के साथ निभाएंगे।

क्योंकि पर्दा भले ही गिर जाए, पर किरदार अमर हो जाते हैं।

 

1 comment:

Anonymous said...

Bahut achha lekh likha h jisme Bahut khoob vichar diay h . Aise hi lekh likhte rho taaki ek achhe smaj ka sirjan ho .