मनुष्य के जीवन में निर्णयों की श्रृंखला कभी नहीं रुकती। हर मोड़ पर हमें किसी न किसी दिशा का चयन करना होता है। लेकिन सभी निर्णयों में एक ऐसा निर्णय होता है जो आगे के सभी निर्णयों की गुणवत्ता और दिशा तय करता है — और वह है, हम किसे मार्गदर्शक बनाते हैं।
महाभारत के युद्ध में अर्जुन के सामने असंख्य विकल्प थे — रणभूमि से भाग जाना, युद्ध करना, या संदेह में पड़े रहना। लेकिन उसने केवल एक निर्णय लिया — "मुझे श्रीकृष्ण चाहिए।" यह निर्णय लेते ही बाकी सारे निर्णय श्रीकृष्ण ने स्वयं अर्जुन के लिये कर दिये। यह कोई साधारण बात नहीं थी, यह पूर्ण समर्पण का प्रतीक था। जब हम जीवन की दिशा तय करने में असमर्थ होते हैं, तब सही गुरु, मार्गदर्शक या ईश्वर का चुनाव ही आगे की सारी उलझनों को सुलझा देता है।
जीवन में अक्सर हम बहुत कुछ तय करने की कोशिश में उलझ जाते हैं — करियर, रिश्ते, लक्ष्य, जीवनशैली। लेकिन क्या कभी हमने सोचा है कि हम ये सारे निर्णय किस आधार पर ले रहे हैं? अगर हमारा पहला निर्णय सही है — यानी कि हमने अपने जीवन का सारथी किसी योग्य, मूल्यनिष्ठ और ईश्वरीय शक्ति को बनाया है — तो शेष निर्णय स्वाभाविक रूप से सरल हो जाते हैं।
अर्जुन की तरह ही, अगर हम भी यह तय कर लें कि जीवन में श्रीकृष्ण जैसा कोई आदर्श, कोई सच्चा मूल्य, कोई दिव्य चेतना हमारा मार्गदर्शन करे — तो फिर आगे की राह भले ही कठिन हो, मगर दिशा स्पष्ट होगी, निर्णय आसान होंगे और अंततः विजय निश्चित होगी।
इसलिए, अपने जीवन में सबसे पहले जो निर्णय लीजिए, वह हो — किसका साथ चाहिए?
फिर देखिए, कैसे शेष निर्णय अपने आप सार्थक हो जाते हैं।
निष्कर्ष:
आपका पहला निर्णय ही आपके सम्पूर्ण जीवन की दशा और दिशा तय करता है। उसे सोच-समझकर, श्रद्धा से और विवेक से लीजिए — क्योंकि वही निर्णायक है।
4 comments:
Bahut achha thought h ji
शांत मन, समझदारी और विवेक से लिया गया निर्णय जीवन को सुखमय ही नहीं बनाता बल्कि बुलंदियों तक पहुंचा देता है।
Thanks. Please fill email and name also.
आभार भाई
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