विद्यालयों में स्मार्टफोन
प्रतिबंध : भारतीय शिक्षा प्रणाली के सुधार की अनिवार्यता
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक
संगठन (यूनेस्को) ने जुलाई 2023 में विद्यालयों
में स्मार्टफोन के उपयोग पर वैश्विक प्रतिबंध की सिफारिश
की थी। इस पहल का मुख्य उद्देश्य शिक्षा की
गुणवत्ता में सुधार करना, डिजिटल व्याकुलता को कम करना, विद्यार्थियों के मानसिक
स्वास्थ्य की रक्षा करना और साइबर खतरों से बचाव सुनिश्चित करना था।
किन्तु, यूनेस्को की इस महत्वपूर्ण
सिफारिश के बावजूद, भारत में अभी तक विद्यालयों में स्मार्टफोन प्रतिबंधित करने
हेतु कोई ठोस एवं प्रभावी नीति लागू नहीं की गई है। कुछ राज्यों ने
इस दिशा में आंशिक कदम अवश्य उठाए, परंतु डिजिटल शिक्षा और
स्मार्टफोन-आधारित शिक्षण के बढ़ते व्यवसायिक प्रभाव ने इस समस्या को और विकराल
बना दिया है।
भारतीय शिक्षा में
स्मार्टफोन का बढ़ता व्यवसायीकरण
आज भारतीय शिक्षा जगत में, विशेष रूप से ऑनलाइन शिक्षण और स्मार्टफोन-निर्भर शिक्षा, एक विशाल व्यवसाय में बदल
चुका है। निजी कोचिंग संस्थान, डिजिटल शिक्षण मंच एवं
मोबाइल एप आधारित शिक्षा प्रणाली अत्यधिक आक्रामक रूप से
स्मार्टफोन के प्रयोग को बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे विद्यालयों में इनका
उपयोग अनियंत्रित होता जा रहा है।
आज स्थिति यह है कि अधिकांश
विद्यालय और कोचिंग संस्थान छात्रों को असाइनमेंट, अध्ययन सामग्री, और परीक्षा की
तैयारी हेतु स्मार्टफोन पर निर्भर रहने के लिए बाध्य कर रहे हैं। किन्तु, यह निर्भरता शिक्षा के स्तर को ऊँचा उठाने के स्थान पर
विद्यार्थियों की एकाग्रता, मानसिक संतुलन और रचनात्मकता को नष्ट कर रही है।
भारत में जुलाई 2023
के बाद उठाए गए कदम
यूनेस्को की सिफारिश के पश्चात भारत के कुछ
राज्यों ने विद्यालयों में स्मार्टफोन के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए कुछ
आंशिक प्रयास किए, जैसे –
- कर्नाटक, तमिलनाडु
एवं अन्य राज्यों में विद्यालय परिसरों में स्मार्टफोन प्रतिबंध –
इन राज्यों ने स्कूलों में स्मार्टफोन के उपयोग पर
दिशा-निर्देश जारी किए, किन्तु इन नियमों का कठोरता से पालन कराना एक बड़ी
चुनौती बना हुआ है।
- विद्यालयों में डिजिटल शिक्षा सीमित करने का प्रयास
– कुछ शिक्षण संस्थानों ने स्मार्टफोन-आधारित शिक्षा को
कम करने के प्रयास किए, किन्तु ऑनलाइन असाइनमेंट एवं डिजिटल अध्ययन सामग्री की
प्रवृत्ति के चलते यह नीति प्रभावी रूप से लागू नहीं हो सकी।
- साइबर सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता अभियान
– कुछ विद्यालयों ने छात्रों एवं अभिभावकों के लिए
डिजिटल व्यसन (addiction), साइबर अपराधों और मानसिक स्वास्थ्य पर कार्यशालाएँ
आयोजित कीं, किन्तु यह प्रयास व्यापक स्तर पर प्रभावी नहीं हो सके।
इन प्रयासों के बावजूद, शिक्षा प्रणाली
में स्मार्टफोन के व्यवसायिक उपयोग का विस्तार अनवरत रूप से बढ़ रहा है, जिससे
विद्यार्थियों की शिक्षा, मानसिक स्वास्थ्य एवं सामाजिक मूल्यों पर प्रतिकूल प्रभाव
पड़ रहा है।
भारत में तत्काल उठाए जाने
वाले आवश्यक कदम
1️. विद्यालयों में स्मार्टफोन के प्रयोग पर कठोर प्रतिबंध लागू
किया जाए
👉 भारत सरकार को एक स्पष्ट और
सख्त राष्ट्रीय नीति बनानी चाहिए, जिसके तहत विद्यालयों में स्मार्टफोन के उपयोग
पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाया जाए।
👉
छात्रों को
केवल विद्यालय द्वारा स्वीकृत टैबलेट या कंप्यूटर के प्रयोग की अनुमति दी जाए।
👉
विद्यालयों में
मोबाइल लाने पर सख्त नियम लागू किए जाएं और उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
2️. डिजिटल शिक्षा
को संतुलित किया जाए
👉 ऑनलाइन कक्षाओं और
मोबाइल-आधारित शिक्षण पद्धति की निर्भरता को सीमित किया जाए।
👉
पाठ्यक्रम को
इस प्रकार पुनर्गठित किया जाए कि विद्यार्थी अधिक समय पुस्तकों, प्रयोगशालाओं
