Tuesday, August 19, 2025

फ़ोटोग्राफ़ी डे – यादों को जी लेने का एक सुंदर बहाना

 


📸 फ़ोटोग्राफ़ी डे – यादों को जी लेने का एक सुंदर बहाना

कई बार हम जीवन को बस जीते चले जाते हैं,
लेकिन फ़ोटोग्राफ़ी हमें जीवन को महसूस करना सिखाती है।

19 अगस्त – विश्व फ़ोटोग्राफ़ी दिवस, सिर्फ़ एक तारीख़ नहीं,
बल्कि उन सभी भावनाओं का उत्सव है
जो एक कैमरे के क्लिक के साथ हमेशा-हमेशा के लिए
समय के पन्नों में दर्ज हो जाती हैं।

फ़ोटो सिर्फ़ तस्वीर नहीं होती –
वो माँ के चेहरे की मुस्कान भी होती है,
दोस्ती के बेमिसाल पलों की गवाही भी होती है
और कभी न लौट पाने वाले समय की खूबसूरत याद भी होती है।

आज डिजिटल युग में कैमरा हर हाथ में है,
लेकिन तस्वीर वही अमर होती है जिसमें दिल शामिल होता है
अच्छा फ़ोटोग्राफ़र वही है
जो एक साधारण दृश्य में भी किसी अनकहे एहसास को पकड़ लेता है।

👉 फ़ोटोग्राफ़ी हमें क्या सिखाती है?

  • हर पल की क़ीमत समझना
  • छोटी-छोटी खुशियों को संभाल कर रखना
  • सुंदरता को ढूँढना, चाहे वो कहीं भी छिपी हो
  • और सबसे बढ़कर, जीवन को एक कला की तरह जीना।

इस फ़ोटोग्राफ़ी डे पर
हम हर उस व्यक्ति को सलाम करते हैं
जो अपने कैमरे के ज़रिये दुनिया को
एक नए नज़रिए से देखना सिखाता है।

🖋️
तस्वीरों का सबसे बड़ा जादू यह है कि
वो ख़ामोश होते हुए भी दिल से बातें करती हैं।

एक क्लिक… और एक कहानी जन्म लेती है।
तो आइए… आज एक ‘ऐसी तस्वीर’ लें
जिसे देखकर एक दिन हम यह कह सकें —
हाँ… मैंने वाक़ई इस जीवन को महसूस किया था।

📷 हैप्पी फ़ोटोग्राफ़ी डे! 💛

 

Sunday, August 17, 2025

नेताजी सुभाषचंद्र बोस: एक अद्वितीय जीवनगाथा

 


           ✨ नेताजी सुभाषचंद्र बोस: एक अद्वितीय जीवनगाथा

लेखक : आचार्य रमेश सचदेवा

"तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा"

नेताजी सुभाषचंद्र बोस, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वो अमर योद्धा थे, जिन्होंने न केवल अंग्रेज़ी हुकूमत को ललकारा, बल्कि भारतवासियों के दिलों में आज़ादी की लौ को और प्रज्वलित किया। आज उनकी पुण्यतिथि पर हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके जीवन की 28 प्रमुख घटनाओं को स्मरण करते हैं:

