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विशेष लेख
लेखक: एक जागरूक राष्ट्रभक्त
(समाचार पत्र के
विचारों से स्वतंत्र)
गत सप्ताह सीमा पर छेड़े गए संघर्ष के बाद,
भारत सरकार की
ओर से "सीज़फायर" (Ceasefire) की घोषणा ने पूरे देश में अनेक सवालों को जन्म
दिया है। यह कोई लिखित समझौता नहीं था, फिर भी भारत ने एकतरफा शांति की पहल की। परन्तु
प्रश्न यह उठता है कि जब पाकिस्तान ने उसी रात
युद्धविराम का उल्लंघन कर दिया, तो फिर यह शांति किसके लिए और क्यों?
यह सही है कि ऐसे निर्णय सरकार के रणनीतिक और
कूटनीतिक स्तर पर होते हैं, और आम नागरिक को उसकी गहराई नहीं दिखाई देती। परंतु एक
जागरूक राष्ट्र के नागरिक के नाते कुछ प्रश्न तो हमारे मन में
उठते ही हैं।
- क्या हमने यह युद्धविराम मजबूरी में स्वीकार किया?
- क्या यह तीन दिन का संघर्ष बिना किसी ठोस परिणाम के
समाप्त हो गया?
- क्या हमें POK के मुद्दे
पर फिर से केवल भाषण और प्रतीक्षा तक ही सीमित रहना होगा?
जनमानस की भावना स्पष्ट है – "अब केवल जवाब नहीं, समाधान चाहिए।" पाकिस्तान ने सीज़फायर की रात ही फिर से गोलीबारी की, यह स्पष्ट संकेत है कि उसकी नीयत और नीति में कोई बदलाव नहीं है। फिर भी,
हमने शांति का
रास्ता चुना।
क्या यह सही रणनीति थी?
हो सकता है, भारत सरकार ने
अंतरराष्ट्रीय मंचों, कूटनीति, या रणनीतिक तैयारी के तहत यह कदम उठाया हो। लेकिन देश के वीर जवानों का लहू, सीमाओं पर खड़े नागरिकों की दहशत, और प्रत्येक देशवासी की
भावना यही कहती है — अब समय आ गया है कि हर कोने से
चुन-चुन कर जवाब दिया जाए।
"POK हासिल करके
रहेंगे" — यह केवल नारा नहीं, जन-भावना है।
आज का भारत सहनशील है, पर कमजोर नहीं। यह स्पष्ट
संदेश दुनिया को देना चाहिए कि हम अब किसी भी धोखेबाज देश को केवल चेतावनी नहीं
देंगे, बल्कि हर उल्लंघन का उत्तर निर्णायक और स्थायी रूप में देंगे।
तीन दिन का युद्ध – लाभ या
हानि?
- हमने शत्रु की असली तैयारी का जायजा लिया।
- हमारी सेना ने सीमाओं पर दबदबा फिर से स्थापित किया।
- देशवासियों के भीतर राष्ट्रभक्ति की लहर फिर से जगी।
पर क्या यही पर्याप्त है?
भारतीय सेना ने हालिया संघर्ष में अद्वितीय साहस, संयम और रणनीति का प्रदर्शन कर दुश्मन को करारा जवाब दिया।
सीमाओं पर उनकी सतर्कता ने देशवासियों में सुरक्षा का विश्वास और गौरव की भावना को
दृढ़ किया है। सेना की कार्यक्षमता ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारत न केवल शांति
चाहता है, बल्कि आवश्यक हो तो
निर्णायक प्रतिक्रिया देने में सक्षम भी है। देश की जनता आज अपनी सेना पर गर्व
करती है और उसकी वीरता में राष्ट्र की शक्ति देखती है।
हम सरकार के निर्णयों का सम्मान करते हैं, परंतु यह भी अपेक्षा करते हैं कि इस बार कोई भी प्रयास अधूरा न रहे। यदि दुश्मन युद्धविराम का सम्मान नहीं करता, तो हमें भी अपनी नीति पुनः तय करनी होगी — POK अब प्रतीक्षा नहीं, प्राथमिकता बने।
3 comments:
Bahut achha varnan Kia h aapne .
Thanks Anonymous
जय हिन्द💐🙏अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर यह लेख आपकी गहरी पकड़ स्पष्ट करता है भाई जान👍
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