Sunday, August 17, 2025

नेताजी सुभाषचंद्र बोस: एक अद्वितीय जीवनगाथा

 


           ✨ नेताजी सुभाषचंद्र बोस: एक अद्वितीय जीवनगाथा

लेखक : आचार्य रमेश सचदेवा

"तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा"

नेताजी सुभाषचंद्र बोस, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वो अमर योद्धा थे, जिन्होंने न केवल अंग्रेज़ी हुकूमत को ललकारा, बल्कि भारतवासियों के दिलों में आज़ादी की लौ को और प्रज्वलित किया। आज उनकी पुण्यतिथि पर हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके जीवन की 28 प्रमुख घटनाओं को स्मरण करते हैं:

नेताजी के जीवन के 35 प्रेरणादायक बिंदु

  1. जन्म और परिवार नेताजी का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में एक समृद्ध बंगाली परिवार में हुआ। उनके पिता जानकीनाथ बोस मशहूर वकील थे और माँ प्रभावती देवी धार्मिक महिला थीं।
  2. बचपन से ही राष्ट्रप्रेमउन्होंने बहुत कम उम्र में भारत माता के चित्र पर माला चढ़ाकर प्रण लिया था कि देश के लिए कुछ बड़ा करेंगे।
  3. शिक्षाप्रारंभिक शिक्षा कटक के रेवेंशॉ कॉलेजिएट स्कूल से हुई।
  4. उच्च शिक्षा – 1913 में कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया, लेकिन देशभक्ति के जुनून के चलते अंग्रेज़ प्रोफेसर के अपमानजनक व्यवहार के खिलाफ आवाज़ उठाई और कॉलेज से निष्कासित हो गए।
  5. ICS की परीक्षा – 1920 में उन्होंने इंग्लैंड जाकर भारतीय प्रशासनिक सेवा (ICS) की परीक्षा पास की और चौथा स्थान प्राप्त किया।
  6. सरकारी नौकरी ठुकराईअंग्रेज़ों की गुलामी स्वीकार नहीं थी, इसलिए उन्होंने नौकरी लेने से इनकार कर दिया।
  7. स्वदेश वापसी और राजनीति में प्रवेश – 1921 में भारत लौटे और चितरंजन दास के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े।
  8. 'फॉरवर्ड' पत्रिका की स्थापनायुवाओं को जागरूक करने के लिए एक क्रांतिकारी पत्र शुरू किया।
  9. कोलकाता मेयर चुने गएयुवावस्था में ही वे कोलकाता के मेयर बने और प्रशासनिक दक्षता का परिचय दिया।
  10. कई बार जेल यात्राअंग्रेज़ों द्वारा उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया, पर कभी विचलित नहीं हुए।
  11. जवाहरलाल नेहरू के समकक्ष – 1927 में नेहरू के साथ कांग्रेस के महासचिव बने।
  12. अखिल भारतीय कांग्रेस अध्यक्ष – 1938 में हरिपुरा अधिवेशन में अध्यक्ष चुने गए।
  13. 1939 में पुनः अध्यक्ष लेकिन मतभेदगांधी जी के उम्मीदवार पट्टाभि सीतारमैया को हराया, जिससे मतभेद हुआ और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
  14. 'फॉरवर्ड ब्लॉक' की स्थापनाकांग्रेस छोड़ने के बाद भी स्वतंत्रता की लड़ाई से नहीं हटे।
  15. गोपनीय रूप से भारत से प्रस्थान – 1941 में अंग्रेज़ों की नजरबंदी से भागकर जर्मनी पहुँचे।
  16. हिटलर से मुलाकातउन्होंने एडोल्फ हिटलर से मिलकर भारत की आज़ादी के लिए समर्थन मांगा।