नेताजी के जीवन के 35 प्रेरणादायक बिंदु

  1. जन्म और परिवार नेताजी का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में एक समृद्ध बंगाली परिवार में हुआ। उनके पिता जानकीनाथ बोस मशहूर वकील थे और माँ प्रभावती देवी धार्मिक महिला थीं।
  2. बचपन से ही राष्ट्रप्रेमउन्होंने बहुत कम उम्र में भारत माता के चित्र पर माला चढ़ाकर प्रण लिया था कि देश के लिए कुछ बड़ा करेंगे।
  3. शिक्षाप्रारंभिक शिक्षा कटक के रेवेंशॉ कॉलेजिएट स्कूल से हुई।
  4. उच्च शिक्षा – 1913 में कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया, लेकिन देशभक्ति के जुनून के चलते अंग्रेज़ प्रोफेसर के अपमानजनक व्यवहार के खिलाफ आवाज़ उठाई और कॉलेज से निष्कासित हो गए।
  5. ICS की परीक्षा – 1920 में उन्होंने इंग्लैंड जाकर भारतीय प्रशासनिक सेवा (ICS) की परीक्षा पास की और चौथा स्थान प्राप्त किया।
  6. सरकारी नौकरी ठुकराईअंग्रेज़ों की गुलामी स्वीकार नहीं थी, इसलिए उन्होंने नौकरी लेने से इनकार कर दिया।
  7. स्वदेश वापसी और राजनीति में प्रवेश – 1921 में भारत लौटे और चितरंजन दास के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े।
  8. 'फॉरवर्ड' पत्रिका की स्थापनायुवाओं को जागरूक करने के लिए एक क्रांतिकारी पत्र शुरू किया।
  9. कोलकाता मेयर चुने गएयुवावस्था में ही वे कोलकाता के मेयर बने और प्रशासनिक दक्षता का परिचय दिया।
  10. कई बार जेल यात्राअंग्रेज़ों द्वारा उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया, पर कभी विचलित नहीं हुए।
  11. जवाहरलाल नेहरू के समकक्ष – 1927 में नेहरू के साथ कांग्रेस के महासचिव बने।
  12. अखिल भारतीय कांग्रेस अध्यक्ष – 1938 में हरिपुरा अधिवेशन में अध्यक्ष चुने गए।
  13. 1939 में पुनः अध्यक्ष लेकिन मतभेदगांधी जी के उम्मीदवार पट्टाभि सीतारमैया को हराया, जिससे मतभेद हुआ और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
  14. 'फॉरवर्ड ब्लॉक' की स्थापनाकांग्रेस छोड़ने के बाद भी स्वतंत्रता की लड़ाई से नहीं हटे।
  15. गोपनीय रूप से भारत से प्रस्थान – 1941 में अंग्रेज़ों की नजरबंदी से भागकर जर्मनी पहुँचे।
  16. हिटलर से मुलाकातउन्होंने एडोल्फ हिटलर से मिलकर भारत की आज़ादी के लिए समर्थन मांगा।
  17. आजाद हिंद रेडियो की स्थापनाभारतवासियों को विदेशों में संबोधित करने के लिए रेडियो स्टेशन शुरू किया।
  18. भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) की पुनर्स्थापनाजापान पहुँचकर रास बिहारी बोस से सेना का नेतृत्व संभाला।
  19. 'दिल्ली चलो' का नाराउन्होंने प्रेरणादायक नारा दिया: "दिल्ली चलो!"
  20. 'जय हिंद' और 'आजाद हिन्द फौज'इन शब्दों को उन्होंने भारत के संघर्ष का प्रतीक बना दिया।
  21. महिलाओं की भूमिकारानी लक्ष्मीबाई रेजिमेंट बनाकर महिलाओं को भी सशस्त्र संघर्ष में शामिल किया।
  22. सिंगापुर में आज़ाद हिंद सरकार की घोषणा – 21 अक्टूबर 1943 को स्वतंत्र सरकार की स्थापना की गई।
  23. स्वतंत्र भारत का नक्शा और मंत्रिमंडलउन्होंने प्रधानमंत्री सहित पूरे स्वतंत्र भारत का खाका घोषित किया।
  24. अंडमान-निकोबार द्वीपों को स्वतंत्र घोषित कियाइन्हें 'शहीद' और 'स्वराज' नाम दिया गया।
  25. जापान के साथ रणनीतिक संबंधसैन्य और आर्थिक समर्थन जुटाया।
  26. गांधी जी को ‘राष्ट्रपिता’ कहने वाले पहले नेतायह संबोधन उन्होंने बर्लिन से एक प्रसारण में दिया।
  27. गंभीर बीमारियाँ सहींफौज में रहते हुए उन्होंने मलेरिया और अन्य कठिनाइयों का सामना किया।
  28. सुभाष बाबू की रहस्यमयी मृत्यु – 18 अगस्त 1945 को ताइवान में विमान दुर्घटना में मृत्यु की खबर आई, लेकिन आज तक रहस्य बना हुआ है।
  29. नेताजी की विचारधाराउनका मानना था कि स्वतंत्रता बलिदान से मिलती है, प्रार्थनाओं से नहीं।
  30. युवाओं के प्रेरणास्रोतआज भी उनके नारों से युवा वर्ग ऊर्जा प्राप्त करता है।
  31. शिष्टाचार और अनुशासन के प्रतीक अंग्रेज़ भी उनके नेतृत्व और व्यवहार से प्रभावित रहते थे।
  32. विश्व राजनीति की समझहिटलर, मसोलीनी, टोजो जैसे विश्व नेताओं से मुलाकात कर अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाया।
  33. 'नेताजी' की उपाधिउन्हें यह उपाधि जर्मनी और जापान के सैनिकों ने दी थी।
  34. सदियों तक अमर प्रेरणाउनका जीवन, निर्णय और नेतृत्व आज भी भारत के लिए पथप्रदर्शक हैं।

35.  नेताजी स्मृति दिवसआज भी लाखों देशवासी उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

💬 नेताजी से आज क्या सीखें?

