अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस पर एक भावनात्मक लेख
दिनांक: 21 मई 2025
"एक कप चाय... और अनगिनत एहसास!"
चाय... एक प्याला नहीं, एक एहसास है। यह सिर्फ दूध, पानी और पत्तियों का मिश्रण नहीं, बल्कि रिश्तों की गरमाहट, दोस्तों की मीठी तकरार, और अकेलेपन की सच्ची साथी है। अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस न केवल इस पेय पदार्थ को सम्मान देने का दिन है, बल्कि उन अनगिनत पलों को भी याद करने का दिन है जो हमने इसकी चुस्कियों के साथ जिए हैं।
चाय और हम
चाय हमारी दिनचर्या का हिस्सा नहीं, हमारी ज़िन्दगी की रवानी है। कभी थकान में राहत देती है, कभी गहरी बातचीत की शुरुआत बनती है। चाय के बहाने कोई दोस्त अचानक मिलने आ जाता है, तो कभी अनजान भी चाय की टपरी पर अपनी कहानी कह जाता है।
भावों की चाय – तीन सुंदर झलकियाँ
"मुझे ढूंढ़ ही लेती है कोई न कोई बहाने से,
चाय वाक़िफ़ है मेरे सभी ठिकानों से..."
यह पंक्तियाँ बताती हैं कि चाय कैसे हमारी दिनचर्या की सबसे विश्वसनीय साथी बन चुकी है। जब सब साथ छोड़ते हैं, तब भी एक कप चाय हमारा इंतज़ार करती है।
"मिलो कभी चाय पर, फिर किस्से बुनेंगे,
तुम ख़ामोशी से कहना, हम चुपके से सुनेंगे..."
चाय सिर्फ बातों का माध्यम नहीं, एक मौन संवाद की भाषा है। यह वह मौक़ा है जब बिना कुछ कहे भी बहुत कुछ समझा जा सकता है।
"मेरे जज़्बातों का कोई तो सिला दो,
कभी घर बुला के चाय तो पिला दो..."
कभी-कभी एक कप चाय का न्यौता, किसी टूटे दिल की सबसे बड़ी मरहम बन जाता है। यह आमंत्रण नहीं, अपनापन होता है।
आज, जब हम अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मना रहे हैं, तो क्यों न किसी पुराने दोस्त को फोन करके कहें—"चलो, एक चाय साथ में पीते हैं।" हो सकता है वह चाय, दोनों के जीवन की नई कहानी का पहला पन्ना बन जाए।
चाय के नाम, उन सभी रिश्तों के नाम, जो इसकी गर्माहट में और भी गहरे हो जाते हैं।
चाय दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
– आपकी अपनी लेखनी से
आचार्य रमेश सचदेवा
2 comments:
विचारणीय आलेख
आभार भाई साहब
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