मदन लाल धींगरा: एक अमर बलिदानी
जन्म: 18 सितंबर 1883
शहादत:
17 अगस्त 1909
मदन लाल धींगरा का जन्म पंजाब के अमृतसर में हुआ था। वह एक संपन्न परिवार से
थे, लेकिन जब उन्होंने देखा कि उनका देश अंग्रेजों की गुलामी में जकड़ा हुआ है,
तो उन्होंने
अपने आरामदायक जीवन को त्याग दिया और स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।
यह पंक्तियाँ उनके भीतर के उबाल, क्रांति के ज्वार और देशप्रेम की गहराई को
दर्शाती हैं।
वे उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए, लेकिन वहाँ
जाकर उन्होंने क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेना शुरू किया। वहां उन्होंने
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को विदेशी भूमि पर एक नई दिशा दी।
🔫 कर्जन वायली की हत्या और
शहादत
1909 में उन्होंने ब्रिटिश
अधिकारी सर विलियम कर्जन वायली की गोली मारकर
हत्या कर दी। यह घटना ब्रिटेन में तहलका मचा गई थी। उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया
गया और 17 अगस्त 1909 को उन्हें फांसी दे दी गई।
उनकी यह कुर्बानी आज भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की वीरगाथाओं में अमर है।
प्रेरणा का स्रोत
मदन लाल धींगरा की यह भावना कि "जब तक
गुलाम है देश मेरा, मौज कहां है जीने में," हर भारतीय को यह सोचने पर
मजबूर कर देती है कि सच्ची आज़ादी का मूल्य क्या होता है।
वे आज़ादी के उन दीवानों में से थे, जिनके कारण आज
हम स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं।
🙏 श्रद्धांजलि
आज हमें उनकी शहादत को याद करते हुए न सिर्फ
गर्व महसूस करना चाहिए, बल्कि यह भी संकल्प लेना चाहिए कि हम उनके सपनों का भारत
बनाएं — एक आत्मनिर्भर, न्यायपूर्ण और समर्पित राष्ट्र।
मदन लाल धींगरा अमर रहें!
जय हिन्द!
2 comments:
🙏कोटि कोटि नमन 🌹
Hai Hind To The Shaheed.
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