  • निर्भीकता: विपरीत परिस्थितियों में भी नेतृत्व की भावना।
  • आत्मबल: अपनी राह स्वयं चुनने की शक्ति।
  • राष्ट्रीयता: भारत की स्वतंत्रता को सर्वोपरि मानना।
  • वैचारिक दृढ़ता: गांधीजी से मतभेद के बावजूद आदर बनाए रखा।
  • वैश्विक दृष्टिकोण: दुनिया के देशों से सहयोग प्राप्त करने की कोशिश।

🙏 श्रद्धांजलि

नेताजी के विचार आज भी हमें प्रेरणा देते हैं। उनकी पुण्यतिथि पर हम सबको यह संकल्प लेना चाहिए कि हम उनके आदर्शों पर चलकर अपने देश, समाज और परिवार को मजबूत बनाएँ।

🕯️ जय हिंद! नेताजी अमर रहें!

 

मदन लाल धींगरा: एक अमर बलिदानी

 मदन लाल धींगरा: एक अमर बलिदानी

जन्म: 18 सितंबर 1883
शहादत: 17 अगस्त 1909

मदन लाल धींगरा का जन्म पंजाब के अमृतसर में हुआ था। वह एक संपन्न परिवार से थे, लेकिन जब उन्होंने देखा कि उनका देश अंग्रेजों की गुलामी में जकड़ा हुआ है, तो उन्होंने अपने आरामदायक जीवन को त्याग दिया और स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।

"सांस बनी है आंधी सी, तूफान उठा है सीने में।
जब तक गुलाम है देश मेरा, मौज कहां है जीने में।।"

यह पंक्तियाँ उनके भीतर के उबाल, क्रांति के ज्वार और देशप्रेम की गहराई को दर्शाती हैं।

वे उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए, लेकिन वहाँ जाकर उन्होंने क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेना शुरू किया। वहां उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को विदेशी भूमि पर एक नई दिशा दी।

🔫 कर्जन वायली की हत्या और शहादत

1909 में उन्होंने ब्रिटिश अधिकारी सर विलियम कर्जन वायली की गोली मारकर हत्या कर दी। यह घटना ब्रिटेन में तहलका मचा गई थी। उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया और 17 अगस्त 1909 को उन्हें फांसी दे दी गई।

उनकी यह कुर्बानी आज भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की वीरगाथाओं में अमर है।

प्रेरणा का स्रोत

मदन लाल धींगरा की यह भावना कि "जब तक गुलाम है देश मेरा, मौज कहां है जीने में," हर भारतीय को यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि सच्ची आज़ादी का मूल्य क्या होता है।

वे आज़ादी के उन दीवानों में से थे, जिनके कारण आज हम स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं।

🙏 श्रद्धांजलि

आज हमें उनकी शहादत को याद करते हुए न सिर्फ गर्व महसूस करना चाहिए, बल्कि यह भी संकल्प लेना चाहिए कि हम उनके सपनों का भारत बनाएं — एक आत्मनिर्भर, न्यायपूर्ण और समर्पित राष्ट्र।

मदन लाल धींगरा अमर रहें!
जय हिन्द!

 

 

Friday, August 15, 2025

मेरे तो गिरधर गोपाल – श्रीकृष्ण का आकर्षण, आदर्श और बदलते संस्कार

 


मेरे तो गिरधर गोपाल – श्रीकृष्ण का आकर्षण, आदर्श और बदलते संस्कार

विशेष लेख – समाज एवं संस्कृति पर दृष्टि
लेखक : आचार्य रमेश सचदेवा 

आस्था और बदलती जीवन-शैली

भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपरा में श्रीकृष्ण का स्थान अद्वितीय है। जन्माष्टमी के अवसर पर घर-घर लड्डू गोपाल सजाए जाते हैं—रंग-बिरंगे वस्त्र, मोरपंख, बांसुरी, झांझ-घंटी और भजन-कीर्तन की गूंज। यह दृश्य हमारी भक्ति और सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रमाण है।
लेकिन आज भक्ति का स्वरूप बदल रहा है। बाहरी सजावट और दिखावटी भक्ति बढ़ रही है, जबकि जीवन में श्रीकृष्ण के आदर्श—प्रेम, नीति, निःस्वार्थ कर्म और संतुलनको अपनाने का प्रयास कम हो रहा है।

