अंगदान: मृत्यु के बाद भी जीवन की लौ
विशेष लेख – आचार्य रमेश सचदेवा
जीवन से परे जीवन
मानवता की सेवा के असंख्य मार्ग हैं, परंतु कुछ कर्म ऐसे होते हैं जो इंसान को मृत्यु
के बाद भी अमर कर देते हैं। अंगदान ऐसा ही महान कार्य है। यह केवल किसी एक व्यक्ति की जान बचाने तक सीमित नहीं,
बल्कि एक ही
दाता कई लोगों को जीवन और दृष्टि दे सकता है।
विश्व अंगदान
दिवस, जो हर वर्ष 13 अगस्त को मनाया जाता है, हमें इस अमूल्य सेवा का
स्मरण कराता है और जागरूकता का आह्वान करता है।
अंगदान का वास्तविक अर्थ
अंगदान का अर्थ है अपने अंग या ऊतक को जरूरतमंद व्यक्ति के लिए दान करना,
ताकि उसका जीवन
बच सके या उसकी जीवन गुणवत्ता बेहतर हो।
- अंग: हृदय, फेफड़े, लीवर, किडनी,
पैनक्रियास, आंत।
- ऊतक: नेत्र-पटल (कॉर्निया), त्वचा,
अस्थि, हृदय वाल्व, टेंडन।
कौन कर सकता है अंगदान?
- जीवित
दाता:
- एक किडनी, लीवर का एक भाग,
अस्थि-मज्जा, रक्त/प्लाज्मा।
- दान तभी, जब यह दाता के
स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित न करे।
- मृत दाता:
- मस्तिष्क-मृत्यु के बाद हृदय, फेफड़े, लीवर, किडनी, पैनक्रियास, आंत, कॉर्निया, त्वचा, अस्थि, हृदय वाल्व।
हृदय प्रत्यारोपण – जीवन का दूसरा अवसर
हृदय प्रत्यारोपण केवल मृत दाता से संभव है। मस्तिष्क-मृत्यु के बाद, यदि दाता का
हृदय स्वस्थ है, तो विशेषज्ञ टीम इसे सुरक्षित निकालकर गंभीर हृदय-रोगी को
प्रत्यारोपित करती है।
भारत में AIIMS
दिल्ली,
अपोलो चेन्नई,
फोर्टिस
गुरुग्राम/मुंबई, नारायण हेल्थ बेंगलुरु और श्री चित्रा तिरुअनन्तपुरम् जैसे
केंद्र इस क्षेत्र में अग्रणी हैं।
नेत्र-दान – अंधकार में प्रकाश
नेत्रदान सबसे सरल और प्रभावशाली दान है।
- क्या दान
होता है? कॉर्निया, जो कॉर्नियल अंधत्व से पीड़ित व्यक्ति को
दृष्टि देता है।
- समय-सीमा: मृत्यु के 4–6 घंटे के भीतर।
- विशेषता: अधिकांश आयु और स्वास्थ्य स्थितियों में संभव।
आई-बैंक और प्रशिक्षित टीम यह प्रक्रिया मर्यादा और सम्मान के साथ पूरी करती है।
भारत में अंगदान की वर्तमान तस्वीर
- प्रतिवर्ष
लगभग 17–18 हज़ार
प्रत्यारोपण, पर मृत-दाता दर अभी भी 0.8 प्रति
मिलियन जनसंख्या से कम।
- किडनी की
आवश्यकता 2 लाख, जबकि प्रत्यारोपण केवल 8,000 के आसपास।
- अग्रणी
राज्य: तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात,
तेलंगाना, दिल्ली-NCR।
- NOTTO,
ROTTO और SOTTO जैसे संगठन समन्वय और पारदर्शिता सुनिश्चित
करते हैं।
चिकित्सा-विज्ञान की भूमिका
· मैचिंग
व अस्वीकृति-निरोध: रक्त-समूह/ऊतक-मिलान, इम्यूनोसप्रेसिव दवाएँ।
· अंग
संरक्षण (Preservation): उन्नत
कोल्ड-स्टोरेज/परफ़्यूज़न तकनीक।
· पारदर्शिता
व समन्वय: पंजीकृत प्रतीक्षा-सूचियाँ, आवंटन-नीतियाँ, एवं समय-बद्ध ग्रीन कॉरिडोर जैसी
व्यवस्थाएँ।
- पारदर्शी
आवंटन और पंजीकृत प्रतीक्षा-सूचियां।
भारत में कहाँ-कहाँ सुविधा उपलब्ध है?
