Thursday, February 27, 2025

रातों को जाग-जाग कर जो अध्यापक पढ़ाते हैं

 🎶 रातों को जाग-जाग कर जो अध्यापक पढ़ाते हैं 🎶

(शिक्षकों के समर्पण को समर्पित एक प्रेरणादायक गीत, "रातों को छिप-छिप कर जो रोते हैं" की तर्ज़ पर)


🎶 रातों को जाग-जाग कर जो अध्यापक पढ़ाते हैं,
बच्चों के सपनों को अपना रंग चढ़ाते हैं।
📖 खुद की थकान को हौसलों से हराते हैं,
ज्ञान की मशालों से तम को मिटाते हैं।

🎶 रातों को जाग-जाग कर जो अध्यापक पढ़ाते हैं,
बच्चों के सपनों को अपना रंग चढ़ाते हैं।


✏️ कभी किताबों में तो, कभी सवालों में खोते हैं,
📝 खुद के लिए कम सोते, औरों के लिए जागते हैं।
📚 कभी परीक्षा के पन्नों में ये गुम हो जाते हैं,
🌙 खुद के सपनों से पहले अपने विद्यार्थियों को संवारते हैं।

🎶 रातों को जाग-जाग कर जो अध्यापक पढ़ाते हैं,
बच्चों के सपनों को अपना रंग चढ़ाते हैं।


🔥 कोई उत्तर बनाता है, तो कोई प्रश्नों को गढ़ता है,
📄 हर कठिनाई को ये सरल राह में बदलता है।
🖊️ कभी स्याही से तक़दीर लिखते हैं,
हर नादान को रोशनी की राह दिखाते हैं।

🎶 कुछ लोग ज़माने में ऐसे भी होते हैं,
औरों के लिए जीते हैं, खुद को भी खोते हैं।

🎶 रातों को जाग-जाग कर जो अध्यापक पढ़ाते हैं,
बच्चों के सपनों को अपना रंग चढ़ाते हैं।


 

 

🥀 सम्मान नहीं मिलता, पहचान नहीं मिलती,
💔 मेहनत की रोशनी को कोई लौ नहीं मिलती।
📜 सरहद पे ज्यों सैनिक हैं, तो शिक्षा में ये प्रहरी हैं,
🎓 बिना इन गुरुओं के हर मंज़िल अधूरी है, हर राह अधूरी है।

🎶 रातों को जाग-जाग कर जो अध्यापक पढ़ाते हैं,
बच्चों के सपनों को अपना रंग चढ़ाते हैं।


🔥 देश की नींव को यही मज़बूत बनाते हैं,
💎 हर पत्थर को तराश करके कोहिनूर बनाते हैं।
फिर भी न कोई इनका कोई मोल समझता है,
🎓 सच मानो, सच्चा गुरु हीरे से भी कीमती होता है।

🎶 रातों को जाग-जाग कर जो अध्यापक पढ़ाते हैं,
बच्चों के सपनों को अपना रंग चढ़ाते हैं।

🙏🎶 शिक्षकों को सादर नमन! 🎶🙏


💖✨ यह गीत उन शिक्षकों को समर्पित है जो बिना किसी स्वार्थ के बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं। हमें चाहिए कि हम अपने शिक्षकों का सम्मान करें, उनका आदर करें और उनके परिश्रम को पहचानें। 🎓🙏

 

2 comments:

Anonymous said...

Great!!

Sourav said...

Very well said Sir