Monday, April 21, 2025

झूठ कब बोलना शुरू करते हैं?

 


झूठ कब बोलना शुरू करते हैं?

✍️ लेखक: आचार्य रमेश सचदेवा

बचपन में जब कोई बच्चा पहली बार झूठ बोलता है, तो वह अक्सर डर, सजा से बचने, या अपनी बात मनवाने के लिए ऐसा करता है। पर क्या यह सिर्फ बाल्यावस्था की मासूमियत होती है या समाज की अनदेखी शुरूआत?


विडंबना यह है कि झूठ बोलने से पाप लगता है और सच बोलने से दूसरों को मिर्ची।

1. झूठ की पहली पाठशाला: घर

बच्चा सबसे पहले घर में यह देखता है कि वयस्क क्या कहते हैं और क्या करते हैं।
जब माता-पिता फोन पर कहें: "बोल दो मैं घर पर नहीं हूं," तो बच्चा सीखता है कि सच से अधिक ज़रूरी होता है लाभ।           
वहीं यदि कोई गलती पर डांट की बजाय संवाद होता है, तो बच्चा सत्य बोलने से नहीं डरता।

🔹 निष्कर्ष: झूठ का बीज सबसे पहले घर में बोया जाता है — जाने-अनजाने में।

2. डर और दंड: झूठ की ज़मीन

बच्चा तभी झूठ बोलता है जब उसे लगता है कि सच कहने पर उसे अपमान, दंड या तिरस्कार मिलेगा।
कई बार शिक्षक, माता-पिता या बड़े — गलती को स्वीकारने पर तारीफ़ की जगह डांटते हैं, जिससे बच्चा यह सीखता है कि सच बोलना खतरनाक है।

🔹 जब समाज ईमानदारी पर सज़ा और चालाकी पर इनाम देता है, तब झूठ स्वाभाविक विकल्प बनता है।

3. तुलना और अपेक्षाएं

जब किसी बच्चे को बार-बार तुलना का सामना करना पड़ता है — "देखो शर्मा जी का बेटा कितना अच्छा है!" — तो वह अपनी कमियों को छिपाने के लिए झूठ का सहारा लेता है।

🔹 अपेक्षाओं का दबाव, बच्चे को नकली उपलब्धियों और झूठी छवियों की ओर ले जाता है।

4. समाज की स्वीकार्यता

झूठ, अगर बार-बार बोले जाएं और उस पर कोई दंड न मिले, तो वह सामान्य लगने लगता है।
राजनीति, व्यापार और यहां तक कि शिक्षा जगत में भी जब सफलता के लिए ईमानदारी की जगह चतुराई को प्राथमिकता दी जाती है, तो झूठ संस्कृति बन जाता है।

🔹 अगर समाज खुद ही ईमानदारी को हाशिए पर रखता है, तो बच्चे किससे प्रेरणा लेंगे?

🕊️ समाधान की दिशा में:

  • बच्चों से संवाद करें, उनकी गलतियों को अवसर मानें।
  • घर और विद्यालय में सत्य बोलने पर प्रोत्साहन और संरक्षण दें।
  • अपने आचरण से उदाहरण बनें — क्योंकि बच्चा वह नहीं सुनता जो आप कहते हैं, वह देखता है जो आप करते हैं।

📝 अंत में, झूठ बोलना अचानक नहीं होता — यह एक प्रक्रिया है। यह तब शुरू होता है जब सच बोलने का वातावरण खत्म हो जाता है। यदि हम चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ी सच्चाई के साथ खड़ी हो, तो पहले हमें खुद को सुधारना होगा।

 

5 comments:

Anonymous said...

Nice Thought

Director, EDU-STEP FOUNDATION said...

Thanks

Anonymous said...

Jhooth bachha janm se hi bolna suru krta hai jab usko bhukh lagti hain tab baccha jhooth me hi rote hain

Anonymous said...

Right said.

Dr K S Bhardwaj said...

बहुत खूब