लेखक: आचार्य
रमेश सचदेवा
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हर किसी के
चेहरे पर कोई न कोई चिंता की रेखा साफ दिखाई देती है। आर्थिक बोझ, पारिवारिक
जिम्मेदारियां, करियर की उलझनें – हर कोई किसी न किसी कारण से परेशान है।
ऐसे में अगर हम खुश रहने के लिए किसी खास "वजह" की तलाश करते रहें,
तो शायद पूरी
जिंदगी गुज़र जाए और वो वजह न मिले।
लेकिन क्या खुशी की कोई कीमत होती है? क्या
मुस्कुराने के लिए किसी बड़े कारण की आवश्यकता होती है? बिल्कुल नहीं। असल में,
खुश रहने की
सबसे बड़ी कुंजी यही है कि हम बिना वजह भी मुस्कुरा पाएं।
बच्चों को देखिए – उन्हें किसी बड़ी सफलता,
बड़ी खरीदारी,
या प्रशंसा की
जरूरत नहीं होती। वे एक छोटी सी तितली देखकर भी हँस सकते हैं, एक कागज़ की
नाव पर खुश हो सकते हैं। उनके लिए खुशी एक भावना है, जो भीतर से आती है – और यही
हमें उनसे सीखना चाहिए।
बेवजह खुश रहना एक कला है – यह हमारी सोच को
हल्का बनाता है, हमारे संबंधों को मधुर करता है और हमें मानसिक शांति प्रदान
करता है। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि मुस्कुराना हमारे मस्तिष्क में हैप्पी
हार्मोन्स (जैसे डोपामाइन और सेरोटोनिन) को सक्रिय करता है, जिससे तनाव कम होता है और
ऊर्जा बढ़ती है।
आज के दौर में "वजहें" महंगी हैं –
कभी समय नहीं है, कभी पैसा नहीं है, कभी साथ नहीं है, और कभी मन नहीं है। ऐसे में
यदि हम खुश रहने की आदत डाल लें, तो ये दुनिया कुछ और ही सुंदर नज़र आने लगेगी।
तो आइए, एक संकल्प लें –
खुश रहेंगे,
बिना वजह भी।
क्योंकि वजहें तो कभी मिलेंगी, कभी नहीं…
पर जिंदगी हर दिन एक अवसर है, मुस्कुराने का, जीने का।
"बेवजह खुश रहिए, वजह बहुत महंगी है – और
जिंदगी बहुत खूबसूरत।" 🌼🙂
4 comments:
Happiness is within and satisfaction with what we have in our hands is root of happiness.
Nice thought sir
Really. Thanks bhai sahib
बेवजह खुश रहने के लिए आत्म त्याग और सकारात्मक सोच का होना ज़रूरी है ।
Post a Comment