Thursday, September 18, 2025

शिक्षा के स्तर में असमानता – ग्रामीण बनाम शहरी


    शिक्षा के स्तर में असमानता – ग्रामीण बनाम शहरी

लेखक – आचार्य रमेश सचदेवाशिक्षविदद एवं विचारक

भारत में शिक्षा को सभी का मौलिक अधिकार माना गया है, किंतु वास्तविकता यह है कि आज भी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर में गहरी खाई बनी हुई है।

ग्रामीण शिक्षा की स्थिति

गाँवों के विद्यालय दिन-प्रतिदिन कर्ज़ और आर्थिक संकट के बोझ में दबते जा रहे हैं। फंड की कमी, घटती विद्यार्थियों की संख्या और बढ़ते खर्चों के कारण ये विद्यालय अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। यहाँ के शिक्षकों को भी रोजगार और संसाधनों के लिए अंततः शहरों की ओर निर्भर रहना पड़ता है, जिससे यह खाई और भी चौड़ी होती जा रही है।

शहरी विद्यालयों की स्थिति

शहरों के विद्यालय आधुनिक संसाधनों, तकनीकी साधनों और योग्य शिक्षकों से परिपूर्ण हैं। वे परिवहन साधनों का उपयोग करके गाँव-गाँव में अपने विज्ञापन और प्रचार-प्रसार के जाल फैलाते हैं। परिणामस्वरूप ग्रामीण विद्यालयों में नामांकन घटता है और उनकी स्थिति और कमजोर हो जाती है। यह असमानता शिक्षा के संतुलन को और गहरा आघात पहुँचाती है।

असमानता के परिणाम

  • ग्रामीण बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं और रोजगार के अवसरों में पिछड़ जाते हैं।
  • गाँवों में पलायन बढ़ता है, जिससे शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक ढाँचे पर भी असर पड़ता है।
  • शहरी शिक्षा लगातार आगे बढ़ती जाती है, जबकि ग्रामीण शिक्षा पिछड़ती जाती है।

समाधान और संदेश

  • सरकार के लिए संदेश:  सरकार को चाहिए कि ग्रामीण विद्यालयों के लिए विशेष पैकेज, डिजिटल सुविधाएँ, आधुनिक तकनीक और योग्य शिक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित करें। साथ ही, शहरी विद्यालयों के अंधाधुंध विज्ञापन और अनुचित प्रतिस्पर्धा पर नियंत्रण रखे।
  • समाज के लिए संदेश: समाज के संपन्न वर्ग और स्थानीय लोग आगे बढ़कर ग्रामीण विद्यालयों को सहयोग दें। बच्चों को स्थानीय विद्यालयों में पढ़ाने के लिए प्रेरित करें और शिक्षा को दान, सेवा और सहयोग का माध्यम बनाएँ।

शिक्षा केवल शहर की चारदीवारी में सीमित नहीं रहनी चाहिए। यदि गाँवों का बच्चा पीछे रह गया तो भारत की आत्मा भी पीछे रह जाएगी। हमें समझना होगा कि शिक्षा का दीपक तभी रोशन होगा जब गाँव और शहर दोनों समान रूप से उजाले में होंगे।

यदि हम ग्रामीण और शहरी शिक्षा की खाई को पाटने में सफल होते हैं, तो भारत का भविष्य और भी उज्ज्वल होगा। आवश्यकता केवल इतनी है कि सरकार ठोस कदम उठाए, समाज जागरूक बने और हर नागरिक शिक्षा को समान रूप से उपलब्ध कराने में अपना योगदान दे।

शिक्षा का अधिकार तभी सार्थक होगा जब गाँव का बच्चा और शहर का बच्चा एक ही मंच पर खड़ा होकर सपनों की उड़ान भर सके।

 

6 comments:

Anonymous said...

सरकार और समाज दोनों को आगे बढ़कर ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा को बढ़ावा देने का प्रयास करना चाहिए l इस बारे में आपके सुझाव बहुत ही सहराणीय है सर ।

Dr K S Bhardwaj said...

शिक्षा न केवल सामान होनी चाहिए बल्कि चाहूँ मुखी विकास हेतु मुफ्त मिलनी चाहिए.

Amit Behal said...

ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर ऊंचा उठने के लिए जमीनी स्तर पर अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है ...इस तरफ प्राथमिकता के आधार पर ध्यान दिया जाना चाहिए

Director, EDU-STEP FOUNDATION said...

धन्यवाद जी

Director, EDU-STEP FOUNDATION said...

धन्यवाद जी

Director, EDU-STEP FOUNDATION said...

धन्यवाद जी