- राष्ट्रीय/क्षेत्रीय/राज्य
समन्वय:
- NOTTO
(National Organ & Tissue Transplant Organisation) – राष्ट्रीय स्तर पर नीति, आवंटन और डाटा समन्वय।
- ROTTO
– क्षेत्रीय समन्वय केन्द्र।
- SOTTO
– राज्य-स्तरीय समन्वय व पंजीकरण।
- अस्पताल व
आई-बैंक नेटवर्क: देश के
अधिकांश सरकारी/निजी मेडिकल कॉलेज, सुपर-स्पेशियलिटी
अस्पताल, तथा शहर-शहर में आई-बैंक
(नेत्र-दान हेतु) सक्रिय हैं।
- अग्रणी
राज्य (उदाहरण): तमिलनाडु,
कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र,
गुजरात, केरल, दिल्ली-NCR
आदि—जहाँ अंग/ऊतक दान व ट्रांसप्लांट की मज़बूत
व्यवस्था विकसित हुई है।
मिथक और सच्चाई
- मिथक: अंगदान से शरीर का सम्मान नहीं रहता।
सत्य: प्रक्रिया पूरी गरिमा और सम्मान के साथ होती है। - मिथक: धर्म में अंगदान वर्जित है।
सत्य: अधिकांश धर्म जीवन-रक्षा को सर्वोच्च मानते हैं।
आज तक की स्थिति—प्रगति व चुनौतियाँ
- प्रगति: ट्रांसप्लांट केन्द्रों की संख्या बढ़ी है; नेत्र-दान
जागरूकता में निरन्तर सुधार; ग्रीन-कॉरिडोर व समर्पित समन्वय तंत्र से अधिक जीवन बच
रहे हैं।
- चुनौतियाँ: मृत-दाता दर अभी भी कम; समय-सीमा
व लॉजिस्टिक्स; मिथक/भय/जानकारी का अभाव; परिजनों
की अनिश्चितता।
- आगे का
मार्ग: व्यापक जन-जागरूकता,
स्कूल-कॉलेज स्तर पर शिक्षा, सरल
सहमति-प्रक्रिया, रेफ़रल अस्पतालों के बीच त्वरित समन्वय, तथा
आई-बैंक/ट्रांसप्लांट इकाइयों का विस्तार।
भारत में प्रतिज्ञा (Pledge) कैसे करें?
- जीवनकाल
में अंग-दान/नेत्र-दान की प्रतिज्ञा ऑनलाइन/ऑफ़लाइन कर के डोनर-कार्ड प्राप्त करें।
- अपनी
इच्छा परिवार व मित्रों
को स्पष्ट बतायें—परिवार की सहमति अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।
- अपने शहर
के आई-बैंक व ट्रांसप्लांट-समन्वय केन्द्र
का नम्बर हमेशा सहेजकर रखें ताकि आपातकाल में परिवार
तुरंत संपर्क कर सके।
नेत्र-दान (Eye Donation / Corneal Donation)—रोशनी बाँटने
का सबसे सरल मार्ग
- क्या दान
होता है? आँख का कॉर्निया
(नेत्र-पटल), जिससे कॉर्नियल
अंधत्व से पीड़ित व्यक्ति को दृष्टि मिल सकती है।
- कौन कर
सकता/सकती है? अधिकांश लोग मृत्यु के
बाद नेत्र-दान कर सकते हैं। सामान्यतः आयु, चश्मा,
मोतियाबिन्द, शुगर/बीपी जैसी स्थितियाँ कॉर्निया-दान की
बाधा नहीं होतीं (डॉक्टर उपयुक्तता जाँचते हैं)।
- समय-सीमा: मृत्यु के कुछ घंटों के भीतर (आम तौर पर 4–6 घंटे के
अंदर) कॉर्निया निकालना सर्वोत्तम माना जाता है।
- परिवार
क्या करे? निकटतम आई-बैंक/अस्पताल को तुरंत फोन करें; नेत्र-दान
घर पर भी प्रशिक्षित टीम द्वारा किया जा सकता है।
- क्यों
ज़रूरी? नेत्र-दान से किसी को नयी
दृष्टि मिलती है; यह
सामाजिक-आध्यात्मिक रूप से अत्यन्त पुण्यकारी और सुगम दान है।
हृदय प्रत्यारोपण—अंगदान का जीवनदायी पक्ष
- क्या और
कैसे: हृदय (Heart) केवल मृत दाता से लिया
जाता है। दाता का हृदय स्वस्थ हो, और समय-सीमा के भीतर ट्रांसप्लांट टीम उसे
प्राप्तकर्ता तक पहुँचाए—तभी प्रत्यारोपण सम्भव है।
- किसे लाभ: जिन रोगियों में हार्ट
फ़ेल्योर अंतिम चरण में हो और अन्य उपचार विकल्प
समाप्त हो गए हों, उनके लिये हृदय प्रत्यारोपण जीवन का नया अवसर है।
- भारत में
प्रमुख केन्द्र (उदाहरण): AIIMS नई दिल्ली, अपोलो
(चेन्नई), फोर्टिस (गुरुग्राम/मुंबई), नारायण
हेल्थ (बेंगलुरु), श्री चित्रा (तिरुअनन्तपुरम्) इत्यादि।
- महत्व: समयबद्ध समन्वय, सटीक
मैचिंग और पोस्ट-ऑप देखभाल से हज़ारों जीवन सम्भव हुए हैं।
संकल्प का समय
अंगदान और नेत्रदान हमें मृत्यु के बाद भी किसी के जीवन और दृष्टि का कारण
बनने का अवसर देते हैं। आवश्यकता है केवल एक जागरूक निर्णय और परिवार को हमारी
इच्छा बताने की।
आइए, हम सभी यह
संकल्प लें—
“मेरे जाने के बाद भी कोई मेरी वजह से सांस ले और रोशनी देख सके—यही है सबसे
बड़ा पुण्य।”
4 comments:
अंगदान सर्वोच्च दान
मरणोपरांत यदि हमारे शरीर के अंग भी किसी जरूरतमंद के काम आ जाएं तो मरना भी सफल हो जाता है एवं हम मरने के बाद भी जीवित रह सकते हैं...
Donating body parts is good. Good article to make the people aware of such donation.
Thanks bhai sahib
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