Saturday, September 13, 2025

हिन्दी दिवस : बदलते समय में हिन्दी की स्थिति और अंग्रेज़ी माध्यम की लालसा

हिन्दी दिवस : बदलते समय में हिन्दी की स्थिति और अंग्रेज़ी माध्यम की लालसा

✍️ लेखक – आचार्य रमेश सचदेवा

हर वर्ष 14 सितम्बर को हम हिन्दी दिवस मनाते हैं। यह दिन हमें याद दिलाता है कि 1949 में संविधान सभा ने हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। हिन्दी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, सभ्यता और अस्मिता की पहचान है। परंतु आज के बदलते परिवेश में हिन्दी की स्थिति चिंता का विषय बन चुकी है।

हिन्दी की वर्तमान स्थिति

  1. सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा आज हिन्दी भारत की सबसे बड़ी बोली जाने वाली भाषा है और विश्व की तीसरी सबसे बड़ी भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुकी है।
  2. साहित्य और मीडिया हिन्दी साहित्य ने प्रेमचंद से लेकर धर्मवीर भारती तक अमूल्य योगदान दिया है। टीवी, रेडियो और सोशल मीडिया पर भी हिन्दी का व्यापक उपयोग हो रहा है।
  3. सरकारी स्तर पर प्रयोगराजभाषा होने के कारण प्रशासनिक कार्यों में हिन्दी का प्रयोग होता है, परंतु व्यवहारिक स्तर पर अंग्रेज़ी को प्राथमिकता अधिक मिलती है।

हिन्दी का वैश्विक महत्व

  • आज के समय में हिन्दी न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय हो रही है।
  • अमेरिका, इंग्लैंड, मॉरीशस, नेपाल और फिजी जैसे देशों में हिन्दी बोली और पढ़ाई जाती है।
  • यह हमारी भाषा की शक्ति और उसके वैश्विक महत्व को दर्शाता है।

अंग्रेज़ी माध्यम की ओर बढ़ती लालसा

  1. रोज़गार और अवसरों की भाषाआधुनिक समय में अंग्रेज़ी को नौकरी, व्यवसाय और वैश्विक संवाद की भाषा माना जाता है। माता-पिता अपने बच्चों को अंग्रेज़ी माध्यम में पढ़ाना प्रतिष्ठा और सफलता का प्रतीक समझते हैं।
  2. सामाजिक दबावअंग्रेज़ी बोलने वाले बच्चों को अधिक आधुनिक और सक्षम समझा जाता है। इस सोच ने हिन्दी माध्यम के विद्यार्थियों के आत्मविश्वास को कम किया है।
  3. शिक्षा प्रणाली का प्रभावउच्च शिक्षा, प्रतियोगी परीक्षाएँ और तकनीकी शिक्षा में अंग्रेज़ी का वर्चस्व होने से हिन्दी माध्यम के विद्यार्थी अवसरों में पिछड़ जाते हैं।

विद्यार्थियों की भूमिका

  • विद्यार्थियों के रूप में हमें यह संकल्प लेना होगा कि हम अपनी भाषा का प्रयोग अधिक से अधिक करेंगे
  • हमें यह याद रखना चाहिए कि जो राष्ट्र अपनी भाषा को भूल जाता है, वह अपनी पहचान भी खो देता है।

हिन्दी हमारी धरोहर

  • हिन्दी हमारी सांस्कृतिक धरोहर है और हमें इस पर गर्व होना चाहिए।
  • यह केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और सभ्यता की आत्मा है।

हिन्दी और अंग्रेज़ी का संतुलन

  1. हमें अंग्रेज़ी को नकारना नहीं चाहिए, क्योंकि यह वैश्विक संपर्क की भाषा है।
  2. साथ ही, हिन्दी को ज्ञान की भाषा और स्वाभिमान की भाषा के रूप में विकसित करना आवश्यक है।
  3. विद्यालयों में हिन्दी और अंग्रेज़ी दोनों का समान रूप से प्रयोग कर शिक्षा दी जानी चाहिए।
  4. हिन्दी में विज्ञान, तकनीक और प्रबंधन की गुणवत्तापूर्ण सामग्री उपलब्ध कराना समय की माँग है।

संकल्प – हिन्दी का सम्मान

इस हिन्दी दिवस पर आइए हम सब यह प्रतिज्ञा लें कि:

  • हम हिन्दी का सम्मान करेंगे।
  • हम अपने जीवन में हिन्दी का अधिक से अधिक प्रयोग करेंगे।
  • हम आने वाली पीढ़ियों तक हिन्दी की महत्ता पहुँचाएँगे।
  • हिन्दी हमारी पहचान है और इसका सम्मान करना हम सबका कर्तव्य है।

हिन्दी दिवस हमें यह याद दिलाता है कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कृति की आत्मा है। अंग्रेज़ी सीखना आवश्यक है, पर हिन्दी को दरकिनार कर केवल अंग्रेज़ी को महत्व देना आत्मविस्मृति के समान है। यदि हम चाहते हैं कि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ भारतीय संस्कृति और मूल्यों से जुड़ी रहें तो हिन्दी को शिक्षा, प्रशासन और समाज के हर क्षेत्र में उचित स्थान देना होगा।

"हिन्दी हमारी पहचान है, इसे आत्मसम्मान के साथ अपनाइए।
अंग्रेज़ी को साधन बनाइए, पर हिन्दी को जीवन का आधार बनाइए।"



6 comments:

Anonymous said...

हिंदी पर बहुत ही सार्थक विचार सर आपके।

Anonymous said...

हिंदी पर बहुत अच्छा लिखा है सर आपने धन्यवाद

Amit Behal said...

हिंदी है हम... वतन है हिंदुस्तान हमारा💐🙏

Anonymous said...

सच कहा आपने हिन्दी हमारी पहचान है।

Dr K S Bhardwaj said...

हिंदी से हमें मोहब्बत है. कोशिश करते हैं कि हिन्दी का अधिक से अधिक प्रयोग किया जाए. मगर देखने में आ रहा है 80 से 90 % लोग शुद्ध हिन्दी न तो लिख सकते हैं और न बोल सकते हैं। 90 % हिन्दी को रोमन अंग्रेजी में लिखते हैं। हमें उसे पढ़ने में दिक्कत होती है, इसलिए हम उसको पढने की कोशिश बिल्कुल नहीं करते।

Anonymous said...

आज भी हिंदी के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को प्रताड़ित किया जाता है. कोई प्रोग्राम आदि में हिंदी के उच्च स्तर के अधिकारी को बार बार जाकर बुलाकर शीश नवाकर बुलाना पड़ता है. आपने सच खा है हिंदी हमारी पहचान है.