Friday, May 23, 2025

विश्व कछुआ दिवस – 23 मई


 विश्व कछुआ दिवस – 23 मई

“धीरे चलो, लेकिन सही चलो – कछुए से सीखें जीवन की राह”

आज की तारीख – 23 मई को विश्व कछुआ दिवस (World Tortoise Day) के रूप में मनाया जाता है। यह दिन हमें उस जीव की याद दिलाता है, जो धीमा जरूर है, पर हर कदम पर स्थिर, शांत और उद्देश्यपूर्ण है – कछुआ।

जीवन की दौड़ और कछुए की सीख

आज के युग में हम सब एक अनजानी और अंधी दौड़ में भाग रहे हैं – वर्क फ्रॉम होम हो या ऑफिस, करियर की ऊँचाइयों की होड़ हो या सोशल मीडिया पर खुद को दिखाने की चाह, सबकुछ तेज़ी में है। समय कम है, और अपेक्षाएं अनंत। इस तेजी में हम भूल जाते हैं कि धैर्य, निरंतरता और आत्मचिंतन भी जीवन का हिस्सा हैं।

कछुए की चाल धीमी है, लेकिन वह हर कदम सोच-समझकर रखता है। वह रुकता नहीं, बस भागता नहीं। यह हमें सिखाता है कि

हर मंज़िल को पाने के लिए दौड़ना जरूरी नहीं है,

कुछ लक्ष्य ‘धीरे लेकिन लगातार’ चलने वालों को ही मिलते हैं।

एक प्रेरक लघु कथा – कछुआ और आधुनिक मानव

एक बार एक इंसान, जो दिनभर लैपटॉप पर काम करता था, तनाव में था। नींद कम, समय का अभाव, परिवार से दूरी – सब कुछ बोझ जैसा लग रहा था। एक दिन पार्क में टहलते समय उसने एक कछुए को देखा, जो धीरे-धीरे एक कोने से दूसरे कोने की ओर बढ़ रहा था।

उसने कछुए से पूछा,

"तू इतना धीमा क्यों है? क्या तुझे मंज़िल की परवाह नहीं?"

कछुए ने मुस्कराते हुए जवाब दिया,

"मैं धीमा हूं, लेकिन थका नहीं हूं। मुझे अपनी मंज़िल दिखती है, पर मैं रास्ते की हर घास, हर पत्थर को भी पहचानना चाहता हूं। तुम तेज़ हो, पर थके हुए हो। क्या तुम अपने रास्ते को महसूस कर पाते हो?"

उस दिन उस इंसान को समझ आया कि वह जीवन को जी नहीं रहा, केवल ‘निभा’ रहा है।

कछुए से हम क्या सीखें?

1. धैर्य रखो – तेज़ दौड़ने से नहीं, लगातार चलने से जीत मिलती है।

2. भीतर की शांति जरूरी है – बाहर की दुनिया कभी शांत नहीं होगी, पर भीतर की शांति से जीवन आसान बनता है।

3. अपने खोल को मत भूलो – जैसे कछुआ अपने खोल में लौटता है, वैसे ही हमें भी अपने परिवार, आत्मा और अपने आप से जुड़ना चाहिए।

4. रुकना भी ज़रूरी है – कभी-कभी ठहर कर देखो, कहां जा रहे हो? क्यों जा रहे हो?

विश्व कछुआ दिवस हमें सिर्फ एक जीव की रक्षा की याद नहीं दिलाता, बल्कि यह जीवन जीने का एक दर्शन देता है।

“भागो नहीं, समझो। दिखाओ नहीं, जियो। थको नहीं, ठहरो।”

आज एक दिन, बस एक दिन, कछुए की तरह जियो – शांत, स्थिर और सच्चे मन से।


4 comments:

Anonymous said...

Bahut hi achha lekh likha h aapne . Sabhii ko sheekh leni Chahiay.

Amit Behal said...

अदभुत जानकारी भरपूर लेख जिससे काफी कुछ सीखने को मिला💐🙏

Director, EDU-STEP FOUNDATION said...

Thanks a lot.

Director, EDU-STEP FOUNDATION said...

Thanks a lot.