"तन, मन हो निरोग – जीवन हो संयोग"
"भजो रे मन नारायण, सुख-संपत्ति घर आवे..."
आज के समय में स्वस्थ रहना केवल एक आवश्यकता नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला भी है। स्वास्थ्य का असली अर्थ केवल शारीरिक तंदुरुस्ती तक सीमित नहीं, बल्कि मानसिक शांति, सकारात्मक सोच और संतुलित जीवनशैली से भी जुड़ा है। जैसे किसी सुर में अगर एक तार भी बिगड़ जाए, तो पूरी धुन बिखर जाती है, वैसे ही अगर शरीर और मन में असंतुलन आ जाए, तो जीवन भी अस्त-व्यस्त हो जाता है।
व्यावहारिक उदाहरण – जीवन में स्वास्थ्य का महत्व
रामलाल जी एक सरकारी शिक्षक थे, जिन्होंने पूरी जिंदगी अपने परिवार और समाज की सेवा में लगा दी। उनके पास भरपूर दौलत थी, सामाजिक प्रतिष्ठा थी, लेकिन उन्होंने अपने स्वास्थ्य की अनदेखी कर दी। खानपान की अनियमितता, व्यायाम का अभाव और तनाव ने धीरे-धीरे उनके शरीर को कमजोर बना दिया। सेवानिवृत्ति के कुछ ही वर्षों बाद, उन्हें कई स्वास्थ्य समस्याओं ने घेर लिया। उनके बच्चे विदेश में थे और बढ़ती बीमारियों के कारण वे अपने जीवन के अंतिम वर्षों में कष्ट उठाने को मजबूर हो गए।
इसके विपरीत, उनके मित्र रमेश जी ने जीवनभर संतुलित दिनचर्या अपनाई, नियमित व्यायाम किया, हंसमुख स्वभाव बनाए रखा और समाजसेवा में रुचि ली। वृद्धावस्था में भी वे ऊर्जावान रहे और उनकी दिनचर्या दूसरों के लिए प्रेरणादायक बनी।
स्वास्थ्य का संदेश
"तन, मन हो निरोग – जीवन हो संयोग," यह केवल एक उक्ति नहीं, बल्कि एक जीवनशैली का सार है। हमें अपने शरीर का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि यही सबसे बड़ी पूंजी है। यदि हम अपने शरीर, मन और आत्मा को संतुलित रखेंगे, तो जीवन की हर परीक्षा में सफल होंगे।
"राम नाम सुखदाई रे, तन-मन में बसाई रे…"
स्वस्थ जीवन केवल शारीरिक व्यायाम से नहीं, बल्कि सकारात्मक विचार, अच्छे कर्म और आत्मिक शांति से भी प्राप्त होता है। आइए, स्वस्थ रहें, खुश रहें और जीवन का आनंद लें! 😊🌿
3 comments:
ਬਾਕੀ ਦੇ ਕੰਮ ਬਾਅਦ ਚ' ਪਹਿਲਾਂ ਸਿਹਤ ਜਰੂਰੀ ਏ...💐✌️
Thanks for your valuable comment.
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