Monday, April 7, 2025

मंगल पांडे – स्वतंत्रता संग्राम की पहली चिंगारी

 


मंगल पांडे – स्वतंत्रता संग्राम की पहली चिंगारी


1857 का भारत अंग्रेजों की दासता की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था। विदेशी शासक भारतीयों का दमन कर रहे थे, उनकी संस्कृति, आस्था और आत्मसम्मान को कुचलने का प्रयास कर रहे थे। ऐसे समय में एक साधारण सैनिक मंगल पांडे ने पहला विद्रोह का स्वर फूंका।

ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में काम करने वाले भारतीय सिपाहियों को नई एनफील्ड राइफल दी गई थी, जिसके कारतूसों में गाय और सूअर की चर्बी लगी होने की अफवाह फैल गई। यह हिंदू और मुस्लिम दोनों के धार्मिक विश्वासों का अपमान था। मंगल पांडे ने इस अन्याय का विरोध करते हुए 29 मार्च 1857 को बैरकपुर छावनी में अंग्रेज अफसरों पर हमला कर दिया।

उनके साहस ने एक चिंगारी सुलगाई, जिसने आगे चलकर पूरे देश को आज़ादी के महासंग्राम में झोंक दिया। 8 अप्रैल, 1857 को अंग्रेजों ने मंगल पांडे को फांसी पर चढ़ा दिया, लेकिन उनके बलिदान ने लाखों देशवासियों के हृदयों में स्वतंत्रता की अमर ज्योति जला दी।

मंगल पांडे का यह बलिदान हमें सिखाता है कि स्वाभिमान की रक्षा के लिए जब भी अन्याय के विरुद्ध खड़ा होना पड़े, तो प्राणों का उत्सर्ग भी छोटा मूल्य है। उनका नाम भारतीय इतिहास में 'प्रथम स्वतंत्रता सेनानी' के रूप में अमर हो गया।

"जिस दिन अन्याय को सहना छोड़ देंगे, उसी दिन सच्ची आज़ादी की राह खुलेगी।"

6 comments:

Sudesh Kumar Arya said...

स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखने वाले महान् स्वतंत्रता सेनानी को कोटि कोटि नमन।

Absolutely Right. But according to me motivation works only when urs environment in which u r residing is favourable said...

Mangal Pandey real hero

Director, EDU-STEP FOUNDATION said...

धन्यवाद जी

Director, EDU-STEP FOUNDATION said...

Thanks a lot

Anonymous said...

Achhii jaankari di h aapne . Aise logo ka smaj me Bahut yogdan rha h .

Director, EDU-STEP FOUNDATION said...

Thanks, ji. Name bhi likh dete to aur achchha lagta