Monday, April 21, 2025

कटते पेड़, बुझती साँसें – जीवन की लाश पर विकास?

 


 विशेष लेख | 🌍 विश्व पृथ्वी दिवस   

कटते पेड़, बुझती साँसें – जीवन की लाश पर विकास?
🖋️ लेखक: आचार्य रमेश सचदेवा

हर वर्ष 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। स्कूलों में भाषण होते हैं, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर हरे-भरे स्टेटस लगाए जाते हैं, कुछ पौधे भी रोप दिए जाते हैं। लोग "Save Earth", "Go Green", "No Plastic" जैसे संदेश साझा करके मान लेते हैं कि उन्होंने अपनी भूमिका निभा दी।

लेकिन क्या कभी हम सबने खुद से यह प्रश्न किया है कि क्या हम वाकई  पृथ्वी दिवस  मना रहे हैं या बस उसका शोक गीत गा रहे हैं?

आज जब हम चौड़ी सड़कों, गगनचुंबी इमारतों और आधुनिकता पर गर्व करते हैं, तो भूल जाते हैं कि इन तथाकथित विकास के चिन्हों की नींव उन पेड़ों की लाशों पर टिकी है, जिन्होंने वर्षों तक हमें छांव, ऑक्सीजन और जीवन दिया।

हमारी दुनिया विकास की आड़ में विनाश के रास्ते पर दौड़ रही है — पेड़ अब केवल लकड़ी समझे जा रहे हैं, नदियाँ अब सीवरेज लाइनों में बदल दी गई हैं, हवा सांस के लिए नहीं, बीमारियों के लिए जिम्मेदार बन रही है।

आज हम पानी बोतलों में खरीद रहे हैं, कल को ऑक्सीजन सिलेंडर हमारी जेब का हिस्सा बन जाएगा। और तब, शायद हमें ये एहसास होगा कि धरती माँ को हमने धीरे-धीरे घोंट कर मार दिया।

हम ही हैं गुनहगार!

हमने सुविधाओं के नाम पर पेड़ों को काटा, प्लास्टिक से नदियों को जाम किया, इंसानी लालच से प्रकृति के हर नियम को तोड़ा।अब जब पृथ्वी बदले में गर्मी, तूफान, भूकंप और महामारी दे रही है —
तो हम आश्चर्य कर रहे हैं?

 पृथ्वी दिवस  अब एक चेतावनी है —  
यह सिर्फ एक दिवस नहीं, एक दिशा है कि अगर अभी भी नहीं संभले तो इस धरा का अर्थ वास्तव में अनर्थ बन जाएगा।

फेसबुक पर फोटो डालने से पृथ्वी नहीं बचेगी। बचाना है तो वृक्ष लगाइए, प्लास्टिक से बचिए, प्रकृति को माँ समझिए — दोहन का नहीं, पोषण का व्यवहार कीजिए।

क्या हमने सोचा है कि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ किस धरती पर रहेंगी?
जहाँ पानी के लिए बोतलें और हवा के लिए मास्क जरूरी हों?  
जहाँ खेतों में अन्न नहीं, फैक्ट्रियों का धुआँ उगे?

अगर सच में  पृथ्वी दिवस  मनाना है — तो आज ही कोई एक ऐसा कार्य कीजिए जिससे धरती को राहत मिले, जीवन को दिशा मिले।

🌱 एक पेड़ लगाइए।  
🧺 एक दिन बिना प्लास्टिक के जिएं। 
🚴 एक दिन बाइक की जगह साइकिल से चलें।
🌾 बच्चों को प्रकृति से जोड़िए, मशीनों से नहीं।

यह धरती केवल एक ग्रह नहीं — हमारी माँ है। 
अगर माँ की गोद जल गई, तो हम कहाँ खेलेंगे?

आइए,  पृथ्वी दिवस  को सोशल मीडिया पोस्ट नहीं, एक आत्मचिंतन बनाएं। क्योंकि अगर हमने आज नहीं सोचा — तो कल सोचने के लिए धरती ही नहीं बचेगी।

 

5 comments:

Subhash chander said...

Sir as I observed time span of winter season was very less as compared to previous years. This is because of cut off of large number of trees for making roads. Heat weaves running very early this time. Need to plant trees.govt policy fails regarding plantation. Good and inspirational article by you. Thx Sir

Dev JUneja said...

Sir, you have raised a very important issue. We can't expect life without greenery. The trees are our life line but we are cutting it mercilessly. Is it sufficient to post on social media or putting a status on mobile? Road infrastructure is necessary for the development of a country but on on the cost of the life of the humanity. We are proud of our high buildings but have we thought of our high life. We are not respecting the nature and how ew can expect respect from nature. It is why we are facing so many problems such as floods, soil erosion and more. It is high time to mend our ways and respect nature so that life may continue to be on this planet. Thanks sir for raising such important issues.

Director, EDU-STEP FOUNDATION said...

Thanks a lot.

Director, EDU-STEP FOUNDATION said...

Heartiest thanks for such a keen comment. Salute you. Keep blessing me.

Amit Behal said...

Reduce Carbon Footprints is the need of the hour...