Tuesday, July 1, 2025

राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस – 1 जुलाई देश के जीवनदाता को नमन (लेखक: आचार्य रमेश सचदेवा)


 राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस – 1 जुलाई

देश के जीवनदाता को नमन  

दिन हो या रात, ना कोई विराम,
सेवा में रत, हर पल उनका काम।
संवेदना का ये जीवंत रूप,
मानवता के लिए हरदम वे आरूप।

डॉक्टर का दिन कभी खत्म नहीं होता। चाहे सुबह का उजाला हो या आधी रात की शांति, वे हमेशा तैयार रहते हैं — इलाज करने, सांत्वना देने और पीड़ितों के साथ खड़े रहने के लिए। उनका सफेद कोट केवल एक पोशाक नहीं, बल्कि निःस्वार्थ सेवा, मौन बलिदान और अटूट समर्पण का प्रतीक है। चाहे वह भीड़-भाड़ वाले सरकारी अस्पताल हों, दूर-दराज के ग्रामीण क्लिनिक या कोई अचानक आई आपात स्थिति — डॉक्टर वहां आशा की किरण बनकर खड़े होते हैं। थकान के बावजूद, उनका कर्तव्य उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। उनकी 24 घंटे की सेवा कोई नौकरी नहीं, बल्कि एक आजीवन व्रत है — मानवता की सेवा करना, जीवन बचाना और जहां अंधकार हो वहां देखभाल की लौ जलाना।

1 जुलाई को क्यों मनाया जाता है?

भारत में हर साल 1 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है। यह महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. बिधान चंद्र रॉय की जयंती और पुण्यतिथि का दिन है। उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

वर्तमान युग में चिकित्सक का महत्व

डॉक्टर केवल पेशेवर नहीं हैं — वे जीवन रक्षक हैं। चाहे वह ऑपरेशन थिएटर हो या ग्रामीण क्षेत्र में टीकाकरण, डॉक्टर हर मोर्चे पर सेवा देते हैं, कई बार अपने आराम और जीवन की परवाह किए बिना।

क्या भारत सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी पूरी कर पाएगा?

आज भी भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की भारी कमी है।

  • डॉक्टर और मरीज का अनुपात बहुत असंतुलित है।
  • युवा डॉक्टर प्राइवेट सेक्टर की ओर रुख करते हैं क्योंकि वहाँ सुविधाएं और वेतन बेहतर होते हैं।
  • सरकारी चयन प्रक्रियाएं अक्सर धीमी और जटिल होती हैं।

समाधान के लिए आवश्यकता है:

  • मेडिकल सीटों में वृद्धि
  • ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर आवास व सुविधाएं
  • उचित वेतन, सुरक्षा व समय पर पदोन्नति

क्या डॉक्टर सेवा को कर्तव्य मानेंगे या व्यवसाय?

हालांकि बहुत से डॉक्टर निष्ठा से सेवा कर रहे हैं, लेकिन चिकित्सा क्षेत्र में व्यवसायिकता भी बढ़ रही है। अब समय है कि डॉक्टर अपने पेशे की आत्मा से जुड़ेंसेवा, सहानुभूति और कर्तव्य से।

चिकित्सा शिक्षा में नैतिक मूल्यों की मजबूत नींव डालना आवश्यक है।

डॉक्टर भारत को कैसे स्वस्थ बना सकते हैं?

  1. प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को मजबूत बनाना
  2. रोगों से पहले बचाव पर ज़ोर देना
  3. झूठी जानकारियों का खंडन करना
  4. सरकार और स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ मिलकर काम करना
  5. अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना

एक कृतज्ञ देश की ओर से

ICU, OPD, गाँव, शहर, या मेडिकल कॉलेज — जहां भी आप हैं, आपकी सेवा, त्याग और समर्पण को भारत नमन करता है।

 लेखक: आचार्य रमेश सचदेवा 

3 comments:

Dr K S Bhardwaj said...

Doctors and teachers, both are at receiving end.

Director, EDU-STEP FOUNDATION said...

Thanks bhai sahib ji

Anonymous said...

Bhagwan ke baad agar Jindgi bachane ka naam aata h to vo Dr hai. Salute to Drs .