श्रीकृष्ण का बहुआयामी व्यक्तित्व

श्रीकृष्ण केवल धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि कला, संगीत, प्रेम, नीति और नेतृत्व के अद्वितीय संगम हैं।

  • बाल्यलीलामटकी-चोरी और रास-लीला से मासूमियत, अपनापन और आनंद का संदेश।
  • युवा नेतृत्वअन्याय के विरुद्ध खड़े होना और नीति के साथ निर्णय लेना।
  • महाभारत में भूमिकाशांति-दूत, सारथी, कूटनीतिज्ञ और युद्धनीति-विशारद का संतुलन।
  • गीता का उपदेशनिःस्वार्थ कर्म, धैर्य और आत्म-ज्ञान का मार्गदर्शन।

नाम ही आनंद का प्रतीक

"कृष्ण" का अर्थ है आकर्षक। उनका नाम और उनकी कथाएं मन को आनंद और शांति से भर देती हैं। बांसुरी की मधुर धुन हो या गीता का गूढ़ ज्ञान—दोनों ही जीवन को आनंदमय और सार्थक बनाते हैं।

आधुनिक पालन-पोषण में विरोधाभास

हम अपने घर में लड्डू गोपाल को सजा तो लेते हैं, लेकिन बच्चों के पालन-पोषण में उनके आदर्शों से दूर जा रहे हैं—

  1. मोबाइल के सहारे पालनबच्चों को व्यस्त रखने के लिए स्क्रीन थमा देना।
  2. जंक फूड पर निर्भरतापौष्टिक भोजन की जगह पिज़्ज़ा, बर्गर और पैकेट फूड।
  3. ट्यूटर्स, गाइड और हेल्प-बुक्स पर अत्यधिक भरोसास्वयं अध्ययन और चिंतन की आदत कम होना।
  4. कोचिंग सेंटर पर अति-निर्भरताज्ञान के साथ संस्कार का दायित्व दूसरों पर डाल देना।
  5. आया के सहारे परवरिशमाता-पिता का बच्चों के साथ कम समय बिताना।

युवाओं के लिए प्रेरणा

श्रीकृष्ण के जीवन से आज के युवाओं के लिए स्पष्ट संदेश है—

  • कला और शिक्षा का संतुलनपढ़ाई के साथ संगीत, खेल, और रचनात्मक गतिविधियों का महत्व।
  • सकारात्मक नेतृत्वअपनी क्षमताओं को समाजहित में लगाना।
  • सही संगति का चुनावसत्संग, अच्छे मित्र और मार्गदर्शक चुनना।
  • धैर्य और दृढ़ताहर परिस्थिति में शांत और संतुलित निर्णय लेना।

गीता का अमर संदेश – निःस्वार्थ कर्म

श्रीकृष्ण का कर्मयोग आज भी उतना ही प्रासंगिक है—

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
हमें अपने कर्तव्य को पूर्ण निष्ठा से करना चाहिए, परिणाम की चिंता किए बिना। यही सोच जीवन को तनावमुक्त और सार्थक बनाती है।

लड्डू गोपाल की पूजा और सजावट हमारी भक्ति है, लेकिन सच्ची भक्ति उनके आदर्शों को जीवन में उतारना है।
मोबाइल, जंक फूड और केवल कोचिंग पर निर्भरता से बच्चों का भविष्य संपूर्ण नहीं बन सकता। हमें अपने बच्चों को भी उतना ही स्नेह, संस्कार और संतुलित वातावरण देना होगा जितना नंदबाबा और यशोदा ने श्रीकृष्ण को दिया था।

संदेश:
मेरे तो गिरधर गोपाल—बाकी सब संसार। परंतु असली भक्ति तभी है, जब हम अपने घर के नन्हे गोपाल और गोपियों को भी श्रीकृष्ण के आदर्शों के अनुसार जीवन का मार्ग दें।