Wednesday, March 12, 2025

"किडनी: शरीर की खामोश योद्धा — और हमारी जिम्मेदारी": आचार्य रमेश सचदेवा

 


"किडनी: शरीर की खामोश योद्धा — और हमारी जिम्मेदारी": आचार्य रमेश सचदेवा      

विश्व किडनी दिवस पर भारत की स्थिति पर एक दृष्टि

विश्व किडनी दिवस हर वर्ष मार्च के दूसरे गुरुवार को मनाया जाता है, ताकि लोगों को गुर्दों (किडनी) के स्वास्थ्य, उनकी अहमियत और उनसे जुड़ी बीमारियों के प्रति जागरूक किया जा सके। विश्व किडनी दिवस न केवल गुर्दा स्वास्थ्य के महत्व को उजागर करता है, बल्कि यह दिन एक चेतावनी भी है — कि अब समय आ गया है जब हम किडनी जैसे खामोश अंग की ओर गंभीरता से ध्यान दें। भारत जैसे विशाल देश में जहां जनसंख्या, जीवनशैली और स्वास्थ्य सेवाओं की विषमता एक गंभीर विषय है, वहां किडनी संबंधी रोग तेजी से बढ़ते एक ‘साइलेंट संकट’ बनते जा रहे हैं।

भारत में बढ़ती चिंता

आज भारत में हर उम्र का व्यक्ति — बच्चे, युवा, वृद्ध, पुरुष और महिलाएंकिडनी रोगों की चपेट में आ रहा है।

किडनी खराब होने के प्रमुख लक्षण:   
किडनी धीरे-धीरे खराब होती है और कई बार कोई लक्षण दिखाई नहीं देते जब तक स्थिति गंभीर न हो जाए। लेकिन कुछ सामान्य संकेत ऐसे हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए:

बार-बार पेशाब आना (विशेषकर रात में), पेशाब में झाग या खून आना, पैरों, टखनों और चेहरे पर सूजन

थकान और कमजोरी महसूस होना (ब्लड फिल्टर न होने से शरीर में टॉक्सिन्स जमा होते हैं)

सांस फूलना या छाती में जकड़न (शरीर में फ्लूइड जमा होने से), त्वचा में खुजली और रूखापन, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, हाई ब्लड प्रेशर का बढ़ना (किडनी खुद भी ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करती है), पेशाब का रंग बदलना – गहरा पीला, भूरा या लाल होना

डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, अत्यधिक दवाओं का सेवन (विशेषकर पेनकिलर्स), मिलावटी खाद्य पदार्थ, दूषित जल और अनुशासनहीन जीवनशैली किडनी के प्रमुख शत्रु बन गए हैं।

आंकड़ों के अनुसार, भारत में अनुमानित तौर पर प्रत्येक 10 व्यक्तियों में से 1 व्यक्ति किसी न किसी स्तर की किडनी बीमारी (क्रॉनिक किडनी डिजीज) से ग्रसित है। दुर्भाग्यवश, अधिकांश लोग तब अस्पताल पहुंचते हैं जब किडनी 70–80% तक खराब हो चुकी होती है। किडनी की बीमारी प्रायः बिना लक्षणों के शुरू होती है — यही इसे और खतरनाक बनाता है।

बच्चे और महिलाएं भी नहीं अछूते

जहां पहले यह रोग वृद्धों में अधिक देखा जाता था, वहीं अब बच्चों में जन्मजात समस्याएं, युवाओं में जीवनशैली आधारित किडनी रोग, और महिलाओं में यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) प्रेगनेंसी के दौरान किडनी पर दबाव जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।

समाधान क्या है?

  • नियमित स्वास्थ्य जांच (especially blood pressure, sugar और creatinine test)
  • प्राकृतिक भोजन और पर्याप्त जल सेवन
  • पेनकिलर्स, स्टेरॉयड्स और आयुर्वेदिक दवाओं का अंधाधुंध प्रयोग बंद
  • स्वच्छता और साफ पानी की व्यवस्था
  • व्यायाम और तनावमुक्त जीवनशैली

सामाजिक स्तर पर जागरूकता आवश्यक

सरकार और स्वास्थ्य संस्थानों को ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में मुफ्त स्क्रीनिंग कैंप, स्कूल-कॉलेज जागरूकता अभियान और प्राथमिक स्तर पर किडनी चेकअप की सुविधाएं  शुरू करनी चाहिए।

किडनी — शरीर की दो छोटी संरचनाएं — एक प्रकार से देखा जाए तो खामोश योद्धा है जो दिन-रात हमारे शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालती हैं। पर जब तक ये थक न जाएं, ये शिकायत नहीं करतीं।
इसलिए इस खामोश अंग की आवाज़ बनने का जिम्मा हमारा है।

आज, विश्व किडनी दिवस पर हम सबको यह संकल्प लेना चाहिए:     
"किडनी की सुनो, जीवन को बचाओ। समय रहते जांच कराओ।"

सजग रहिए, स्वस्थ रहिए।

3 comments:

Anonymous said...

Very well explained . Thanks you.

Anonymous said...

Thanks

Sudesh Kumar Arya said...

Today, there is an awareness article on World Kidney Day, for which you deserve praise