बूढ़े दरख़्त और उनकी ख़ामोश सीखें

जब भी आप किसी पुराने पार्क, आंगन या गांव के चौपाल में किसी बूढ़े दरख़्त को देखेंगे, तो वह सिर्फ एक पेड़ नहीं होता — वह समय का साक्षी होता है। वह मौसमों की मार सह चुका होता है, आंधियों से लड़ चुका होता है, और फिर भी अपनी जड़ें जमाकर खड़ा रहता है। उसकी शाखाएं भले ही झुक गई हों, पत्ते कम हो गए हों, लेकिन उसकी छांव अब भी ठंडी होती है और उसकी उपस्थिति अब भी शांत, सजीव और सम्मानजनक होती है।
क्या हम इन्हीं बूढ़े दरख़्तों में अपने दादा-दादी, नाना-नानी, या समाज के वरिष्ठ नागरिकों की छवि नहीं देखते?
उनकी ख़ामोश सीखें क्या हैं?
- धैर्य की परिभाषा: जिस प्रकार बूढ़ा दरख़्त तेज़ हवाओं में भी न डोलता है, वैसे ही वरिष्ठ जन जीवन की चुनौतियों में धैर्य और संयम का उदाहरण होते हैं।
- निस्वार्थ सेवा: बिना किसी अपेक्षा के वह छांव, फल और लकड़ी देता है। यही सेवा की भावना बुज़ुर्गों की सबसे बड़ी सीख होती है।
- गहराई से जिए गए अनुभव: उनके जीवन की कहानियाँ, संघर्ष और सफलताएं नई पीढ़ी के लिए अमूल्य धरोहर हैं। वो पुस्तकें हैं जो शब्दों से नहीं, जीवन से लिखी गई हैं।
नई पीढ़ी के लिए संदेश:
आज का युवा तेज़ी से भाग रही दुनिया में व्यस्त है, लेकिन अगर वह कुछ पल ठहरकर इन "बूढ़े दरख़्तों" के पास बैठे, तो उसे जीवन की वो समझ मिलेगी जो किसी किताब में नहीं होती।
उनसे बात करें, उनके अनुभव सुनें, उनकी दुआएं लें — ये दुआएं उस ‘छांव’ की तरह होती हैं, जो कठिन समय में बहुत राहत देती हैं।
हमारा कर्तव्य क्या है?
- बुज़ुर्गों को उपेक्षित न करें।
- उनकी उपयोगिता को समझें।
- उनके अनुभवों को सुनें और सम्मान दें।
- उनके साथ समय बिताएं, ताकि हम भी एक दिन वैसा ही बनने का सपना देख सकें — मज़बूत, शांत और प्रेरणादायक।
अंत में बस यही कहूँगा:
“तू इन बूढ़े दरख़्तों की हवाएं साथ रख लेना,
सफर में काम आएंगी दुआएं साथ रख लेना…”
उनकी छांव में बैठने से हमें कुछ न कुछ सीख ज़रूर मिलती है, और वही सीख हमारे जीवन को सही दिशा देती है।
क्या आप तैयार हैं इन बूढ़े दरख़्तों की ख़ामोश सीखों को सुनने और समझने के लिए?
3 comments:
हमें इनसे प्रेरणा लेने का मौक़ा लेना चाहिए और अपने में इनके गुणों को उतारने का प्रयत्न करना चाहिए ।
Old is Gold...Respect the elderly...
Ramesh Bhai bahut sach kaha hai. Mujhe Shiv Batalvi Sahib ki nazm "Kujh rukh mainu putt lagde ne," ki yaad dila di aapne.
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