पिंगली वेंकैया: भारतीय तिरंगे के निर्माता पर एक प्रेरणादायक लेख
(2 अगस्त 1876 – 4 जुलाई 1963)
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लेखक – आचार्य
रमेश सचदेवा
भारत के राष्ट्रीय ध्वज को देख कर हर भारतीय का
सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। इस गौरवशाली प्रतीक का श्रेय जिस महान व्यक्तित्व
को जाता है, वह हैं पिंगली वेंकैया — तिरंगे के मूल डिज़ाइनर। आज
जब हम उनकी जन्म जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, तो यह आवश्यक
है कि हम उनके जीवन के संघर्ष, सेवा और योगदान को समझें।
🎓 प्रारंभिक जीवन व शिक्षा
पिंगली वेंकैया का जन्म 2
अगस्त 1876 को आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम
(मद्रास प्रेसीडेंसी) में हुआ था। वे एक बहुआयामी
प्रतिभा के धनी थे — स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद,
भाषाविद, भूगोलवेत्ता और सैनिक। वे अफ्रीका में ब्रिटिश
सेना के अंतर्गत बोअर युद्ध में भी शामिल
हुए, जहाँ से लौटने के बाद उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन की ओर कदम बढ़ाया।
तिरंगे की रचना की प्रेरणा
वेंकैया जी को यह महसूस हुआ कि भारत को
स्वतंत्रता आंदोलन के लिए एक साझा प्रतीक की आवश्यकता है। उन्होंने कई वर्षों तक
भारतीय ध्वज के डिज़ाइन पर शोध किया। उन्होंने गांधी जी के सामने 1921 में एक झंडे का प्रारूप प्रस्तुत किया, जिसमें लाल और हरे रंग के दो पट्टियाँ थीं जो भारत के
प्रमुख समुदायों का प्रतिनिधित्व करती थीं। बाद में गांधी जी के
सुझाव पर उसमें सफेद रंग और चरखा जोड़ा गया।
उनकी इस रचना को समय-समय पर संशोधित किया गया,
और अंततः 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा द्वारा जिसे अपनाया गया, वह भारतीय
राष्ट्रीय ध्वज के रूप में प्रसिद्ध हुआ — त्रिरंगा,
जिसमें केसरिया, सफेद और हरा रंग होता है,
और बीच में नीले रंग का अशोक चक्र।
📚 विद्वता और बहुभाषाविद
पिंगली वेंकैया एक महान विद्वान भी थे। उन्होंने अंग्रेज़ी, हिंदी, संस्कृत, उर्दू, जापानी और कई
दक्षिण भारतीय भाषाओं का अध्ययन किया था।
उन्होंने राष्ट्रीय झंडे पर शोध आधारित एक पुस्तक भी प्रकाशित की थी — "A National Flag
for India."
🕯️ उपेक्षा और अंत
यह विडंबना है कि जिस महान व्यक्ति ने हमें एकता
और स्वाभिमान का प्रतीक दिया, उन्हें स्वतंत्रता के बाद वह सम्मान नहीं मिला जिसके वे
हकदार थे। 4 जुलाई 1963 को उनकी मृत्यु गुमनामी और गरीबी में हुई।
हालांकि आज भारत सरकार और देशवासियों ने उनके
योगदान को पुनः पहचाना है, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम अपने असली नायकों को केवल एक दिन नहीं, बल्कि हर दिन स्मरण करें।
पिंगली वेंकैया न केवल तिरंगे के निर्माता थे, बल्कि वे भारतीय चेतना, परिश्रम और देशभक्ति के
प्रतीक हैं। उनका जीवन हमें सिखाता है कि एक विचार,
एक रंग और एक संकल्प भी पूरे राष्ट्र को जोड़ सकता है।
आज जब हम तिरंगे को गर्व से लहराते हैं, तो उसमें छिपा
होता है — पिंगली जी का सपना, संघर्ष और समर्पण।
पिंगली वेंकैया अमर रहें!
6 comments:
दिल से सलाम🙏
Should be brought to the knowledge of all the Indians. Salute to a great visionary.
यही वह लोग हैं जो वास्तव में "नीम की ईट" कहलाते हैं l
बिल्कुल जी । धन्यवाद
Very important and useful information.
तह दिल से आभार
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