  17. आजाद हिंद रेडियो की स्थापनाभारतवासियों को विदेशों में संबोधित करने के लिए रेडियो स्टेशन शुरू किया।
  18. भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) की पुनर्स्थापनाजापान पहुँचकर रास बिहारी बोस से सेना का नेतृत्व संभाला।
  19. 'दिल्ली चलो' का नाराउन्होंने प्रेरणादायक नारा दिया: "दिल्ली चलो!"
  20. 'जय हिंद' और 'आजाद हिन्द फौज'इन शब्दों को उन्होंने भारत के संघर्ष का प्रतीक बना दिया।
  21. महिलाओं की भूमिकारानी लक्ष्मीबाई रेजिमेंट बनाकर महिलाओं को भी सशस्त्र संघर्ष में शामिल किया।
  22. सिंगापुर में आज़ाद हिंद सरकार की घोषणा – 21 अक्टूबर 1943 को स्वतंत्र सरकार की स्थापना की गई।
  23. स्वतंत्र भारत का नक्शा और मंत्रिमंडलउन्होंने प्रधानमंत्री सहित पूरे स्वतंत्र भारत का खाका घोषित किया।
  24. अंडमान-निकोबार द्वीपों को स्वतंत्र घोषित कियाइन्हें 'शहीद' और 'स्वराज' नाम दिया गया।
  25. जापान के साथ रणनीतिक संबंधसैन्य और आर्थिक समर्थन जुटाया।
  26. गांधी जी को ‘राष्ट्रपिता’ कहने वाले पहले नेतायह संबोधन उन्होंने बर्लिन से एक प्रसारण में दिया।
  27. गंभीर बीमारियाँ सहींफौज में रहते हुए उन्होंने मलेरिया और अन्य कठिनाइयों का सामना किया।
  28. सुभाष बाबू की रहस्यमयी मृत्यु – 18 अगस्त 1945 को ताइवान में विमान दुर्घटना में मृत्यु की खबर आई, लेकिन आज तक रहस्य बना हुआ है।
  29. नेताजी की विचारधाराउनका मानना था कि स्वतंत्रता बलिदान से मिलती है, प्रार्थनाओं से नहीं।
  30. युवाओं के प्रेरणास्रोतआज भी उनके नारों से युवा वर्ग ऊर्जा प्राप्त करता है।
  31. शिष्टाचार और अनुशासन के प्रतीक अंग्रेज़ भी उनके नेतृत्व और व्यवहार से प्रभावित रहते थे।
  32. विश्व राजनीति की समझहिटलर, मसोलीनी, टोजो जैसे विश्व नेताओं से मुलाकात कर अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाया।
  33. 'नेताजी' की उपाधिउन्हें यह उपाधि जर्मनी और जापान के सैनिकों ने दी थी।
  34. सदियों तक अमर प्रेरणाउनका जीवन, निर्णय और नेतृत्व आज भी भारत के लिए पथप्रदर्शक हैं।

35.  नेताजी स्मृति दिवसआज भी लाखों देशवासी उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

💬 नेताजी से आज क्या सीखें?

  • निर्भीकता: विपरीत परिस्थितियों में भी नेतृत्व की भावना।
  • आत्मबल: अपनी राह स्वयं चुनने की शक्ति।
  • राष्ट्रीयता: भारत की स्वतंत्रता को सर्वोपरि मानना।
  • वैचारिक दृढ़ता: गांधीजी से मतभेद के बावजूद आदर बनाए रखा।
  • वैश्विक दृष्टिकोण: दुनिया के देशों से सहयोग प्राप्त करने की कोशिश।

🙏 श्रद्धांजलि

नेताजी के विचार आज भी हमें प्रेरणा देते हैं। उनकी पुण्यतिथि पर हम सबको यह संकल्प लेना चाहिए कि हम उनके आदर्शों पर चलकर अपने देश, समाज और परिवार को मजबूत बनाएँ।

🕯️ जय हिंद! नेताजी अमर रहें!

 

1 comment:

Dr K S Bhardwaj said...

दिल्ली चलो, जयहिंद