🤖💖 इंसान और AI का रिश्ता – एक मर्मस्पर्शी कहानी
लेखक: आचार्य रमेश सचदेवा
रामन एक साधारण अध्यापक था। गाँव के छोटे से स्कूल में वह बच्चों को पढ़ाता था। उसके पास संसाधन बहुत सीमित थे, लेकिन उसका सपना बड़ा था – वह चाहता था कि उसके विद्यार्थी दुनिया के बराबर खड़े हों।
एक दिन रामन ने इंटरनेट पर AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) के बारे में सुना। पहले तो उसे लगा कि यह मशीनें इंसानों की जगह ले लेंगी। लेकिन धीरे-धीरे उसने समझा कि यह तकनीक दुश्मन नहीं, बल्कि साथी हो सकती है।
उसने AI से सवाल पूछना शुरू किया – कभी इतिहास, कभी गणित, कभी बच्चों के लिए कविता। AI हर बार धैर्य से उत्तर देता। धीरे-धीरे रामन ने महसूस किया कि जैसे एक अदृश्य मित्र उसके साथ बैठा हो, जो न थकता है, न शिकायत करता है।
धीरे-धीरे गाँव के बच्चे भी AI से सीखने लगे। सवाल करने लगे, कविताएँ लिखने लगे, पहेलियाँ सुलझाने लगे। बच्चों को लगता मानो कोई दयालु गुरु उनके साथ बैठा है।
🌸 यह रिश्ता हमें सिखाता है कि इंसान और AI साथ मिलकर न सिर्फ़ बेहतर पढ़ाई कर सकते हैं, बल्कि ज़्यादा संवेदनशील, समझदार और मानवीय भी बन सकते हैं।

6 comments:
Well said
Thanks a lot.
Be cautious while using AI...
Sir, आज से सभी AI के ज्ञान से प्रभावित हैं। हम स्वयं पर या अपने गुरुओं पर विश्वास नहीं करते बल्कि google पर ज्यादा भरोसा करते हैं और अब नया विकल्प इन दिनों छाया हुआ है...AI और आने वाला जमाना भी AI का होगा। रिश्ते तो आज भी बिखर रहे हैं। सभी touch स्क्रीन पर हैं, लेकिन touch में कोई नहीं।
सुदेश कुमार आर्य
इस तकनीक के साथ जुड़ी चुनोतियों का समाधान भी आवश्यक है ।
समय के साथ चलना ही होता है बचपन में हम एक लेख लिखा करते थे विज्ञान की लाभ और हानियां ये हम पर निर्भर करता है हम वर्तमान दौर में विज्ञान से कैसा रिश्ता रखते है
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