Friday, May 9, 2025

असफलता के बाद थामिए हाथ, मत तोलिए अंक

 



असफलता के बाद थामिए हाथमत तोलिए अंक

✍️ आचार्य रमेश सचदेवा

परीक्षा परिणामों का समय विद्यार्थियों के लिए जितना निर्णायक होता हैउतना ही संवेदनशील भी।
इस दौर में यदि किसी बच्चे को उम्मीद के अनुसार अंक या परिणाम नहीं मिलतातो वह स्वयं को असफल समझ बैठता है।     
ऐसे में अभिभावकों और शिक्षकों की भूमिका केवल मार्गदर्शन की नहींबल्कि भावनात्मक संबल की होती है।

जब कोई सपना टूटता हैतो केवल काग़ज़ पर अंक नहीं गिरते —     
कई बार आत्मविश्वाससाहस और भविष्य की दिशा भी डगमगाने लगती है।      
इस समय बच्चा सबसे अधिक अपनेपनसमझ और सकारात्मक ऊर्जा की तलाश करता है।
यदि उस पर डाँटतिरस्कार या तुलना थोपी जाती हैतो स्थिति और भी भयावह हो सकती है।

विशेषज्ञों के अनुसारअसफलता को सीख और सुधार का अवसर मानना चाहिए।
बच्चों से खुलकर संवाद करेंउनके मन की बात जानेंउन्हें विश्वास दिलाएँ कि एक परीक्षा से जीवन समाप्त नहीं होता।

युवाओं को यह समझाना होगा कि हर सफल व्यक्ति की कहानी में कुछ असफल अध्याय जरूर होते हैं।
टूटे सपनों से नए रास्ते बनते हैं — यदि परिवार और समाज उन्हें सहारा दें।

परीक्षा के परिणाम चाहे जैसे होंहर बच्चे को यह एहसास होना चाहिए कि वह नंबर नहींएक व्यक्तित्व है।
एक कोशिश हार सकती है — लेकिन हौसला कभी नहीं।

परीक्षा का परिणाम नहींजीवन का उद्देश्य महत्वपूर्ण है

NEET, JEE या किसी भी परीक्षा में असफलता अंत नहींएक मोड़ है।    
हर बच्चा एक संभावना हैन कि एक रैंक या स्कोर।   
जब परिणाम आशा के अनुरूप न आएंतो डाँटना नहींसाथ देना चाहिए।
बच्चे को यह विश्वास दिलाना ज़रूरी है कि वह काबिल हैऔर उसके पास आगे बढ़ने के कई रास्ते हैं।
संवेदनशील संवादसकारात्मक माहौल और भरोसे से हम हर टूटे सपने को नई उड़ान दे सकते हैं।

कहते हैं न कि जब सपने टूटते हैं तो परीक्षा के बाद बच्चों को सँभालने की ज़िम्मेदारी हमारी है
यही सच्ची परवरिश और समझदारी है।

 

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