Thursday, August 28, 2025

हॉकी का जादूगर और क्रिकेट का साया – क्या हम दद्दा के सपनों से भटक गए हैं?”

                                           

हॉकी का जादूगर और क्रिकेट का साया – क्या हम दद्दा के सपनों से भटक गए हैं?”

✍🏻 आचार्य रमेश सचदेवा


29 अगस्त को भारत हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जन्मदिन राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाता है। यह दिन केवल एक महान खिलाड़ी की स्मृति भर नहीं, बल्कि भारतीय खेल इतिहास के गौरवमयी पन्नों की याद दिलाता है। ध्यानचंद ने अपने खेल कौशल से भारत को ओलंपिक में बार-बार स्वर्ण पदक दिलाया और विश्व को यह संदेश दिया कि खेल केवल जीत का नहीं बल्कि राष्ट्र गौरव का माध्यम हैं।

ध्यानचंद के समय में हॉकी भारतीय अस्मिता का प्रतीक थी। उनकी जादुई स्टिक ने भारत को विश्व पटल पर स्थापित किया। बर्लिन ओलंपिक 1936 में उनका खेल देखकर जर्मन तानाशाह हिटलर तक मोहित हो गया और सेना में उच्च पद का प्रस्ताव दिया, जिसे ध्यानचंद ने देशभक्ति के कारण अस्वीकार कर दिया। यह उनके चरित्र और राष्ट्रप्रेम का अद्वितीय उदाहरण है।

परंतु आज परिदृश्य बदल चुका है। भारत जैसे देश में, जहां कभी हॉकी राज करती थी, वहाँ अब क्रिकेट ने खेल संस्कृति पर एकाधिकार जमा लिया है। विज्ञापन, मीडिया और प्रायोजन के कारण क्रिकेट चमक-दमक का खेल बन गया है, जबकि हॉकी सहित अन्य खेल उपेक्षा के शिकार हैं। यह स्थिति न केवल खेल संतुलन को बिगाड़ती है, बल्कि हजारों प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के भविष्य को भी अंधकारमय बना देती है।
तर्क 

  1. खेल केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की शक्ति हैं।

  2. यदि क्रिकेट ही केंद्र में रहेगा तो अन्य खेलों की प्रतिभाएँ दब जाएँगी।

  3. सरकार, मीडिया और समाज को सभी खेलों को समान अवसर देना होगा।

  4. विद्यालय और महाविद्यालय स्तर पर हॉकी व अन्य खेलों का प्रशिक्षण अनिवार्य होना चाहिए।

  5. खिलाड़ियों को आर्थिक सुरक्षा और सम्मान मिलने से ही वे आगे बढ़ेंगे।

राष्ट्रीय खेल दिवस हमें याद दिलाता है कि ध्यानचंद जैसे नायकों के सपने अधूरे न रहें। हमें क्रिकेट के साथ-साथ हॉकी और अन्य खेलों को भी प्रोत्साहन देना होगा। तभी भारत वास्तव में खेल महाशक्ति बन सकेगा।

आज के इस पावन अवसर पर हम मेजर ध्यानचंद को शत-शत नमन करते हैं।
उनकी ईमानदारी, अनुशासन और खेल के प्रति समर्पण युवाओं के लिए प्रेरणा हैं।
हे हॉकी के सम्राट! आपके सपनों का भारत तभी साकार होगा जब हर खेल को समान सम्मान मिलेगा।


4 comments:

Anonymous said...

यह दिन खेलों में भाग लेने और शारीरिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित करता है ।

Dr K S Bhardwaj said...

Major Dhyan Chand name will shine forever.....

Director, EDU-STEP FOUNDATION said...

Thanks a lot.

Director, EDU-STEP FOUNDATION said...

Thanks a lot.