✍️ लेखक – आचार्य रमेश सचदेवा
(शिक्षाविद एवं समाजचिंतक)
14 नवम्बर – यह तारीख हर
भारतीय बच्चे के मन में विशेष स्थान रखती है। यह सिर्फ पंडित जवाहरलाल
नेहरू का जन्मदिन नहीं, बल्कि बचपन के सम्मान
और संवेदना का प्रतीक भी बन चुकी है।
नेहरू जी को बच्चे 'चाचा' नेहरू कहते हैं
— ये संबोधन सिर्फ एक पारिवारिक पदवी नहीं, बल्कि
भावनात्मक समीपता का प्रतीक है।
नेहरू जी को 'चाचा' क्यों कहा गया 'ताया' नहीं?
भारतीय संस्कृति में 'चाचा' (पिता का छोटा
भाई) वो होता है जो बच्चों के साथ खेलता है, हँसी-मजाक करता
है, उन्हें कहानी सुनाता है और नसीहतें कम, अपनापन ज्यादा देता है।
इसके विपरीत,
'ताया' (पिता का बड़ा
भाई) अक्सर अनुशासन और अधिकार का प्रतिनिधि होता है।
नेहरू जी ने बच्चों को
डांटने या आदेश देने की बजाय, उन्हें गले लगाया, उनके साथ बैठकर बात की,
उनके अधिकारों की रक्षा की बात की — इसलिए वे ‘चाचा’ बने, ‘ताया’ नहीं।
चाचा का रिश्ता जीवन में
क्यों जरूरी है?
- अपनापन बिना डर के: चाचा एक
ऐसा रिश्ता होता है जहां बच्चा दिल की बात खुलकर कह सकता है, बिना डांट
या डर के।
- मार्गदर्शक और मित्र: वह
व्यक्ति जो बच्चा ना होते हुए भी बचपन की भावनाओं को समझे — यही चाचा का
मूल्य है।
- संवेदनशील और सहायक: बच्चों के
प्रति नेहरू जी की संवेदनशीलता उन्हें केवल नेता नहीं, एक भावनात्मक संरक्षक बनाती है।
नेहरू जी और बच्चों का
स्नेहिल जुड़ाव
नेहरू जी मानते थे — “आज के बच्चे कल का भारत हैं।”
उनकी नीतियों में शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण सबसे ऊपर
थे। उन्होंने बच्चों के लिए AIIMS, IITs, यूनिवर्सिटीज़,
पंचवर्षीय योजनाएँ जैसे आधार मजबूत किए।
बालिकाओं की
शिक्षा, विज्ञान शिक्षा और पुस्तकालयों के विस्तार पर उनका विशेष बल था।
🧠 नेहरू: एक दूरदर्शी
शिक्षाविद
नेहरू जी मानते थे कि शिक्षा का उद्देश्य केवल
जानकारी देना नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण, वैज्ञानिक सोच
और सामाजिक जिम्मेदारी को विकसित करना है।
उन्होंने भारतीय शिक्षा व्यवस्था में:
- AIIMS, IITs, NCERT, UGC, और पुस्तकालय आंदोलन जैसे
ढांचे खड़े किए,
- शिक्षा में समान अवसर और बालिका शिक्षा को
प्राथमिकता दी,
- और शिक्षा को राष्ट्र
निर्माण का सबसे बड़ा हथियार बताया।
“आज के बच्चे, कल का भारत
हैं।” – यही उनकी शिक्षाशास्त्रीय दृष्टि थी।
बाल दिवस: एक महोत्सव,
एक प्रतिबद्धता
14 नवम्बर को हम केवल नेहरू जी
को नहीं, बल्कि उनके विचारों, उनके स्नेह और उनकी
उम्मीदों को भी याद करते हैं। यह दिन हमें याद दिलाता है कि बच्चे
केवल भविष्य नहीं, वर्तमान की भी ज़िम्मेदारी हैं।
चाचा नेहरू, बच्चों के मन
के सम्राट
नेहरू जी को ‘चाचा’ कहने में जो आत्मीयता है,
वह किसी भी
अधिकारिक संबोधन से कहीं अधिक सजीव है।
उनकी छवि एक
ऐसे चाचा की थी जो बच्चों की आँखों में सपने देख सकते थे, और उन्हें पूरा करने का
मार्ग भी दिखा सकते थे।
🙏 आइए, इस बाल दिवस पर
संकल्प लें —
कि हम भी अपने जीवन में 'चाचा' जैसे बनें — स्नेहशील,
संवेदनशील और सच्चे मार्गदर्शक।
चाचा का रिश्ता जीवन में क्यों जरूरी है?
- वह सहयोगी
होता है, निर्णायक नहीं।
- वह संवेदना
से गाइड करता है, अधिकार से नहीं।
- चाचा एक ऐसा रिश्ता है जो संस्कृति
और स्नेह का संगम है।
चाचा नेहरू इस रिश्ते के जीवंत प्रतीक बनकर बच्चों के साथ जीते रहे — और आज भी जीवित हैं।
आइए, इस बाल दिवस पर
केवल भाषण न दें —
बल्कि अपने
जीवन में किसी एक बच्चे को 'सुनें', 'समझें', और 'सहयोग दें' — जैसे चाचा नेहरू देते थे।
.jpg)
8 comments:
जानकारी भरपूर आलेख
Happy Children's Day 🎁
Unique thinking
नेहरू जी का बच्चों के साथ विलक्षण प्रेम था।
Thanks a lot
Thanks a lot
Thanks a lot
Thanks a lot
Post a Comment