Wednesday, October 1, 2025

साथी चल चला चल


 साथी चल चला चल

लेखक : आचार्य रमेश सचदेवा 

मनुष्य जीवन एक यात्रा है। इस यात्रा में अकेले चलना न तो संभव है और न ही सुखद। जब हमारे साथ कोई साथी होता है, तब कठिन रास्ते भी सरल लगने लगते हैं। “साथी चल चला चल” केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि जीवन का मूल मंत्र है।

साथी का अर्थ केवल मित्र नहीं, बल्कि वह हर व्यक्ति है जो हमें प्रेरित करता है, मार्गदर्शन करता है और मुश्किल समय में हमारे साथ खड़ा रहता है। जब हम किसी लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाते हैं तो साथियों का सहयोग हमारी ऊर्जा को कई गुना बढ़ा देता है। यही कारण है कि समाज, परिवार और संगठन मिलकर कार्य करते हैं।

जीवन में हर किसी को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अकेला व्यक्ति थक सकता है, लेकिन यदि उसके साथ कोई साथी हो तो कठिनाइयाँ बोझ नहीं लगतीं। एक साथी का हौसला ही जीवन की सबसे बड़ी ताकत है। यही भावना हमें यह कहने पर मजबूर करती है – “साथी चल चला चल, राह कठिन हो तो भी कदम न रुकें।”

मनुष्य सामाजिक प्राणी है। अकेला व्यक्ति चाहे जितनी भी मेहनत करे, पर सामूहिक प्रयास ही बड़े परिवर्तन लाता है। देश की आज़ादी का आंदोलन इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। जब लाखों लोग एक स्वर में आगे बढ़े तो अंग्रेज़ों को भी भारत छोड़ना पड़ा। यह “साथी चल चला चल” की भावना का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

“साथी चल चला चल” हमें यह सिखाता है कि जीवन की राह पर अकेले नहीं, बल्कि साथ लेकर चलना चाहिए। यह वाक्य सहयोग, मित्रता, सामूहिकता और एकता का प्रतीक है। जब हम एक-दूसरे का हाथ थामकर आगे बढ़ेंगे तो न केवल हमारी यात्रा सफल होगी बल्कि समाज और राष्ट्र भी प्रगति की ऊँचाइयों को छुएगा।

चलो सभी मिल हाथ पकड़,
गाएँ हम खुशियों का गीत।
साथी चल चला चल प्यारे,
राह बनेगी और भी मीत।

सूरज जैसे चमकेंगे हम,
तारों जैसे जगमग होंगे।
मिलकर सब कदम बढ़ाएँ,
सपनों वाले रंग सजाएँ।

साथी चल चला चल प्यारे,
नये सफ़र की ओर बढ़ें।
साथी चल चला चल प्यारे,
मंज़िल तक हम सब जुड़ें।

6 comments:

Anonymous said...

"साथी हाथ बढ़ाना... साथी रे
एक अकेला थक जाए तो
मिलकर बोझ उठाना।"
आचार्य जी, आपने बहुत सटीक लिखा है। “साथी चल चला चल” केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि जीवन का मूल मंत्र है।
... पारिवारिक खून के रिश्ते अपने आप बनते हैं और दोस्त मित्र हम स्वयं चुनते हैं। जीवन में एक दो दोस्त मित्र तो ऐसे अवश्य होने चाहिए जो जीवन पर्यन्त आपका साथ निभा सकें।
सुदेश कुमार आर्य, अध्यक्ष
आर्य समाज मंडी डबवाली

Anonymous said...

बहुत अच्छा लिखा है ।

Director, EDU-STEP FOUNDATION said...

धन्यवाद जी

Director, EDU-STEP FOUNDATION said...

धन्यवाद। अपना नाम भी साथ लिखें अच्छा लगेगा

Dr K S Bhardwaj said...

साथी हाथ बढ़ाना, साथी हाथ बढाना, एक अकेला थक जायेगा, मिल कर बोझ उठाना....उत्तम लेख. काश भारतीय मतदाता भी इस सिद्धांत को समझ ले

Amit Behal said...

मैं अकेला ही बढ़ा था मंजिले जानिब की ओर... लोग जुड़ते गए कारवां बनता गया...🙏