और व्यावहारिक कार्यों में व्यतीत करें।
3️. अभिभावकों और
शिक्षकों को डिजिटल व्यसन (addiction) के खतरों के प्रति जागरूक
किया जाए
👉 माता-पिता और शिक्षकों के
लिए साइबर सुरक्षा, डिजिटल व्याकुलता, मानसिक स्वास्थ्य, और ऑनलाइन
खतरों पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।
👉
स्कूलों में
नीति बनाई जाए जिससे छात्रों का स्क्रीन-टाइम नियंत्रित किया जाए और डिजिटल
संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग सुनिश्चित हो।
4️. शिक्षा के
व्यवसायीकरण को नियंत्रित करने के लिए सख्त नियम लागू किए जाएं
👉 शिक्षा प्रणाली में
स्मार्टफोन और डिजिटल शिक्षण ऐप के बढ़ते व्यावसायिक प्रभाव को रोकने के लिए कड़े
नियम बनाए जाएं।
👉
विद्यालयों और
कोचिंग संस्थानों को छात्रों को डिजिटल उपकरणों पर निर्भर रहने से रोकने के लिए
बाध्य किया जाए।
5️. विद्यालयों में
साइबर सुरक्षा और डिजिटल नैतिकता सुनिश्चित की जाए
👉 छात्रों को साइबर अपराध,
डेटा चोरी, और ऑनलाइन उत्पीड़न (bullying) से बचाने के
लिए अनिवार्य प्रशिक्षण दिया जाए।
👉
विद्यालयों में
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ नियुक्त किए जाएं, ताकि छात्रों को ऑनलाइन
खतरों से सुरक्षित रखा जा सके।
शिक्षा नीति-निर्माताओं के
लिए विशेष अपील
शिक्षा नीति-निर्माताओं को यह समझना होगा कि स्मार्टफोन मात्र तकनीकी उपकरण नहीं है, बल्कि यह विद्यार्थियों की
मानसिकता, सोचने की क्षमता और सामाजिक मूल्यों को प्रभावित कर रहा है।
👉 भारतीय विद्यालयों में
स्मार्टफोन का उपयोग एक व्यवसाय बन चुका है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता
घट रही है और छात्रों का मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ रहा है।
👉
यदि इस समस्या
पर शीघ्र ध्यान नहीं दिया गया, तो भारत की युवा पीढ़ी डिजिटल उपकरणों पर निर्भर
होकर अपनी सृजनात्मकता और आत्मनिर्भरता खो देगी।
👉
शिक्षा को
व्यावसायिक नियंत्रण से मुक्त कर पुनः एक वास्तविक ज्ञान, कौशल और नैतिक
मूल्यों पर आधारित प्रणाली में परिवर्तित किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
यूनेस्को की वैश्विक सिफारिश को ध्यान में रखते
हुए, भारत को अविलंब विद्यालयों में स्मार्टफोन
के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना चाहिए तथा डिजिटल शिक्षा को संतुलित करना चाहिए,
जिससे विद्यार्थी एक सकारात्मक और ध्यान केंद्रित करने योग्य शिक्षण वातावरण
प्राप्त कर सकें।
यदि सरकार और शिक्षा
नीति-निर्माता इस पर शीघ्र कार्रवाई नहीं करते, तो भारत की शिक्षा प्रणाली
एक डिजिटल व्यापार में बदल जाएगी, जहाँ शिक्षा का उद्देश्य मात्र व्यावसायिक लाभ
अर्जित करना रह जाएगा।
👉 भारत को उन विकसित देशों की
नीति अपनानी चाहिए जहाँ विद्यालयों में स्मार्टफोन पर पूर्ण प्रतिबंध है और शिक्षा
को डिजिटल व्याकुलता से मुक्त रखा गया है।
👉
यदि विद्यालयों
में स्मार्टफोन पर शीघ्र प्रतिबंध नहीं लगाया गया, तो यह शिक्षा की गुणवत्ता
को पूर्णतः समाप्त कर देगा और छात्रों को डिजिटल लत (addiction) का शिकार बना
देगा।
अतः भारत सरकार,
शिक्षा मंत्रालय, और सीबीएसई,आईसीएसइ, राज्यों के बोर्डों से अनुरोध है कि
विद्यालयों में स्मार्टफोन के उपयोग पर तत्काल रोक लगाई जाए तथा शिक्षा को
व्यावसायिक प्रभावों से मुक्त रखा जाए।
"सशक्त भारत के लिए सशक्त
शिक्षा आवश्यक है। यदि हमें भविष्य में एक आत्मनिर्भर और जागरूक राष्ट्र बनाना है,
तो हमें अपनी शिक्षा प्रणाली को डिजिटल व्याकुलता एवं व्यावसायिक शोषण से
मुक्त करना ही होगा।"
5 comments:
Awaiting some concrete steps and action by the education department in this direction
Direly needed step...👍
Thanks. Hoping so and I will try my best to send this message to the Education Minister atleast
Thanks. Exacty
thanks
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