Monday, April 14, 2025

डॉ. भीमराव अंबेडकर: एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता


डॉ. भीमराव अंबेडकर: एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता

✍ आचार्य रमेश सचदेवा

डॉ. भीमराव अंबेडकर का नाम भारतीय इतिहास में केवल एक वर्ग के नेता के रूप में सीमित करना उनके व्यक्तित्व और योगदान की संकीर्ण व्याख्या होगी। अंबेडकर एक ऐसे विचारक, समाज सुधारक और संविधान निर्माता थे, जिन्होंने पूरे भारतीय समाज की समानता और न्याय के लिए जीवन भर संघर्ष किया।

केवल पिछड़े वर्ग के नेता?

अंबेडकर को मात्र दलितों या पिछड़े वर्गों के नेता के रूप में प्रस्तुत करना उनके योगदान का अपमान है। उन्होंने तो ऐसे भारत की कल्पना की थी, जहां जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो। संविधान में मौलिक अधिकारों का समावेश और समानता का मूलमंत्र उनके ही प्रयासों का परिणाम है, जिससे आज हर भारतीय नागरिक लाभान्वित है, चाहे वह किसी भी वर्ग का हो।

नीले रंग से जोड़ना – एक सीमित प्रतीक?

आज अंबेडकर को अक्सर केवल नीले रंग से जोड़ दिया जाता है। वास्तव में, रंग कोई भी हो, अंबेडकर का संदेश कहीं अधिक व्यापक है – शिक्षा, संगठन और संघर्ष। उनका विचार था कि ज्ञान और समान अवसरों के माध्यम से ही समाज की सच्ची उन्नति संभव है। अतः किसी एक रंग में उन्हें सीमित कर देना उनके विराट चिंतन को एक संकीर्ण दायरे में बांधने जैसा है।

आरक्षण का श्रेय – केवल अंबेडकर को?

आरक्षण नीति भारतीय समाज में ऐतिहासिक असमानताओं को दूर करने का एक साधन थी। अंबेडकर ने अवश्य इसकी पैरवी की, परंतु यह केवल उनके प्रयासों का परिणाम नहीं था। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विभिन्न नेताओं और समितियों ने भी समाज के वंचित वर्गों को समान अवसर प्रदान करने पर बल दिया था। अतः आरक्षण को केवल अंबेडकर से जोड़ना सम्पूर्ण इतिहास का सरलीकरण है।

आरक्षण से लाभ और उसकी निरंतरता?

निस्संदेह, आरक्षण ने समाज के पिछड़े वर्गों को शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व के अवसर प्रदान किए। अनेक प्रतिभाशाली व्यक्तियों ने आरक्षण के माध्यम से आगे बढ़कर देश सेवा की है।

किन्तु साथ ही यह भी सत्य है कि आज आवश्यकता इस बात की है कि आरक्षण की पुनः समीक्षा हो — ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सहायता वास्तव में जरूरतमंद को मिले और यह व्यवस्था स्थायी निर्भरता का कारण न बने।

केवल आरक्षण के संदर्भ में अंबेडकर को स्मरण – क्या यह उचित है?

डॉ. अंबेडकर केवल आरक्षण के प्रतीक नहीं हैं। वे न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आधार पर समाज के पुनर्निर्माण के प्रणेता हैं। उन्हें केवल आरक्षण के संदर्भ में याद करना उनके समग्र योगदान की अनदेखी करना है। शिक्षा के प्रचार, महिलाओं के अधिकारों, श्रमिकों की दशा सुधारने और धर्मनिरपेक्ष भारत के निर्माण में भी उनका अविस्मरणीय योगदान है।

डॉ. अंबेडकर को केवल किसी एक वर्ग, रंग या नीति तक सीमित करना उनके विराट योगदान का अपमान है। वे एक राष्ट्रीय चिन्तक थे, जिनकी प्रेरणा आज भी समता, शिक्षा और आत्मसम्मान की भावना के रूप में प्रासंगिक है। आवश्यकता है कि हम उन्हें उनके सम्पूर्ण विचार-संसार के साथ अपनाएं — न कि केवल किसी एक संदर्भ तक सीमित करें।


6 comments:

Anonymous said...

Ambedkar ji was indeed a visionary and a trailblazer. Agree with the fact that the reservation policy needs a review.

Anonymous said...

अदभुत विश्लेषण

Anonymous said...

Accha hain visleshan kintu aaj aarakshan ke visleshan ki punah avasyakta hain.

Amit Behal said...

Salute to a legendary💐🙏

Anonymous said...

Very well explained . Thanks ji

Dr K S Bhardwaj said...

अंबेडकर को मोदी गैंग ने विवादास्पद बना डाला।