श्री गुरु तेग बहादुर–मानवता के सच्चे रक्षक
‘साहस और शौर्य
के देवता’, जो धर्म और मानवीय मूल्यों के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर
गये। वे ही कहलाए—‘हिन्द की चादर’
– रमेश सचदेवा की श्रद्धांजलि
भारतभूमि ने
जितने महान महापुरुषों को जन्म दिया है, उनमें श्री गुरु तेग बहादुर जी का स्थान अद्वितीय है। वे
केवल सिख पंथ के नौवें गुरु नहीं थे, बल्कि पूरी मानवता के रक्षक
थे— साहस, त्याग, करुणा और
धार्मिक स्वतंत्रता के अमर प्रतीक।
उनका बलिदान
केवल एक समुदाय या धर्म के लिए नहीं था, बल्कि प्रत्येक मानव की स्वतंत्रता, सम्मान और अस्तित्व के लिए था। इसी कारण इतिहास ने उन्हें एक गौरवशाली उपाधि दी—
‘हिन्द की चादर’
जिन्होंने पूरे
राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने प्राण अर्पित कर दिए।
धर्म की रक्षा के लिए आदर्श बलिदान
मुगलकाल का
अत्याचार चरम पर था। कश्मीरी पंडितों को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जा रहा
था। भय, हिंसा और दमन के उस समय में पूरे समाज की नज़रों ने जिस
व्यक्ति पर विश्वास किया,
वह थे गुरु तेग बहादुर जी।
उन्होंने कहा— “धर्म किसी का भी हो—उसे मानने का अधिकार हर मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है।” यह वाक्य केवल
शब्द नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता का घोषणा-पत्र है।
बलिदान जो इतिहास को अमर कर गया
दिल्ली के
चांदनी चौक में, अत्याचारियों के सामने, उन्होंने मुस्कुराते हुए
अपना सिर कटवाया—
न किसी से डर कर,
न किसी प्रलोभन में आकर,
बल्कि इस विश्वास के साथ कि
धर्म और मानवाधिकारों की रक्षा ही मनुष्य का सबसे बड़ा कर्तव्य है।
उनका शहादत
इतिहास की वह दीपशिखा है,
जो आज भी अंधकार को चुनौती देती है।
साहस, शौर्य और त्याग के देवता
गुरु तेग
बहादुर जी का जीवन संदेश देता है कि—
- साहस डर की अनुपस्थिति
नहीं, बल्कि धर्म के
लिए खड़े होने की क्षमता है।
- त्याग कोई दुर्बलता
नहीं, बल्कि चरित्र की
सबसे बड़ी शक्ति है।
- और शौर्य युद्धभूमि
में ही नहीं, सत्य के मार्ग पर टिके रहने में भी होता है।
गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान दिवस पर देश का संकल्प
आज, गुरु तेग बहादुर जी के त्याग और बलिदान दिवस पर, समूचे भारतवासियों की ओर से यह संकल्प लिया जाता है—
- हम धर्म, सत्य और
मानवता के मूल्यों की रक्षा
करेंगे।
- हम किसी भी अत्याचार, अन्याय या
भेदभाव के सामने मौन नहीं रहेंगे।
- हम अपने देश को साहस, शौर्य, करुणा और उदारता के मूल्यों से सजाएँगे।
- हम उनके सपनों का—
न्यायपूर्ण, सहिष्णु, समरस और
मानवतावादी भारत
निर्माण करने में अपना सर्वस्व समर्पित करेंगे।
यही होगी उनके
प्रति राष्ट्र की सच्ची श्रद्धांजलि
गुरु तेग बहादुर जी का
बलिदान केवल इतिहास की कहानी नहीं—
एक जीवनशैली, एक संस्कृति, एक संदेश है।
जब भी हम किसी अन्याय के खिलाफ खड़े होते हैं,
जब भी हम किसी कमजोर का हाथ थामते हैं,
जब भी हम किसी को उसके धर्म, भाषा या विचार
की स्वतंत्रता देते हैं—
हम गुरु तेग बहादुर जी के मार्ग पर चलते हैं।
🙏 “हिन्द की चादर” को शत-शत नमन।
2 comments:
सत्त श्री अकाल
Waheguru ji
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