Tuesday, November 4, 2025

गुरु नानक देव जी जयंती – एक प्रकाशपर्व आत्मा के जागरण का

 


गुरु नानक देव जी जयंती – एक प्रकाशपर्व आत्मा के जागरण का

✍️ आचार्य रमेश सचदेवा

जब संसार अंधकार, अज्ञान, और अन्याय की गर्त में डूबा हो — तब कोई एक आत्मा प्रकाश बनकर जन्म लेती है, जो युगों-युगों तक मानवता का मार्गदर्शन करती है। ऐसी ही एक दिव्य आत्मा थे सतगुरु नानक देव जी, जिनका जन्म कार्तिक पूर्णिमा के पावन दिन हुआ। यह दिन केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, अपितु मानवता, सत्य, सेवा और समरसता का स्मरण दिवस है।

गुरु नानक – नाम नहीं, विचारधारा हैं

गुरु नानक देव जी का जीवन संदेश देता है कि ईश्वर एक है, वह जाति, भाषा, धर्म, संप्रदाय से परे है, और हर जीव में समाहित है। उन्होंने कहा: "एक ओंकार सतनाम"केवल एक ही ईश्वर है, वही सत्य है। यह घोषणा न केवल धार्मिक बल्कि दर्शनशास्त्र, आत्मबोध और समानता की क्रांति थी।

वाणी से क्रांति, सेवा से संकल्प

गुरु नानक देव जी ने उपदेश नहीं दिए, उदाहरण दिए उन्होंने अमीर-गरीब, हिंदू-मुस्लिम, उच्च-नीच के भेद को अस्वीकार कर "नाम जपो, कीरत करो, वंड छको" का मंत्र दिया – यानी ईश्वर का स्मरण करो, मेहनत से जीवन यापन करो, और दूसरों से बांटकर जीओ।

वह पहले आध्यात्मिक शिक्षक थे जिन्होंने लोकतांत्रिक शिक्षा, श्रम की गरिमा और भोजन की समानता का व्यावहारिक उदाहरण लंगर परंपरा के रूप में स्थापित किया।

उनका जीवन – एक यात्रा, एक यज्ञ

गुरु नानक जी ने अपने जीवन में 28,000 किलोमीटर से अधिक की यात्राएं कीं – वे पैदल ही मक्का, काबा, तिब्बत, बंगाल, श्रीलंका तक गए। उन्होंने राजाओं से लेकर भिक्षुओं तक को यह बताया कि धर्म मनुष्यता से बड़ा नहीं हो सकता। उनकी वाणी, गुरबाणी, आज भी करोड़ों लोगों को दिशा देती है।

आज के युग में गुरु नानक क्यों ज़रूरी हैं?

आज जब दुनिया में धर्म को हथियार बनाया जा रहा है, जब समाज में असहिष्णुता और वैचारिक विभाजन गहराते जा रहे हैं — तब गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ प्रकाशस्तंभ की तरह हैं, जो हमें प्रेम, शांति, करुणा और समरसता की राह दिखाती हैं।

एक निवेदन, एक प्रतिज्ञा

गुरु नानक देव जी केवल स्मरण करने के लिए नहीं, अनुकरण करने के लिए हैं।  इस जयंती पर आइए हम केवल दीए या नगर कीर्तन तक सीमित न रहें — बल्कि यह संकल्प लें कि:

  • हम हर धर्म, हर मनुष्य का सम्मान करेंगे।
  • सच्चाई, मेहनत और सेवा को जीवन का मूल बनाएंगे।
  • किसी भी भेदभाव से ऊपर उठकर वसुधैव कुटुम्बकम् को अपनाएंगे।

गुरु नानक देव जी उद्घोष: "न कोई हिन्दू, न मुसलमान – सब इंसान, सब भगवान के बच्चे हैं।"     

 

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