Thursday, February 13, 2025

भारत को भी कोलंबिया से सीखने की ज़रूर


 भारत को भी कोलंबिया से सीखने की ज़रूरत

भारत जैसे विशाल और सशक्त राष्ट्र को अपने नागरिकों के सम्मान और संप्रभुता की रक्षा के लिए अधिक दृढ़ता दिखाने की आवश्यकता है। कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो के हालिया निर्णय ने यह साबित कर दिया कि एक छोटे देश का नेतृत्व भी अपने नागरिकों के आत्मसम्मान और राष्ट्रीय स्वाभिमान के प्रति संकल्पित हो सकता है। जबकि भारत, जो स्वयं को ‘विश्वगुरु’ और ‘वैश्विक शक्ति’ मानता है, कई मौकों पर अपने नागरिकों के सम्मान की रक्षा करने में निष्क्रिय दिखाई देता है।


गुस्तावो पेट्रो का निर्णय: एक उदाहरण

कोलंबिया, जो क्षेत्रफल और अर्थव्यवस्था के लिहाज़ से भारत की तुलना में बहुत छोटा देश है, लेकिन वहां की सरकार ने अपने नागरिकों की गरिमा और स्वाभिमान को सर्वोपरि रखा। अमेरिकी सेना के विमान को अपने देश की धरती पर उतरने से रोकना और अपने नागरिकों को सरकारी विमान से सम्मानपूर्वक स्वदेश वापस लाने का निर्णय लेना, एक सशक्त राष्ट्र की पहचान है। इससे यह स्पष्ट होता है कि वहां की सरकार अपने नागरिकों को मात्र ‘अंकों’ के रूप में नहीं देखती, बल्कि उनके सम्मान और संप्रभुता की रक्षा को प्राथमिकता देती है।

इसके अतिरिक्त, पेट्रो सरकार द्वारा अमेरिकी पेट्रोलियम कंपनी के साथ अरबों डॉलर का समझौता रद्द करना, यह दर्शाता है कि कोलंबिया आर्थिक दबाव के आगे झुकने के बजाय अपने सिद्धांतों पर अडिग रहता है। यह एक ऐसा दृष्टिकोण है, जिसकी भारत जैसे देशों को भी आवश्यकता है।


भारत की स्थिति और निष्क्रियता

भारत, जो स्वयं को ‘विश्वगुरु’ कहकर गर्व महसूस करता है, कई बार अपने नागरिकों के सम्मान की रक्षा करने में विफल रहा है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के प्रवासी नागरिकों और श्रमिकों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता रहा है, लेकिन भारत सरकार अक्सर इसे नज़रअंदाज़ कर देती है।

1. खाड़ी देशों में भारतीय श्रमिकों की दुर्दशा

  • संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सऊदी अरब, और कतर में हजारों भारतीय श्रमिकों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है।
  • कई बार उनके वेतन रोक दिए जाते हैं, पासपोर्ट ज़ब्त कर लिए जाते हैं, और उन्हें खराब परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है।
  • भारत सरकार ने इस मुद्दे पर कोई कठोर कदम नहीं उठाए, न ही इन देशों की सरकारों से कोई ठोस कार्रवाई की मांग की।

2. भारतीय छात्रों के साथ अन्याय

  • यूक्रेन-रूस युद्ध के दौरान जब कई भारतीय छात्र यूक्रेन में फंसे हुए थे, तब सरकार ने पहले तो अनदेखी की और बाद में छात्रों को खुद निकलने की सलाह दे दी।
  • बाद में, जब भारी दबाव पड़ा, तब सरकार ने निकासी अभियान चलाया, लेकिन तब तक कई छात्रों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था।

3. भारतीय नागरिकों पर अंतरराष्ट्रीय हमले और सरकार की चुप्पी

  • अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन में कई बार भारतीय नागरिकों और सिख समुदाय पर हमले होते रहे हैं।
  • लेकिन भारत सरकार की प्रतिक्रिया बहुत ही औपचारिक रही है, जबकि चीन, रूस और अन्य मजबूत देश ऐसी घटनाओं पर खुलकर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करते हैं।

भारत को क्या करना चाहिए?

भारत को चाहिए कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा, सम्मान और गरिमा की रक्षा के लिए कोलंबिया की तरह सख्त रुख अपनाए।

  1. सख्त विदेश नीति अपनाएयदि कोई देश भारतीय नागरिकों का सम्मान नहीं करता, तो भारत को भी उसी स्तर पर जवाब देना चाहिए।
  2. आर्थिक प्रतिबंधों का साहस दिखाएअमेरिका हो या कोई अन्य देश, अगर भारत के नागरिकों के साथ अन्याय होता है, तो भारत को भी व्यापारिक और कूटनीतिक संबंधों पर पुनर्विचार करना चाहिए।
  3. भारतीय प्रवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेखाड़ी देशों और अन्य विदेशी राष्ट्रों में भारतीय श्रमिकों की सुरक्षा के लिए विशेष कानून और निगरानी तंत्र विकसित किए जाएं।
  4. आपातकालीन स्थिति में आत्मनिर्भरता दिखाएभारतीय नागरिकों को विदेशों से निकालने के लिए भारत को अपने संसाधनों का इस्तेमाल करना चाहिए, न कि किसी अन्य देश के भरोसे रहना चाहिए।

निष्क्रियता से सम्मान नहीं मिलता

भारत की गिनती विश्व की सबसे तेज़ी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में होती है, लेकिन केवल आर्थिक प्रगति से ही कोई देश सशक्त नहीं बनता। जब तक भारत अपने नागरिकों की रक्षा, सम्मान और आत्मसम्मान को प्राथमिकता नहीं देगा, तब तक ‘विश्वगुरु’ और ‘महाशक्ति’ जैसे दावे खोखले ही रहेंगे।

कोलंबिया जैसे छोटे देश ने जो साहस दिखाया, वह भारत भी दिखा सकता है – बस इच्छाशक्ति और आत्मसम्मान की आवश्यकता है।

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