🌟 जब आवाज़ बन जाए ज़िंदगी – किशोर दा को सलाम 🌟
लेखक: आचार्य रमेश सचदेवा
कुछ आवाज़ें होती हैं... जो सिर्फ़ कानों से नहीं, दिल से सुनी जाती हैं। कुछ इंसान होते हैं... जो सिर्फ़
ज़िंदा नहीं रहते, बल्कि हर लम्हा
हमारे साथ चलते हैं। किशोर कुमार उन्हीं विरलों में से एक थे — जिनकी आवाज़, उनकी मुस्कान, उनकी मस्ती और
उनकी उदासी... सब कुछ हमारे जीवन का हिस्सा बन चुकी है।
🎶 गायक नहीं, एहसास थे किशोर दा
"रुक जाना नहीं
तू कहीं हार के..."
यह गीत जितना प्रेरणादायक है, उतना ही किशोर
दा के जीवन का प्रतिबिंब भी। संघर्षों से भरे जीवन में उन्होंने कभी रुकना नहीं
सीखा। न संगीत की कोई परंपरा, न शास्त्रीय
प्रशिक्षण — फिर भी उन्होंने वो जादू रचा जो पीढ़ियों तक अमर रहेगा।
🌿 एक बहुरूपिया कलाकार
गायक, अभिनेता, निर्देशक, संगीतकार, निर्माता और लेखक — किशोर कुमार बहुआयामी प्रतिभा के धनी
थे। उनकी फिल्म चलती का नाम
गाड़ी हो या पड़ोसन, उन्होंने अभिनय में भी उतनी ही जीवंतता दिखाई जितनी गायन में।
उनका अंदाज़ अलबेला था — वो अपनी ही लय में चलते थे। अगर मूड नहीं हो, तो रिकॉर्डिंग कैंसिल! कोई मनाए, तो जवाब मिलता:
"मैं गायक नहीं, मूड हूँ। जब मूड होगा, आ जाऊंगा।"
💔 प्रेम में अधूरे, गीतों में पूरे
किशोर दा का निजी जीवन प्रेम की पीड़ा और चाहत की गहराइयों से भरा रहा।
मधुबाला के लिए उनका प्रेम अमर किस्सों की तरह याद किया जाता है। जब मधुबाला बीमार
पड़ीं, किशोर दा ने उनका हाथ थामा, लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया।
उनके गीत "तेरे बिना ज़िंदगी से कोई
शिकवा तो नहीं..." या "जिंदगी के सफर में गुजर जाते हैं जो मकाम..." में वही भावनाएँ बहती हैं जो उनके जीवन की
सच्चाई थीं।
🌄 हर गीत में ज़िंदा हैं
किशोर दा की आवाज़ सिर्फ़ सुर नहीं, अनुभव हैं।
जब दिल टूटा हो — "कोई हमदम ना रहा..."
जब मस्ती चाहिए — "एक चतुर नार..."
जब प्रेरणा चाहिए — "आने वाला पल जाने वाला
है..."
हर अवसर के लिए किशोर दा के पास एक गीत है, एक जादू है।
📸 कुछ अनमोल झलकियाँ
तस्वीरों में दिखती उनकी सरलता — लता मंगेशकर जी के साथ चाय की प्याली, सफेद धोती-कुर्ता पहने पहाड़ों की ओर देखना — हमें बताती
हैं कि वह जितने बड़े कलाकार थे, उतने ही सरल
इंसान भी।
🕊️ मृत्यु नहीं, मोक्ष पाया है उन्होंने
13 अक्टूबर 1987 को जब किशोर दा ने अंतिम सांस ली, संगीत का एक युग थम गया। परंतु वह गए नहीं — वे तो हर दिल
में बसे हैं। हर आवाज़ में, हर सुर में, हर धड़कन में।
🙏 किशोर दा को सलाम
उनकी आवाज़ हमारी ज़िंदगी बन चुकी है। वे हमें हँसाते हैं, रुलाते हैं, जगाते हैं और
सुलाते भी हैं।
जब आवाज़ बन जाए ज़िंदगी... तो वह किशोर कुमार ही हो सकते
हैं।
6 comments:
Very apt. Salute to the legendary singer.
बाकमाल किशोर दा को सलाम...💐🙏
नमन
तह दिल से आभार
तह दिल से आभार
गीत सुनना और गुनगुनाना दोनों ही सेहत के लिए अच्छे हैं ।सैलूट इनकी गायकी को।
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