Saturday, May 10, 2025

10 मई 1857 : मेरठ की क्रांति – आज़ादी की पहली गूंज

 


10 मई 1857 : मेरठ की क्रांति – आज़ादी की पहली गूंज

1857 का वर्ष भारतीय इतिहास में क्रांति की पहली गूंज के रूप में दर्ज है। 10 मई, 1857 को मेरठ की धरती से उठी विद्रोह की यह चिंगारी देखते ही देखते एक ज्वाला में बदल गई जिसने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव को हिला दिया। इसी कारण इस दिन को 'क्रांति दिवस' के रूप में स्मरण किया जाता है।

क्रांति की शुरुआत: मेरठ से आज़ादी की पहली पुकार
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की शोषणकारी नीतियों, धार्मिक अपमान और आर्थिक दोहन से त्रस्त भारतीयों के मन में असंतोष वर्षों से सुलग रहा था। यह असंतोष 10 मई को मेरठ के सिपाहियों द्वारा विद्रोह के रूप में फूट पड़ा। कारण बना वह कारतूस जिसमें गाय और सुअर की चर्बी लगी होने की बात फैली, जो हिन्दू और मुस्लिम, दोनों की धार्मिक आस्था का अपमान था। सिपाही मंगल पांडे ने सबसे पहले विद्रोह का स्वर उठाया, और इसके बाद मेरठ की छावनी में अंग्रेजों के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह हुआ।

एक चिंगारी जो पूरे देश में फैली
मेरठ की इस चिंगारी ने जल्द ही देशभर में आग का रूप ले लिया। दिल्ली, कानपुर, झाँसी, लखनऊ, बरेली, और अवध सहित अनेक स्थानों पर क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती दी। बहादुर शाह ज़फ़र को दिल्ली में स्वतंत्र भारत का सम्राट घोषित किया गया और झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, नाना साहब, तात्या टोपे जैसे वीरों ने मोर्चा संभाला।

1857 की क्रांति का महत्व
हालाँकि यह विद्रोह पूरी तरह सफल नहीं हो सका, लेकिन इसने ब्रिटिश सत्ता की नींव को कमजोर कर दिया। यह संघर्ष भविष्य की आज़ादी की लड़ाइयों के लिए प्रेरणा बना। इसने भारतीयों में यह विश्वास जगाया कि यदि संगठित होकर संघर्ष किया जाए तो साम्राज्य भी हिल सकते हैं।

आज की पीढ़ी के लिए संदेश
1857 की क्रांति केवल इतिहास नहीं, बल्कि आत्मबल, एकता और बलिदान की वह मिसाल है जिससे आज की पीढ़ी को सीख लेनी चाहिए। यह दिन हमें याद दिलाता है कि स्वतंत्रता की कीमत हमेशा साहस, त्याग और जागरूकता से चुकानी पड़ती है।

निष्कर्ष
10 मई का दिन मात्र एक तारीख नहीं, यह उस क्रांति की शुरुआत का प्रतीक है जिसने गुलामी की जंजीरों को तोड़ने की नींव रखी। आइए, इस क्रांति दिवस पर हम उन वीरों को नमन करें जिन्होंने अपने लहू से देश की स्वतंत्रता की कहानी लिखी।

– आचार्य रमेश सचदेवा
(शिक्षाविद् व सामाजिक चिंतक)
प्रस्तुति : EDU-STEP FOUNDATION

3 comments:

Anonymous said...

Very nice description about the topic .🙌🏻🙌🏻

Sudesh Kumar Arya said...

इस गूंज का श्रेय महान स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे जी को जाता है, जिसके बाद यह पूरे देश में फैल गई और 90 वर्षों के बाद हमें आजादी मिली। आजादी की इस लड़ाई में अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले देश के ज्ञात अज्ञात लाखों वीर शहीदों को शत् शत् नमन।

Amit Behal said...

आजादी के परवानों को सलाम💐🙏