बुद्ध पूर्णिमा – शांति, करुणा और ज्ञान का प्रकाशपर्व
✍️ विशेष लेख
भारत की आध्यात्मिक परंपरा में बुद्ध पूर्णिमा एक ऐसा पर्व है, जो केवल धर्म का नहीं, बल्कि मानवता, अहिंसा और आत्मबोध का प्रतीक है। यह दिन भगवान गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति (बोधि) और महापरिनिर्वाण – इन तीनों पवित्र घटनाओं से जुड़ा हुआ है। वैशाख माह की पूर्णिमा को पड़ने वाला यह पर्व न केवल बौद्ध अनुयायियों के लिए, बल्कि संपूर्ण विश्व के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
🕉️ भगवान बुद्ध: अज्ञान से ज्ञान की यात्रा
गौतम बुद्ध का जीवन एक साधारण राजकुमार सिद्धार्थ से बुद्धत्व की यात्रा है – एक ऐसा मार्ग जो संसार के दुखों को समझने, और उनसे मुक्त होने की दिशा में प्रेरित करता है। उन्होंने सिखाया कि जीवन में दुख है, दुख का कारण है, और उससे मुक्ति भी संभव है — जिसे उन्होंने 'चत्वारि आर्य सत्यानि' यानी चार आर्य सत्य के रूप में बताया।
उनका अष्टांगिक मार्ग (Eightfold Path) आज भी दुनिया के कोने-कोने में शांति की ओर बढ़ने का रास्ता दिखाता है।
🌿 आज के संदर्भ में बुद्ध का संदेश
आज जब दुनिया हिंसा, असहिष्णुता और मानसिक तनाव से जूझ रही है, बुद्ध का संदेश और अधिक प्रासंगिक हो गया है। उन्होंने कहा था —
"आप अपना दीपक स्वयं बनो"।
यह वाक्य आज के युवाओं और समाज के लिए आत्मनिर्भरता और जागरूकता का मंत्र है।
बुद्ध पूर्णिमा हमें सिखाती है कि सच्चा बल बाहरी साधनों में नहीं, बल्कि भीतर की करुणा, धैर्य और समत्व में है।
🙏 निष्कर्ष:
बुद्ध पूर्णिमा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आत्मिक विकास का उत्सव है। यह दिन हमें स्मरण कराता है कि हम भी अपने भीतर के अज्ञान को दूर करके शांति और ज्ञान के पथ पर चल सकते हैं। आइए, इस बुद्ध पूर्णिमा पर हम सभी संकल्प लें कि हम न केवल अपने लिए, बल्कि समाज और संसार के लिए भी प्रकाश बनें।
"बुद्धं शरणं गच्छामि।"
4 comments:
बुद्धम् शरणम गच्छामि☺️आखिरकार हर व्यक्ति को, सारी दुनिया को भगवान बुद्ध के दिखाए रास्ते को ही अपनाना होगा💐🙏
इस पावन अवसर पर भगवान गौतम बुद्ध के आदर्शों, शिक्षाओं और संदेशों को आत्मसात करें और मानवता की सेवा के प्रति समर्पित रहें। शांति और करुणा के दूत भगवान बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं एवम् बधाई।
🚩🕉️🚩💝💐
Thanks
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